लखनऊ, फैजाबाद मेरठ, जौनपुर व आगरा विवि के नाम बने अभिलेख
जोधपुर तथा मानव भारती विवि हिमाचल के नाम से भी हुए जारी
राघवेंद्र शुक्ल, मुरादाबाद प्रवक्ता पद की भर्ती में बड़े पैमाने पर जाली प्रमाण पत्र लगाए गए हैं। देश के दर्जनभर संस्थानों के नाम से जारी इन प्रमाण पत्रों का सत्यापन पिछले दिनों कराया गया तो कई अभ्यर्थी ऐसे मिले, जिनका कोई भी रिकार्ड विश्वविद्यालय के पास नहीं है।
इसके बाद अफसरों के कान खड़े हो गए। आनन-फानन सभी एक लाख 37 हजार आवेदनों से जुड़े प्रमाणपत्रों के सत्यापन के निर्देश संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक योगेंद्र नाथ सिंह ने दे दिया, जिस पर एडी बेसिक अशोक कुमार सिंह और डीआइओएस द्वितीय की कमेटी काम कर रही है।
नवंबर 2014 में प्रदेश सरकार ने विभिन्न विषयों के प्रवक्ता पद के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किये। मुरादाबाद मंडल में कुल 286 पदों के लिए एक लाख 37 हजार आवेदन आए। इनमें सत्यापन के दौरान कुछ ऐसे आवेदन भी मिले, जो प्रथम दृष्टया ही फर्जी प्रतीत हुए। लखनऊ के गोमती नगर निवासी अजरुन सिंह के हाईस्कूल के अंक पत्र में 53 व इंटर में 54 फीसद अंक पाए गए, लखनऊ विश्वविद्यालय से जारी उनके अंकपत्र में 83 फीसद अंक देख अफसरों के होश उड़ गए। ऐसे संदिग्ध आवेदनपत्रों को निकालते हुए उनके अंकपत्र जांच के लिए भेजे गए। जब रिपोर्ट आई तो 19 अंकपत्र ऐसे थे, जिनका कोई रिकार्ड संबंधित विश्वविद्यालय में नहीं था।
इसी तरह मानव भारती विवि हिमाचल से जारी सुरेंद्र कुमार पुत्र विनोद कुमार, जयवीर सिंह पुत्र गोपाल सिंह, मुनेंद्र सिंह पुत्र नेत्रपाल सिंह, मानवेंद्र सिंह पुत्र उदय वीर सिंह, योगेश कुमार पुत्र नत्था राम, गगन सिंह पुत्र सौदान सिंह, अरविंद कुमार पुत्र गोपाल, सीमा उपाध्याय पुत्री बालजती उपाध्याय, उमेश चंद्र पुत्र विजेंद्र सिंह तथा अशोक कुमार पुत्र शेष नाथ के स्नातक के अंकपत्र फर्जी पाए गए हैं। जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी की मालती देवी, सरिता भारती, अशोक कुमार, स्वदेश मिश्र तथा राज कुमार का बीएड का अंकपत्र भी फर्जी मिला है।
उधर वाराणसी के संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रदीप सिंह ने लखनऊ विवि से जारी 34 आवेदकों के अंकपत्र जब सत्यापन के लिए भेजे तो इसमें 32 फर्जी निकले। इन 32 आवेदकों में से चार मुरादाबाद मंडल में भी आवेदन करने वालों में शामिल हैं। डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि आगरा, साकेत महाविद्यालय फैजाबाद, पूर्वाचल विवि जौनपुर, सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कई अंकपत्र फर्जी निकले हैं। इतने बड़े पैमाने पर मामला सामने आने पर विभाग के अफसरों के होश उड़ गए। मंगलवार को जेडी माध्यमिक शिक्षा कार्यालय में ऐसे आवेदनों को सूचीबद्ध करते हुए इसकी रिपोर्ट शासन को दी गई। अब सभी आवेदनों की गहनता से जांच शुरू करा दी गई है। जेडी माध्यमिक शिक्षा योगेंद्र नाथ सिंह का कहना है कि गनीमत है कि फर्जीवाड़ा पहले ही पकड़ में आ गया। अब सभी आवेदनों की सत्यता परखी जाएगी। सभी प्रकरणों में मुकदमा दर्ज कराएंगे।
रोल नंबर में सर्वाधिक खेल
अब तक जितने भी अंकपत्र सामने आए हैं वह मूल कॉपी की नकल करते हुए कम्प्यूटर से बनाए गए हैं। फर्जी अंकपत्र मूल अंकपत्र की तरह ही हैं। इन पर रोल नंबर और हस्ताक्षर जाली हैं। विश्वविद्यालय के रिकार्ड में ऐसे रोल नंबर का कोई वजूद नहीं है। जोधपुर और हिमाचल प्रदेश से जारी अंकपत्र व प्रमाणपत्र भी ऐसे ही हैं।
सत्यापन में आड़े आ रहा नियम
लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक अंकपत्र के सत्यापन के लिए 2000 रुपये की फीस मांगी है, जबकि जेडी माध्यमिक शिक्षा का कहना है कि इतना धन तो आवेदकों से भी नहीं लिया गया, ऐसे में विभाग कहां से 2000 रुपये देगा। यह प्रकरण गंभीर है। इसे उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया जाएगा।
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जोधपुर तथा मानव भारती विवि हिमाचल के नाम से भी हुए जारी
राघवेंद्र शुक्ल, मुरादाबाद प्रवक्ता पद की भर्ती में बड़े पैमाने पर जाली प्रमाण पत्र लगाए गए हैं। देश के दर्जनभर संस्थानों के नाम से जारी इन प्रमाण पत्रों का सत्यापन पिछले दिनों कराया गया तो कई अभ्यर्थी ऐसे मिले, जिनका कोई भी रिकार्ड विश्वविद्यालय के पास नहीं है।
इसके बाद अफसरों के कान खड़े हो गए। आनन-फानन सभी एक लाख 37 हजार आवेदनों से जुड़े प्रमाणपत्रों के सत्यापन के निर्देश संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक योगेंद्र नाथ सिंह ने दे दिया, जिस पर एडी बेसिक अशोक कुमार सिंह और डीआइओएस द्वितीय की कमेटी काम कर रही है।
नवंबर 2014 में प्रदेश सरकार ने विभिन्न विषयों के प्रवक्ता पद के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किये। मुरादाबाद मंडल में कुल 286 पदों के लिए एक लाख 37 हजार आवेदन आए। इनमें सत्यापन के दौरान कुछ ऐसे आवेदन भी मिले, जो प्रथम दृष्टया ही फर्जी प्रतीत हुए। लखनऊ के गोमती नगर निवासी अजरुन सिंह के हाईस्कूल के अंक पत्र में 53 व इंटर में 54 फीसद अंक पाए गए, लखनऊ विश्वविद्यालय से जारी उनके अंकपत्र में 83 फीसद अंक देख अफसरों के होश उड़ गए। ऐसे संदिग्ध आवेदनपत्रों को निकालते हुए उनके अंकपत्र जांच के लिए भेजे गए। जब रिपोर्ट आई तो 19 अंकपत्र ऐसे थे, जिनका कोई रिकार्ड संबंधित विश्वविद्यालय में नहीं था।
इसी तरह मानव भारती विवि हिमाचल से जारी सुरेंद्र कुमार पुत्र विनोद कुमार, जयवीर सिंह पुत्र गोपाल सिंह, मुनेंद्र सिंह पुत्र नेत्रपाल सिंह, मानवेंद्र सिंह पुत्र उदय वीर सिंह, योगेश कुमार पुत्र नत्था राम, गगन सिंह पुत्र सौदान सिंह, अरविंद कुमार पुत्र गोपाल, सीमा उपाध्याय पुत्री बालजती उपाध्याय, उमेश चंद्र पुत्र विजेंद्र सिंह तथा अशोक कुमार पुत्र शेष नाथ के स्नातक के अंकपत्र फर्जी पाए गए हैं। जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी की मालती देवी, सरिता भारती, अशोक कुमार, स्वदेश मिश्र तथा राज कुमार का बीएड का अंकपत्र भी फर्जी मिला है।
उधर वाराणसी के संयुक्त शिक्षा निदेशक प्रदीप सिंह ने लखनऊ विवि से जारी 34 आवेदकों के अंकपत्र जब सत्यापन के लिए भेजे तो इसमें 32 फर्जी निकले। इन 32 आवेदकों में से चार मुरादाबाद मंडल में भी आवेदन करने वालों में शामिल हैं। डॉ. भीमराव अम्बेडकर विवि आगरा, साकेत महाविद्यालय फैजाबाद, पूर्वाचल विवि जौनपुर, सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कई अंकपत्र फर्जी निकले हैं। इतने बड़े पैमाने पर मामला सामने आने पर विभाग के अफसरों के होश उड़ गए। मंगलवार को जेडी माध्यमिक शिक्षा कार्यालय में ऐसे आवेदनों को सूचीबद्ध करते हुए इसकी रिपोर्ट शासन को दी गई। अब सभी आवेदनों की गहनता से जांच शुरू करा दी गई है। जेडी माध्यमिक शिक्षा योगेंद्र नाथ सिंह का कहना है कि गनीमत है कि फर्जीवाड़ा पहले ही पकड़ में आ गया। अब सभी आवेदनों की सत्यता परखी जाएगी। सभी प्रकरणों में मुकदमा दर्ज कराएंगे।
रोल नंबर में सर्वाधिक खेल
अब तक जितने भी अंकपत्र सामने आए हैं वह मूल कॉपी की नकल करते हुए कम्प्यूटर से बनाए गए हैं। फर्जी अंकपत्र मूल अंकपत्र की तरह ही हैं। इन पर रोल नंबर और हस्ताक्षर जाली हैं। विश्वविद्यालय के रिकार्ड में ऐसे रोल नंबर का कोई वजूद नहीं है। जोधपुर और हिमाचल प्रदेश से जारी अंकपत्र व प्रमाणपत्र भी ऐसे ही हैं।
सत्यापन में आड़े आ रहा नियम
लखनऊ विश्वविद्यालय ने एक अंकपत्र के सत्यापन के लिए 2000 रुपये की फीस मांगी है, जबकि जेडी माध्यमिक शिक्षा का कहना है कि इतना धन तो आवेदकों से भी नहीं लिया गया, ऐसे में विभाग कहां से 2000 रुपये देगा। यह प्रकरण गंभीर है। इसे उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया जाएगा।
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