Wednesday 5 October 2016

दीपक मिश्रा को मामले को डिले करना , सरकार के बहानो को मानने से इंकार करना , हमारे लिए जीत की गारंटी

आज सुबह 10:36 बजे कोर्ट न.4 में माननीय दीपक मिश्र व् यू यू ललित की बेंच में आइटम न.1 पर अपना केस शुरू हुआ।शुरू होते ही माननीय दीपक मिश्रा जी ने हमारी फ़ाइल को हाथ से हटाते हुए 17 नवंबर की नई डेट लगाने का निर्देश दिया।
बावजूद इसके वहा उपस्थित हमारे अधिवक्ता जे पी धंदा सहित अन्य अधिवक्ता ने भी अंतरिम आर्डर को फॉलो ना करने और अपनी टेट अंकपत्र की नवम्बर में ख़त्म हो रही वैधता का मामला उठाया इस पर दीपक मिश्रा जी ने स्टेट को पीछे से कॉल किया तो स्टेट के कौंसिल ने कहा की सर आर्डर (12091) के कॉम्पलैन्स में कई तरह की दिक्कत है,
इतना सुनते ही दीपक मिश्रा ने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है,अन्य वकीलो ने कहा की सर हमारे याचियों की टेट मार्कशीट की वैधता ख़त्म हो रही है तो मिश्रा जी ने कहा इसको मैं कंसीडर कर लूंगा इसकी दिक्कत नहीं है।और सबको बाहर जाने को बोल दिया।और सब बाहर चले आये।कौर्ट में केवल इतना ही हुआ है। इसका मतलब अपने अपने दृष्टीकोण से निकाला जा रहा है।मॉर्टिन लूथर किंग ने कहा की जब तक हम हार नहीं जाते तब तक जीतने की पूरी उम्मीद कायम रहती है।मैं ये नहीं कहता की आज की कोर्ट कार्यवाही हमको हताश नहीं करती,निःसंदेह हम सब सुनवाई नहीं हो पाने से हताश है।किन्तु जब स्टेट कौंसिल ने ये कहा की 12091 सहित 24 अगस्त के आर्डर को फॉलो करने में कई दिक्कत है तो दीपक मिश्रा ने तुरंत ही सरकार की आपत्ति को स्वीकार करने से मना करके, हमारी नियुक्ति की संभावना को जस का तस कायम रखा है।अतः संयम व् धैर्य बनाये रखे।इतना जरूर है कि इसमें वक्त लग सकता है।क्योकि चाहे जो मजबूरी हो चाहे अनचाहे दीपक मिश्रा को हमारे मामले को डिले करना पड़ जाता है लेकिन सरकार के बहानो को मानने से इंकार करना हमारे लिए जीत की गारंटी जरूर देता है।
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