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कई जिलों में शिक्षकों के आड़ में लिपिकों की नियुक्ति, शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी के प्रकरण आहिस्ता-आहिस्ता उजागर

 शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी के प्रकरण आहिस्ता-आहिस्ता उजागर होने लगे हैं। गंभीर शिकायतों के बाद भी शासन व वरिष्ठ अफसरों ने भर्ती प्रक्रिया की जांच नहीं कराई है, लेकिन विभागीय अफसरों ने अभिलेख जांचें तो स्याह प्रकरण दिखने लगे।
तमाम जिलों में नियुक्ति विज्ञापन, अनुभव एवं योग्यता जांचने में खानापूरी के मामलों की भरमार है। वहीं कई जिलों में तो बिना निर्देश के ही लिपिकों को नियुक्ति मिली है। ऐसे बेसिक शिक्षा अधिकारियों पर जल्द ही कार्रवाई करने की तैयारी है।
प्रदेश के अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने को न्यूनतम मानक के तहत शैक्षिक पदों को भरने के आदेश 2015 में हुए। पहले अशासकीय सहायता प्राप्त 2888 जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों की कमी सामने आई थी। शासन ने पदों की संख्या तय करने के बजाए सीधी भर्ती से न्यूनतम मानक पूरा करने का आदेश दिया। शिक्षा निदेशक बेसिक डीबी शर्मा ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सीधी भर्ती करने के लिए पहले 31 मार्च, 2016 तक की मियाद तय की थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो सकी। बाद में इसे बढ़ाकर 31 जुलाई, 2016 किया गया। बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने इन भर्तियों में जमकर मनमानी की। अफसरों ने 800 नियुक्तियां की हैं। इसमें 147 प्रधानाध्यापक व 653 सहायक अध्यापक हैं। बेसिक शिक्षा के अपर निदेशक विनय कुमार पांडेय ने बताया कि शासन ने एक विद्यालय में प्रधानाध्यापक, चार सहायक अध्यापक का मानक पूरा किए जाने के निर्देश थे। उनमें तमाम नियुक्तियां हुई हैं।

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