प्राथमिक विद्यालय शंकरपुर लक्ष्मनपुर मटेरा: सुबह के 11.10 बज चुके
हैं। विद्यालय में बमुश्किल 25-30 छात्र मौजूद थे। यहां पहुंचने पर पता
चलता है कि विद्यालय में 136 बच्चे पंजीकृत हैं, जिनमें कक्षा एक में 34 दो
में 20, तीन में 42, चार में 30 व पांच 10 बच्चों का पंजीकरण है।
मौके पर मौजूद प्रधानाध्यापक नाज फात्मा की तैनाती तो उच्च प्राथमिक विद्यालय में है। वे प्राथमिक विद्यालय की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। यहां पर तैनात शिक्षक जिब्राइल बीते एक साल से चिकित्सकीय अवकाश पर हैं और शिक्षामित्र सुमन सिंह के मांगलिक कार्यक्रम में शामिल होने की बात पता चली। बच्चों के पानी पीने के लिए लगाए गए हैंडपंप से बकरी बंधी नजर आई।
यानी पीने के लिए पानी की व्यवस्था अन्य स्थान से करनी पड़ती है। 1-प्राथमिक विद्यालय लखैया। समय 11.30 बजे। यहां 86 बच्चों का प्रवेश दर्शाया गया है। इन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी अध्यापक कमरूद्दीन की है लेकिन वह मोबाइल पर फेसबुक का मजा ले रहे थे। यही नहीं, कक्षा में बैठने की जगह बच्चे बाहर खेल रहे थे। ऐसे अध्यापक के सहारे इन मासूमों के भविष्य का अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं। यहां बैठी रसोइया ज्ञानवती, शकीला व फातिमा बातचीत करती दिखीं।
ग्राम पंचायत उमरिया के मजरा नंदा स्थित प्राथमिक विद्यालय: समय 11.40 बजे। पंजीकृत 134 बच्चों की जगह मात्र 21 बच्चे ही मौजूद थे। प्रधानाध्यापक बांकेलाल विद्यालय से नदारद थे। बच्चों को शिक्षामित्र नंदराम व नफीस कादरी पढ़ा रहे थे। इस दौरान वे बच्चों को देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे थे। मध्याह्न भोजन चूल्हे पर बनता नजर आया, लेकिन जिस छोटे से भगोने में सभी बच्चों के लिए भोजन बनाने की बात कही गई वह गले नहीं उतर रही थी।
प्राथमिक विद्यालय कविराज गांव: समय 11.50 बजे: वैसे तो यहां लगभग सौ बच्चों के प्रवेश होने की बात पता चली पर तीन लोगों की तैनाती होने के बावजूद मौके पर कोई नहीं मिला। बच्चे पेड़ों पर धमाचौकड़ी करते नजर आए। इन्हें मना करने वाला भी कोई भी नहीं था। मौके पर इनके अध्यापन का जिम्मा इकलौते शिक्षामित्र पवन कुमार मिश्र के पास है। यहां तैनात अन्य अध्यापक महीनों से नहीं आए। प्राथमिक विद्यालय बसऊ गांव में अव्यवस्थाओं का बोलबाला नजर आया। यहां बच्चे खुले में शौच करने को मजबूर नजर आए। शिक्षा मित्र बाबूराम, शुभाशीष दास व राम प्रकाश मौजूद मिले। उन्होंने बताया कि प्रधानाध्यापक मेराज सुल्ताना की तबीयत खराब है। इसलिए वह विद्यालय नहीं आ सकीं।-प्राथमिक विद्यालय शंकरपुर लक्ष्मनपुर मटेरा। सुबह के 11.10 बज चुके हैं। विद्यालय में बमुश्किल 25-30 छात्र मौजूद थे। यहां पहुंचने पर पता चलता है कि विद्यालय में 136 बच्चे पंजीकृत हैं, जिनमें कक्षा एक में 34 दो में 20, तीन में 42, चार में 30 व पांच 10 बच्चों का पंजीकरण है। मौके पर मौजूद प्रधानाध्यापक नाज फात्मा की तैनाती तो उच्च प्राथमिक विद्यालय में है। वे प्राथमिक विद्यालय की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। यहां पर तैनात शिक्षक जिब्राइल बीते एक साल से चिकित्सकीय अवकाश पर हैं और शिक्षामित्र सुमन सिंह के मांगलिक कार्यक्रम में शामिल होने की बात पता चली। बच्चों के पानी पीने के लिए लगाए गए हैंडपंप से बकरी बंधी नजर आई। यानी पीने के लिए पानी की व्यवस्था अन्य स्थान से करनी पड़ती है।
प्राथमिक विद्यालय लखैया: समय 11.30 बजे: यहां 86 बच्चों का प्रवेश दर्शाया गया है।
इन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी अध्यापक कमरूद्दीन की है लेकिन वह मोबाइल पर फेसबुक का मजा ले रहे थे। यही नहीं, कक्षा में बैठने की जगह बच्चे बाहर खेल रहे थे। ऐसे अध्यापक के सहारे इन मासूमों के भविष्य का अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं। यहां बैठी रसोइया ज्ञानवती, शकीला व फातिमा बातचीत करती दिखीं।
ग्राम पंचायत उमरिया के मजरा नंदा स्थित प्राथमिक विद्यालय: समय 11.40 बजे। पंजीकृत 134 बच्चों की जगह मात्र 21 बच्चे ही मौजूद थे। प्रधानाध्यापक बांकेलाल विद्यालय से नदारद थे। बच्चों को शिक्षामित्र नंदराम व नफीस कादरी पढ़ा रहे थे। इस दौरान वे बच्चों को देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे थे। मध्याह्न भोजन चूल्हे पर बनता नजर आया, लेकिन जिस छोटे से भगोने में सभी बच्चों के लिए भोजन बनाने की बात कही गई वह गले नहीं उतर रही थी।
प्राथमिक विद्यालय कविराज गांव: समय 11.50 बजे: वैसे तो यहां लगभग सौ बच्चों के प्रवेश होने की बात पता चली पर तीन लोगों की तैनाती होने के बावजूद मौके पर कोई नहीं मिला। बच्चे पेड़ों पर धमाचौकड़ी करते नजर आए। इन्हें मना करने वाला भी कोई भी नहीं था। मौके पर इनके अध्यापन का जिम्मा इकलौते शिक्षामित्र पवन कुमार मिश्र के पास है। यहां तैनात अन्य अध्यापक महीनों से नहीं आए। प्राथमिक विद्यालय बसऊ गांव में अव्यवस्थाओं का बोलबाला नजर आया। यहां बच्चे खुले में शौच करने को मजबूर नजर आए। शिक्षा मित्र बाबूराम, शुभाशीष दास व राम प्रकाश मौजूद मिले। उन्होंने बताया कि प्रधानाध्यापक मेराज सुल्ताना की तबीयत खराब है। इसलिए वह विद्यालय नहीं आ सकीं।
जागरण संवाददाता, बहराइच : कहीं गुरुजी मोबाइल पर फेसबुक का लुत्फ उठा रहे थे तो कहीं बच्चे पढ़ाई छोड़ पेड़ों पर उछल-कूद करते नजर आए। अध्यापन कार्य का नामोनिशान नहीं। यह हाल प्राथमिक स्कूलों की शिक्षा का है, जो पेशे के प्रति अध्यापकों की उदासीनता का नमूना है। ज्यादातर विद्यालयों में पढ़ाने का कार्य शिक्षामित्र ही करते नजर आए। प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों में तैनात अध्यापकों को वेतन के रूप में मोटी रकम मिलने के बावजूद विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे दिखा। कहीं प्रस्तुत है ‘संतोष श्रीवास्तव’ की आंखोंदेखी रिपोर्ट-
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मौके पर मौजूद प्रधानाध्यापक नाज फात्मा की तैनाती तो उच्च प्राथमिक विद्यालय में है। वे प्राथमिक विद्यालय की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। यहां पर तैनात शिक्षक जिब्राइल बीते एक साल से चिकित्सकीय अवकाश पर हैं और शिक्षामित्र सुमन सिंह के मांगलिक कार्यक्रम में शामिल होने की बात पता चली। बच्चों के पानी पीने के लिए लगाए गए हैंडपंप से बकरी बंधी नजर आई।
यानी पीने के लिए पानी की व्यवस्था अन्य स्थान से करनी पड़ती है। 1-प्राथमिक विद्यालय लखैया। समय 11.30 बजे। यहां 86 बच्चों का प्रवेश दर्शाया गया है। इन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी अध्यापक कमरूद्दीन की है लेकिन वह मोबाइल पर फेसबुक का मजा ले रहे थे। यही नहीं, कक्षा में बैठने की जगह बच्चे बाहर खेल रहे थे। ऐसे अध्यापक के सहारे इन मासूमों के भविष्य का अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं। यहां बैठी रसोइया ज्ञानवती, शकीला व फातिमा बातचीत करती दिखीं।
ग्राम पंचायत उमरिया के मजरा नंदा स्थित प्राथमिक विद्यालय: समय 11.40 बजे। पंजीकृत 134 बच्चों की जगह मात्र 21 बच्चे ही मौजूद थे। प्रधानाध्यापक बांकेलाल विद्यालय से नदारद थे। बच्चों को शिक्षामित्र नंदराम व नफीस कादरी पढ़ा रहे थे। इस दौरान वे बच्चों को देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे थे। मध्याह्न भोजन चूल्हे पर बनता नजर आया, लेकिन जिस छोटे से भगोने में सभी बच्चों के लिए भोजन बनाने की बात कही गई वह गले नहीं उतर रही थी।
प्राथमिक विद्यालय कविराज गांव: समय 11.50 बजे: वैसे तो यहां लगभग सौ बच्चों के प्रवेश होने की बात पता चली पर तीन लोगों की तैनाती होने के बावजूद मौके पर कोई नहीं मिला। बच्चे पेड़ों पर धमाचौकड़ी करते नजर आए। इन्हें मना करने वाला भी कोई भी नहीं था। मौके पर इनके अध्यापन का जिम्मा इकलौते शिक्षामित्र पवन कुमार मिश्र के पास है। यहां तैनात अन्य अध्यापक महीनों से नहीं आए। प्राथमिक विद्यालय बसऊ गांव में अव्यवस्थाओं का बोलबाला नजर आया। यहां बच्चे खुले में शौच करने को मजबूर नजर आए। शिक्षा मित्र बाबूराम, शुभाशीष दास व राम प्रकाश मौजूद मिले। उन्होंने बताया कि प्रधानाध्यापक मेराज सुल्ताना की तबीयत खराब है। इसलिए वह विद्यालय नहीं आ सकीं।-प्राथमिक विद्यालय शंकरपुर लक्ष्मनपुर मटेरा। सुबह के 11.10 बज चुके हैं। विद्यालय में बमुश्किल 25-30 छात्र मौजूद थे। यहां पहुंचने पर पता चलता है कि विद्यालय में 136 बच्चे पंजीकृत हैं, जिनमें कक्षा एक में 34 दो में 20, तीन में 42, चार में 30 व पांच 10 बच्चों का पंजीकरण है। मौके पर मौजूद प्रधानाध्यापक नाज फात्मा की तैनाती तो उच्च प्राथमिक विद्यालय में है। वे प्राथमिक विद्यालय की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। यहां पर तैनात शिक्षक जिब्राइल बीते एक साल से चिकित्सकीय अवकाश पर हैं और शिक्षामित्र सुमन सिंह के मांगलिक कार्यक्रम में शामिल होने की बात पता चली। बच्चों के पानी पीने के लिए लगाए गए हैंडपंप से बकरी बंधी नजर आई। यानी पीने के लिए पानी की व्यवस्था अन्य स्थान से करनी पड़ती है।
प्राथमिक विद्यालय लखैया: समय 11.30 बजे: यहां 86 बच्चों का प्रवेश दर्शाया गया है।
इन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी अध्यापक कमरूद्दीन की है लेकिन वह मोबाइल पर फेसबुक का मजा ले रहे थे। यही नहीं, कक्षा में बैठने की जगह बच्चे बाहर खेल रहे थे। ऐसे अध्यापक के सहारे इन मासूमों के भविष्य का अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं। यहां बैठी रसोइया ज्ञानवती, शकीला व फातिमा बातचीत करती दिखीं।
ग्राम पंचायत उमरिया के मजरा नंदा स्थित प्राथमिक विद्यालय: समय 11.40 बजे। पंजीकृत 134 बच्चों की जगह मात्र 21 बच्चे ही मौजूद थे। प्रधानाध्यापक बांकेलाल विद्यालय से नदारद थे। बच्चों को शिक्षामित्र नंदराम व नफीस कादरी पढ़ा रहे थे। इस दौरान वे बच्चों को देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे थे। मध्याह्न भोजन चूल्हे पर बनता नजर आया, लेकिन जिस छोटे से भगोने में सभी बच्चों के लिए भोजन बनाने की बात कही गई वह गले नहीं उतर रही थी।
प्राथमिक विद्यालय कविराज गांव: समय 11.50 बजे: वैसे तो यहां लगभग सौ बच्चों के प्रवेश होने की बात पता चली पर तीन लोगों की तैनाती होने के बावजूद मौके पर कोई नहीं मिला। बच्चे पेड़ों पर धमाचौकड़ी करते नजर आए। इन्हें मना करने वाला भी कोई भी नहीं था। मौके पर इनके अध्यापन का जिम्मा इकलौते शिक्षामित्र पवन कुमार मिश्र के पास है। यहां तैनात अन्य अध्यापक महीनों से नहीं आए। प्राथमिक विद्यालय बसऊ गांव में अव्यवस्थाओं का बोलबाला नजर आया। यहां बच्चे खुले में शौच करने को मजबूर नजर आए। शिक्षा मित्र बाबूराम, शुभाशीष दास व राम प्रकाश मौजूद मिले। उन्होंने बताया कि प्रधानाध्यापक मेराज सुल्ताना की तबीयत खराब है। इसलिए वह विद्यालय नहीं आ सकीं।
जागरण संवाददाता, बहराइच : कहीं गुरुजी मोबाइल पर फेसबुक का लुत्फ उठा रहे थे तो कहीं बच्चे पढ़ाई छोड़ पेड़ों पर उछल-कूद करते नजर आए। अध्यापन कार्य का नामोनिशान नहीं। यह हाल प्राथमिक स्कूलों की शिक्षा का है, जो पेशे के प्रति अध्यापकों की उदासीनता का नमूना है। ज्यादातर विद्यालयों में पढ़ाने का कार्य शिक्षामित्र ही करते नजर आए। प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों में तैनात अध्यापकों को वेतन के रूप में मोटी रकम मिलने के बावजूद विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे दिखा। कहीं प्रस्तुत है ‘संतोष श्रीवास्तव’ की आंखोंदेखी रिपोर्ट-
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