राजस्व परिषद ने शासन को भेजा प्रस्ताव , लेखपालों के पांच हजार पद बढ़ेंगे
लखनऊ : दैवी आपदा से प्रभावित किसानों को मुआवजा बांटने में आयी दिक्कतों ने सरकार को लेखपालों की कमी का अहसास कराया है। यही वजह है कि राजस्व परिषद ने लेखपालों के 5000 नये पद सृजित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
गांवों में भूलेख तैयार करने, स्थानीय स्तर पर मेढ़ और खेतों के सीमा संबंधी विवाद निपटाने, आय जाति और निवास प्रमाणपत्रों के साथ सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए सत्यापन रिपोर्ट लगाने की जिम्मेदारी लेखपालों पर हैं। प्रदेश में 1.13 लाख राजस्व गांव हैं। राजस्व महकमे की रीढ़ समङो जाने वाले लेखपालों के 27237 पद सृजित हैं। इस हिसाब से हर लेखपाल पर औसतन चार राजस्व गांवों से ज्यादा की जिम्मेदारी है। वर्तमान में लेखपालों के सृजित पदों में से लगभग सात हजार खाली हैं। इसकी वजह से हर लेखपाल पर औसतन 5.6 राजस्व गांवों के कामकाज का बोझ है।
दूसरी ओर हरियाणा सरीखे राज्य में हर लेखपाल पर औसतन 2.63 राजस्व गांवों के कामकाज का जिम्मा है। इस औसत से उत्तर प्रदेश में 42000 लेखपालों की और जरूरत होगी, यानी लेखपालों के 15000 नये पद सृजित करने होंगे, लेकिन इतने लेखपालों को एक साथ प्रशिक्षण देने की व्यवस्था नहीं है। इसलिए राजस्व परिषद ने पहले चरण में लेखपालों के 5000 नये पद सृजित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। बेमौसम बारिश और ओले गिरने से बड़े पैमाने पर प्रभावित किसानों को मुआवजा बांटने के काम में लेखपालों की कमी भी आड़े आयी। राजस्व विभाग को भी लेखपालों की कमी की सुध आई। ध्यान रहे, लेखपालों के सात हजार रिक्त पदों को भरने के लिए राजस्व परिषद एजेंसी के चयन की कवायद में जुटा है। लेखपालों की भर्ती के लिए सरकार ने नियमावली में संशोधन भी किया है।
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लखनऊ : दैवी आपदा से प्रभावित किसानों को मुआवजा बांटने में आयी दिक्कतों ने सरकार को लेखपालों की कमी का अहसास कराया है। यही वजह है कि राजस्व परिषद ने लेखपालों के 5000 नये पद सृजित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
गांवों में भूलेख तैयार करने, स्थानीय स्तर पर मेढ़ और खेतों के सीमा संबंधी विवाद निपटाने, आय जाति और निवास प्रमाणपत्रों के साथ सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए सत्यापन रिपोर्ट लगाने की जिम्मेदारी लेखपालों पर हैं। प्रदेश में 1.13 लाख राजस्व गांव हैं। राजस्व महकमे की रीढ़ समङो जाने वाले लेखपालों के 27237 पद सृजित हैं। इस हिसाब से हर लेखपाल पर औसतन चार राजस्व गांवों से ज्यादा की जिम्मेदारी है। वर्तमान में लेखपालों के सृजित पदों में से लगभग सात हजार खाली हैं। इसकी वजह से हर लेखपाल पर औसतन 5.6 राजस्व गांवों के कामकाज का बोझ है।
दूसरी ओर हरियाणा सरीखे राज्य में हर लेखपाल पर औसतन 2.63 राजस्व गांवों के कामकाज का जिम्मा है। इस औसत से उत्तर प्रदेश में 42000 लेखपालों की और जरूरत होगी, यानी लेखपालों के 15000 नये पद सृजित करने होंगे, लेकिन इतने लेखपालों को एक साथ प्रशिक्षण देने की व्यवस्था नहीं है। इसलिए राजस्व परिषद ने पहले चरण में लेखपालों के 5000 नये पद सृजित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। बेमौसम बारिश और ओले गिरने से बड़े पैमाने पर प्रभावित किसानों को मुआवजा बांटने के काम में लेखपालों की कमी भी आड़े आयी। राजस्व विभाग को भी लेखपालों की कमी की सुध आई। ध्यान रहे, लेखपालों के सात हजार रिक्त पदों को भरने के लिए राजस्व परिषद एजेंसी के चयन की कवायद में जुटा है। लेखपालों की भर्ती के लिए सरकार ने नियमावली में संशोधन भी किया है।
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