प्रयागराज। समीक्षा अधिकारी (आरओ)/ सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के कैलेंडर में 22 दिसंबर को प्रस्तावित है।
परीक्षा समय पर होगी या नहीं, इस पर असमंजस है। अगर परीक्षा टलती है तो महाकुंभ के बाद ही होने की उम्मीद है।
इस बीच आयोग पर पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 के आयोजन पर निर्णय लेने का दबाव बढ़ गया है। आयोग को जल्द ही यह तय करना है कि परीक्षा कब होगी और इसका प्रारूप क्या होगा।
यह परीक्षा भी दिसंबर की शुरुआत में प्रस्तावित है। केंद्र निर्धारण से लेकर प्रारंभिक परीक्षा के आयोजन पर निर्णय लेने के लिए
आयोग के पास डेढ़ माह से भी कम समय बचा है।
- एलटी ग्रेड और प्रवक्ता के 7,814 पद जल्द भरेंगे
- फर्जी तरीके से भर्ती हुए शिक्षक पर लटकी बर्खास्तगी की तलवार
- अंतर्जनपदीय पारस्परिक स्थानान्तरण में काउंसलिंग से स्कूल आवंटन को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई 4 नवंबर 2024 को
- राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली शिक्षामित्र , देखें
- यदि आपको लगता है कि विभाग में आपकी समस्याओं का निस्तारण नहीं हो रहा है तो आप अपनी शिकायत उच्च स्तर तक अवश्य पहुंचाएं…
- अंतर्जनपदीय ट्रांसफर-चयन वेतनमान विशेष
- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना प्राप्ति के संबंध में BSA को प्रार्थना पत्र, पढ़ें
- अब खंड शिक्षा अधिकारियों पर भी परिषदीय विद्यालय को निपुण बनाने की जिम्मेदारी
- प्रधानाध्यापिका द्वारा सरकारी किताबें बेचने पर सहायक शिक्षिका के विरोध पर अभद्रता की शिकायत
- शिक्षामित्र के तबादले की शिकायत के संबंध में निराकरण पत्र
अगर आयोग पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा दिसंबर में कराता है तो दो हफ्ते बाद ही कैलेंडर में प्रस्तावित आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा कराने की भी उसके सामने चुनौती होगी।
ऐसे में आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा टलने के आसार हैं। आयोग के सूत्रों का कहना है कि पीसीएस परीक्षा के लिए केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया पर काम चल रहा है और जल्द ही स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है।
परीक्षा अगर दो दिनों में कराई जाती है तो आयोग को अलग अलग पेपर तैयार कराने होंगे। साथ ही परीक्षा के लिए अतिरिक्त
संसाधनों की जरूरत पड़ेगी।
अगर शासन के मानक के अनुसार पर्याप्त संख्या में केंद्रों की व्यवस्था हो जाती है तो परीक्षा पहले की भांति एक दिन में कराई जा सकेगी। वहीं, अभ्यर्थी एक दिन की परीक्षा के लिए अड़े हुए हैं।
अभ्यर्थियों का कहना है कि दो दिन की परीक्षा में एक समान मूल्यांकन के लिए मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) होगा, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
पिछले दिनों आयोग में छह घंटे तक धरना-प्रदर्शन और चक्काजाम करने वाले अभ्यर्थियों ने तो यह भी कहा कि आयोग चाहे तो कुछ वक्त और ले सकता है।
परीक्षा को कुछ दिनों के लिए टाल दिया जाए और पर्याप्त संख्या में केंद्रों की व्यवस्था होने के बाद एक दिन में ही परीक्षा कराई जाए। अभ्यर्थियों को अब आयोग के निर्णय का इंतजार है।