इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षकों की सियासत तथा खींचतान से एक बार फिर संकट खड़ा हो गया है तथा तनाव की स्थिति है। छात्रसंघ उद्घाटन समारोह तथा उसे लेकर मचे घमासान के पीछे शिक्षकों की वर्चस्व की लड़ाई को कारण बताया जा रहा है।
कई शिक्षकों ने एक वर्ग का खुलकर समर्थन किया तो कई अन्य ने पर्दे के पीछे से विवादों को हवा दी। इससे शिक्षक समुदाय दो वर्ग में बंट गया है। लगातार विवादों के बावजूद अंतिम समय में कार्यक्रम निरस्त करने के फैसले से विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका भी सवाल खड़ा हो गया है। इस पूरी लड़ाई में पढ़ाई बाधित रहने तथा तनाव की वजह से छात्र-छात्रा ठगा महसूस कर रहे हैं।
परिसर में इस बात की चर्चा सरेआम है कि समारोह तथा इसमें योगी आदित्य नाथ को बुलाए जाने के निर्णय को कुछ शिक्षकों का समर्थन प्राप्त रहा। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि पूरा घटना जैसे पूर्व प्रायोजित था। आयोजन के विरोध में कई शिक्षकों के खुलकर सामने आ जाने से इन आशंकाओं को और बल मिल रहा है। आयोजन को लेकर शिक्षक समुदाय पहले से बंटा हुआ था। ऐसे में कई वरिष्ठ शिक्षकों की मौजूदगी में चीफ प्रॉक्टर के साथ बदसलूकी से यह खाई और बढ़ गई है। ऐसे में अध्यापक संघ तथा विश्वविद्यालय प्रशासन की सोमवार को होने वाली बैठकों में तनाव और बढ़ सकता है।
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कई शिक्षकों ने एक वर्ग का खुलकर समर्थन किया तो कई अन्य ने पर्दे के पीछे से विवादों को हवा दी। इससे शिक्षक समुदाय दो वर्ग में बंट गया है। लगातार विवादों के बावजूद अंतिम समय में कार्यक्रम निरस्त करने के फैसले से विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका भी सवाल खड़ा हो गया है। इस पूरी लड़ाई में पढ़ाई बाधित रहने तथा तनाव की वजह से छात्र-छात्रा ठगा महसूस कर रहे हैं।
परिसर में इस बात की चर्चा सरेआम है कि समारोह तथा इसमें योगी आदित्य नाथ को बुलाए जाने के निर्णय को कुछ शिक्षकों का समर्थन प्राप्त रहा। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि पूरा घटना जैसे पूर्व प्रायोजित था। आयोजन के विरोध में कई शिक्षकों के खुलकर सामने आ जाने से इन आशंकाओं को और बल मिल रहा है। आयोजन को लेकर शिक्षक समुदाय पहले से बंटा हुआ था। ऐसे में कई वरिष्ठ शिक्षकों की मौजूदगी में चीफ प्रॉक्टर के साथ बदसलूकी से यह खाई और बढ़ गई है। ऐसे में अध्यापक संघ तथा विश्वविद्यालय प्रशासन की सोमवार को होने वाली बैठकों में तनाव और बढ़ सकता है।
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