सरकार को लेकर शिक्षामित्रों के प्रकरण में अब तक सुप्रीम
कोर्ट में डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा SLP दाखिल : 30 नवम्बर को हो सकती है
सुनवाई, शिक्षामित्रो की ट्रेनिंग को भी अवैध घोषित कराने के लिए भी एसएलपी
दायर
राज्य मुख्यालय । भले ही राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों के
पक्ष में सिर्फ दो विशेष अनुज्ञा याचिकाएं (एसएलपी) दायर की हो लेकिन इस
मामले में सुप्रीम कोर्ट में ऐसी डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा याचिकाएं दाखिल
की जा चुकी हैं।
टीईटी पास शिक्षामित्र भी रिट कर चुके हैं तो शिक्षामित्रों
के प्रशिक्षण की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका दायर की जा चुकी है। 12
सितम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया
है। इस आदेश के बाद प्रदेश के बेरोजगार प्रशिक्षित शिक्षकों यानी बीटीसी /
बीएडधारकों का उत्साह बढ़ गया है। उनकी तरफ से कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट
पहुंची हैं। तर्क यही कि जब प्रदेश में अध्यापक पात्रता पास प्रशिक्षित
शिक्षक उपलब्ध हैं तो फिर शिक्षामित्रों का समायोजन क्यों?
वहीं 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी भी
शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द करने का निर्णय यथावत रखने का अनुरोध कर
रहे हैं। शिक्षामित्रों के पक्ष को मजबूत करने वाली एक दर्जन याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट में हैं। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के नेता
जितेन्द्र शाही और प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के गाजी इमाम आला भी याचिका
दाखिल कर चुके हैं। इसके अलावा भी कई शिक्षामित्र हैं जिन्होंने फैसले की
व्याख्या करते हुए रिट दायर की है।
उधर टेट संघर्ष मोर्चा के हिमांशु राणा ने शिक्षामित्रो की
ट्रेनिंग को भी अवैध घोषित कराने के लिए भी एसएलपी दायर की है। उनका दवा है
कि ट्रेनिंग की अनुमति तथ्यों को छुपा कर ली गयी है।
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