आने वाली 17 नवम्बर को टेट 2011 वैधता के भविष्य की रूप रेखा हो जायेगी तय

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अर्थात टेट प्रमाणपत्र की वैधता अवधि राज्य सरकार द्वारा तय की जायेगी और ये अधिकतम 7 वर्ष तक ही रहेगी। यहाँ ये स्पष्ट है कि टेट वैधता बढ़ाने का अधिकार न तो केंद्र सरकार के पास है और न ही कोर्ट के पास।
इस संबंध में हाई कोर्ट झारखण्ड, राजिस्थान, गुजरात, और बिहार आदि के टेट संबंधी दर्जनों केसो में कोर्ट द्वारा ये कहा गया कि As the role to conduct the TET had been exclusively left by the NCTE to the State Government. अर्थात एनसीटीई द्वारा टेट आयोजन (परीक्षा व प्रमाण पत्र आदि) जिम्मा केवल राज्य सरकार पर ही छोड़ा गया है। कहने का तात्पर्य यह कि टेट की वैधता सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकार ही बढ़ा सकती है और कोई नहीं।
अब बड़ा सवाल ये कि क्या राज्य सरकार टेट वैधता बढ़ाने पर सहमत होगी? इसका जवाब हमें राज्य सरकार के हलफनामे से मिल चुका है। राज्य ने अपने हलफनामे में ये साफ़ कर दिया है कि 72825 भर्ती अब पूर्ण हो चुकी है और अन्य किसी को भर्ती करने की अब कोई गुंजाईश नहीं है।
यानी टेट वैधता अवधि बढ़ाने पर राज्य सरकार कोई विचार नहीं करेगी। यहाँ एक अन्य प्रकरण जिसे सफ़ेदा के नाम से प्रचारित किया जाता है उसपर कोई विचार न करने का संकेत खुद सुप्रीम कोर्ट देता रहा है। सफ़ेदा फर्जीबाड़ा अब बीते दिनों की बात हो चुकी है, केस अब अंतिम पड़ाव पर है। जल्द ही 72825 और टेट 2011 अध्याय की समाप्ति की घोषणा सुप्रीम कोर्ट करने वाला है।
आने वाली 17 नवम्बर को इसके भविष्य की रूप रेखा तय हो जायेगी।
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