शाहजहांपुर। सुप्रीम कोर्ट के शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक बनाने पर
रोक लगाने से शिक्षामित्रों में हलचल मच गई है। इस बीच राहत भरी खबर यह है
कि प्रदेश शासन से नए दिशानिर्देश मिलने तक समायोजित हो चुके शिक्षामित्र
शिक्षक बने रहेंगे। एक ओर कुछ शिक्षामित्रों को जहां प्रदेश सरकार की बात
सुप्रीम कोर्ट के मान लेने का भरोसा है। वहीं कुछ शिक्षामित्रों को सुप्रीम
कोर्ट का चाबुक चलाए जाने का डर लग रहा है। सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय
चाहे कुछ भी हो, लेकिन जिले के 3495 शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक बनने
पर संकट के बादल मंडरा गए हैं।
दूरस्थ शिक्षा विधि के माध्यम से जिले में प्रथम बैच के 1066 शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया था। इसके बाद दूसरे बैच में समायोजित होने वाले शिक्षामित्रों की संख्या 2135 थी। वहीं तीसरे बैच के 294 शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कौंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के मानकों का हवाला देते हुए इन शिक्षामित्रों के बगैर टीईटी पास किए भर्ती किए जाने के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस पर शिक्षामित्र संगठनों की राय।
समायोजित शिक्षकों पर नहीं पड़ेगा प्रभाव
प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष रत्नाकर दीक्षित और प्रदेश प्रभारी श्यामलाल यादव का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल एक पक्ष को सुना है। कोर्ट के आदेश से समायोजित हो चुके शिक्षामित्रों पर खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। शिक्षकों की योग्यता का निर्धारण करने में कमी या बढ़ोत्तरी करने का आधार राज्य सरकार को होता है। उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि 27 जुलाई को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा दस्तावेज जमा करने पर सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट हो जाएगा।
शिक्षामित्र समायोजित हुए हैं नियुक्त नहीं
आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष यदवीर सिंह यादव और महामंत्री आदर्श भारद्वाज ने शिक्षामित्रों को समायोजित करने का प्रदेश सरकार का निर्णय सही ठहराया। कहा कि शिक्षामित्रों की नियुक्तियां वर्ष 2010 से पहले की हैं। इन लोगों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन हुआ, नियुक्ति नहीं हुई है। इसलिए टीईटी का आदेश 2010 के बाद प्रभावी हुआ है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय शिक्षामित्रों के लिए परेशानी का विषय नहीं है।
टीईटी की अर्हता को लेकर शिक्षामित्रों में बहस तेज
‘शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापकों के पदों पर समायोजित करने का आदेश शासन से मिला था। अब इस मामले में आगे के दिशानिर्देश मिलने तक यथास्थिति रखी जाएगी।’
- राकेश कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
दूरस्थ शिक्षा विधि के माध्यम से जिले में प्रथम बैच के 1066 शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया था। इसके बाद दूसरे बैच में समायोजित होने वाले शिक्षामित्रों की संख्या 2135 थी। वहीं तीसरे बैच के 294 शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कौंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के मानकों का हवाला देते हुए इन शिक्षामित्रों के बगैर टीईटी पास किए भर्ती किए जाने के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस पर शिक्षामित्र संगठनों की राय।
समायोजित शिक्षकों पर नहीं पड़ेगा प्रभाव
प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष रत्नाकर दीक्षित और प्रदेश प्रभारी श्यामलाल यादव का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल एक पक्ष को सुना है। कोर्ट के आदेश से समायोजित हो चुके शिक्षामित्रों पर खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। शिक्षकों की योग्यता का निर्धारण करने में कमी या बढ़ोत्तरी करने का आधार राज्य सरकार को होता है। उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि 27 जुलाई को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा दस्तावेज जमा करने पर सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट हो जाएगा।
शिक्षामित्र समायोजित हुए हैं नियुक्त नहीं
आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष यदवीर सिंह यादव और महामंत्री आदर्श भारद्वाज ने शिक्षामित्रों को समायोजित करने का प्रदेश सरकार का निर्णय सही ठहराया। कहा कि शिक्षामित्रों की नियुक्तियां वर्ष 2010 से पहले की हैं। इन लोगों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन हुआ, नियुक्ति नहीं हुई है। इसलिए टीईटी का आदेश 2010 के बाद प्रभावी हुआ है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय शिक्षामित्रों के लिए परेशानी का विषय नहीं है।
टीईटी की अर्हता को लेकर शिक्षामित्रों में बहस तेज
‘शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापकों के पदों पर समायोजित करने का आदेश शासन से मिला था। अब इस मामले में आगे के दिशानिर्देश मिलने तक यथास्थिति रखी जाएगी।’
- राकेश कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
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