बंगलूरू। कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि बेटियों का भरण-पोषण और उन्हें उत्कृष्ट शिक्षा दिलाना पिता की कानूनी बाध्यता है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि वे उसकी तलाकशुदा पत्नी के साथ रह रही हैं। इसके साथ, हाईकोर्ट ने नाबालिग समेत दो बेटियों के भरण-पोषण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
- आओ ज्ञान बढ़ाएं.: जानकारी बेसिक की जो हर शिक्षक को जानना है जरुरी
- समायोजन रद्द, सस्पेंड शिक्षकों की बहाली भी अटकी
- जब तक विभागीय आदेश न आये प्रक्रिया जनपद स्तर से गतिमान रहेगी
- समायोजन विशेष: विद्यालय विकल्प का ऑप्शन पोर्टल पर ऑनलाइन हो गया है..
- बीएलओ कार्य की आड़ में मौज काट रहे कुछ शिक्षक-अनुदेशक और शिक्षामित्र, बेपटरी हो रहीं व्यवस्थाएं
- टीचर्स के लिए एक बहुमूल्य संकलन, जो आपको रोजाना प्रार्थना सभा के सेशन में आ सकता है बहुत कम
- पेंशनरों का घर बैठे बनेगा जीवित प्रमाण पत्र, नहीं लगाने होंगे विभागों के चक्कर
- हाल- ए- बेसिक : साल में 365 दिन, शिक्षकों ने ले लिया 400 दिन का सीसीएल और मेडिकल
जस्टिस अशोक एस किनागी ने फैसले में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने पिता की आय को देखते हुए शादी होने तक हर बेटी को हर माह छह हजार रुपये की रकम देने का जो फैसला सुनाया है, उसमें त्रुटि नहीं है।