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यूपी बोर्ड: इसलिए कंप्यूटर से परीक्षा केंद्र निर्धारण दरकिनार

कंप्यूटर से परीक्षा केंद्र बनाने की पहल पर एक बार फिर यूपी बोर्ड अपने कदम आगे बढ़ाने के बाद ठहर गया। तीसरी बार ऐसी कोशिश नाकाम हुई है। माना जा रहा है कि इस बार भी यह योजना नकल माफिया के दबाव में दरकिनार कर दी गई।
वैसे जिलों में तैनात अधिकारी खुद भी नहीं चाहते कि केंद्र निर्धारण से उनका नियंत्रण हटे। एशिया की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाओं में केंद्रों को लेकर हमेशा ही खेल होता रहा है। यहां तक की ऐन वक्त पर काली सूची में डाले गए विद्यालय भी परीक्षा केंद्र बना दिए जाते हैं। केंद्र निर्धारण के लिए नीति पहले से स्पष्ट है और समय-समय पर इसमें संशोधन भी होता रहता है लेकिन अधिकारी इसमें अपने हिसाब से हेर-फेर कर लेते हैं।
 नकल के ठेकेदार अपने हिसाब से केंद्र बनाते हैं ताकि छात्रों को सहूलियत मिल सके। चूंकि प्रभावशाली नेताओं और अधिकारियों के भी विद्यालय हैं इसलिए भी कोई नहीं चाहता कि कंप्यूटर से परीक्षा केंद्र बनाया जाए। बोर्ड के सूत्रों के अनुसार कंप्यूटर से परीक्षा केंद्रों को लेकर मनमानी नहीं की जा सकती। वह निश्चित नियमों के आधार पर बिना भेदभाव के निर्धारण करेगा। इससे नकल माफिया की गतिविधियों पर अंकुश लग जाएगा। अभी नकल माफिया पहले से ही पंजीकरण कराकर अपने छात्रों को मनचाहे केंद्र पर परीक्षा दिला कर पास करा लेते हैं। कहीं-कहीं सामूहिक नकल के मामले भी प्रकाश में आते हैं। इसी को देखते हुए यह योजना तैयार भी की गई थी लेकिन संकल्प की कमी आड़े आ गई। वैसे बोर्ड ने परीक्षा केंद्रों का ब्यौरा वेबसाइट पर डालने की बात कहकर अपने बचाव की कोशिश की है। इसके लिए साफ्टवेयर भी तैयार कराया जाएगा। जिला विद्यालय निरीक्षक केंद्रों का प्रस्ताव बनाकर उसमें अपलोड करेंगे और जिला स्तरीय और फिर मंडल स्तरीय समिति से उस पर अनुमोदन लिया जाएगा। व्यवस्था यही पहले भी थी लेकिन अब इसमें नये के नाम केंद्रों का ऑनलाइन होना ही होगा।

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