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72825 के गर्भ में क्या छिपा है राज ? शिक्षामित्रों पर खतरा : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

जिस प्रकार 7 दिसम्बर 2015 को राज्य के अधिवक्ता विजय बहादुर सिंह जी ने रोड मैप के प्रश्न पर चुप्पी साधी थी और श्री मान गौरव भाटिया जी ने मामले को मानवीय आधार पर मोड़ने की कोशिश की थी परन्तु न्यायमूर्ति ने कहा कि “I am concerned for both who are eligible and also for those who are not.”
ये बात तो तय थी कि अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ही स्थिति को अपने हाथ में लेकर प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति को संभालेगी | रोड मैप के प्रश्न को पिछली बार क्लियर कर दिया गया
कि विद्यालय खाली नहीं होंगे और सरकार को डरा धमकाकर और सबसे बड़ा चुनावी माहौल में शिक्षा मित्र केस का डर दिखाकर पहले न्यायमूर्ति विद्यालयों में अध्यापकों का इन्तेजाम कर रहे हैं क्यूंकि 24 फ़रवरी 2016 को उन्होंने ए.ओ.आर शारदा देवी जी के क्राइटेरिया के उल्लंघन (90/105 से नीचे वालों के विरोध में )
के तर्क को यह कहकर काट दिया कि आप बताइये आपके अभ्यर्थी के कितने अंक हैं मैं उन्हें भी दूंगा अगर NCTE norms के अनुसार है तो वरना उस दिन मैडम हमारे विरोध में काम कर गयी थी | खैर जाने दीजिये |

अब ये केस एक जनहित याचिका का रूप ले चूका है जिसमे माननीय न्यायमूर्ति ने ठान लिया है
कि वे न्याय की शक्ति का प्रयोग करके सभी को लाभान्वित करेंगे जो भी पीड़ित उनके सामने जाएगा |

167/2015 में लगा सचिव संजय सिन्हा जी का रिक्त पदों का हलफनामा और उस हलफनामे पर 2 नवम्बर को अधिवक्ता आनंद नन्दन जी के द्वारा की गयी बेहेस टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए रामबाण साबित हुई है जिसे आप सिविल अपील के अंतिम आदेश में अधिवक्ता आनंद नंदन जी के नाम के साथ , अभी टिप्पणी या वाह वाही करना गलत है पर भविष्य में आपको साक्षात दर्शन कराऊंगा |
माननीय न्यायमूर्ति दीपक मिश्र जी के द्वारा प्रदान की जा रही तदर्थ नियुक्तियां और उधर माननीय न्यायमूर्ति धनञ्जय चंद्रचूड जी के द्वारा कार्यरत शिक्षकों (शिक्षा मित्रों ) की नियुक्तियों को असंवैधानिक ठहराना और न्यायमूर्ति मिश्रा जी के द्वारा उस मुद्दे पर बेहेस नहीं होने देना ये सभी बातें एक बिहार भर्ती के आदेश की तरफ कूच करती दिख रही हैं जिसमे अधिवक्ता अमित पवन जी ही एंगेज थे और शायद नागेश्वर राव साहब को असिस्ट कर रहे थे |
बिहार भर्ती प्रकरण :----------------------------------------------
बिहार में शिक्षक दो श्रेणी में रखे जाते हैं grade 1 & grade 2.
लालू प्रसाद यादव जी की सरकार थी और वे भी ग्रेड 2 के शिक्षकों के लिए इतने आतुर थे कि उन्हें सीधा ग्रेड 1 पर भर्ती करा दिया और ग्रेड 1 की अहर्ता रखने वाले बाहर कर दिए |
हाई कोर्ट एकल पीठ से जीते , खंडपीठ से हारे ग्रेड 1 की अहर्ता रखने वाले अभ्यर्थी दिल्ली पहुंचे और केस फाइल किया अमित पवन जी के माध्यम से माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जहाँ से ग्रेड 1 की अहर्ता रखने वाले अभ्यर्थियों को न्यायमूर्ति ने ग्रेड 2 पर ही रखवा दिया लेकिन जब क्लोजर रिपोर्ट लगने लगी तो अधिवक्ता अमित पवन जी ने पुनः चैलेंज किया ग्रेड 1 पर कार्यरत शिक्षकों कि ये अहर्ता नहीं रखते हैं
और ग्रेड 2 वाले योग्य हैं , नतीजा निकला इधर के उधर उधर के इधर |

यानी ग्रेड 1 वालों को उनकी जगह मिल गयी और ग्रेड 2वाले खिसकाकर उनके स्थान पर पहुंचा दिए |
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