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बेरोजगारी दूर करने को अपनाएं देसी मॉडल

बेरोजगारी दूर करना है तो विदेसी नहीं देसी मॉडल अपनाने होंगे। एफडीआइ और कारपोरेट मॉडल से रोजगार नहीं बढ़ेगा, बल्कि बेरोजगारी आएगी। सिटीजन्स फॉर डेमोक्रेसी द्वारा साधना सदन में रविवार को आयोजित
‘बढ़ती बेरोजगारी चुनौती एवं समाधान’ विषय पर हुए सेमिनार में डॉ. कृष्ण स्वरूप आनंदी ने यह बातें कही।
कहा कि वर्तमान स्थिति में सुधार के लिए प्राकृतिक संसाधनों जल, जंगल और जमीन की रक्षा करनी होगी। 1अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि शिक्षा और रोजगार को विक्रेंदीकरण से बचाना होगा। आज नवजवानों को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से शिकार बनाया जा रहा है।
 कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था का 80 प्रतिशत पैसा कारपोरेट सेक्टर में जा रहा है जबकि कृषि क्षेत्र में पैसा नगण्य है। जिसके कारण इस क्षेत्र में रोजगार खत्म हो गया है। 1द्वितीय सत्र में ‘भूमंडलीकरण और संस्कृति’ विषय पर चर्चा हुई। मुख्यवक्ता प्रो. ललित जोशी ने कहा कि आज वैश्विक संस्कृति पूंजीपतियों द्वारा फैलाई जा रही है, जो एक छलावा है। यह औद्योगिक क्रांति से प्रभावित है जो हमें ¨हसा की ओर ले जाती है। कहा कि पूंजीवादियों द्वारा रिमोटेड इस संस्कृति ने सृजन और कल्पना को संकुचित कर दिया है। 1मुख्य अतिथि एनडी पंचोली ने कश्मीर समस्या का हल बातचीत के आधार पर करने पर जोर दिया। कहा कि युद्ध से स्थिति और विकट होगी। अध्यक्षता कर रहे प्रो. अली अहमद फातमी ने कहा कि हमें हंिदूोस्तानियत को जिंदा रखने के लिए अपनी सभ्यता व संस्कृति को बचाना होगा। शिनू निगम ने रोमिला थापर एवं नयन तारा सहगल का संदेश पढ़ा। संयोजन अविनाश मिश्र व संचालन आनंद मालवीय ने किया। इस दौरान रविकिरन जैन, फखुल करीम, जफर बख्त, परिमल चतुर्वेदी, डॉ. शाहनवाज आलम, अंशू मालवीय, उत्पल, प्रो. शमसुल इस्लाम, प्रो. संतोष भदौरिया मौजूद रहे।


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