शिक्षामित्र समायोजन का मामला जब से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है तब से ही बीएड और बीटीसी बेरोजगारों के स्वयं भू आरटीई एक्टिविस्ट कहलाने वाले नेता शिक्षामित्रों को संविधान के अनुच्छेद 21क (86 वां संशोधन) के नाम पर अपने लेखों के माध्यम बच्चों की डराने की कोशिश करते रहे हैं।
आज 27 जुलाई की सुनवाई में भी तथाकथित बेरोज़गारों द्वारा 21क पर माननीय न्यायाधीश महोदय की टिप्पणी का उल्लेख उनके आलेखों में महिमामंडन के साथ किया गया है।
आइये हम उन्हें उन्ही की भाषा में वो जवाब देते हैं जो हमारे वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ कोलिन गोन्साल्विस भरी अदालत में देंगे।
हमारा जवाब:-
फरवरी 2010 में अंतिम तौर पर तैयार आरटीई एक्ट के आदर्श नियम राज्य सरकारों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करने के लिए दिशानिर्देश का काम करता है। वैसे कानून को लागू करने में ज्यादा सफलता के लिए इन नियमों में कुछ पर पुनर्विचार की जरुरत है। इस महत्वपूर्ण विषय पर गंभीर चर्चा के लिए "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह के वर्किंग ग्रुप मेंबरस रबी बहार, केसी सोनकर और साथी* इस विशेष परिवर्तन का प्रस्ताव करते है-
शिक्षकः शिक्षा का अधिकार अधिनियम 'बच्चों,' 'स्कूल' और अन्य 'अधिकारियों' को तो परिभाषित करता है लेकिन दुर्भाग्य से इसमें 'शिक्षक' का उल्लेख नहीं है। एक 'स्थायी कैडर' से सामंती नियोक्ता-कर्मचारी के संबंधों का संकेत मिलता है। आदर्श नियम की शिक्षक योग्यता निर्धारण संबंधी धारा राज्य या स्थानीय प्राधिकरण के शिक्षकों पर ही लागू होती है।
वर्तमान धारापुनर्लिखित धारा/टिप्पणी
राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण, जैसी भी स्थिति हो, शिक्षकों की नौकरी और वेतन, भत्तों के लिए नियम और शर्त तैयार करेंगे ताकि शिक्षकों का एक पेशेवर और स्थायी कैडर (संवर्ग) तैयार हो सके।
पुनर्लिखित धारा/टिप्पणी
राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण, जैसी भी स्थिति हो, इसके द्वारा नियुक्त शिक्षकों की नौकरी और वेतन, भत्तों के लिए नियम और शर्त तैयार करेंगे ताकि शिक्षकों का एक पेशेवर कैडर (संवर्ग) तैयार हो सके।
अतः माननीय न्यायाधीश महोदय आरटीई एक्ट की उक्त धारा के अधीन शिक्षामित्र नियमित शिक्षक की श्रेणी में आते हैं उन्हें शिक्षक के सामान वेतन भत्ते और समस्त सुविधाएँ पाने का अधिकार है।
राज्य ने आरटीई एक्ट अर्थात संविधान के अनुच्छेद 21क को लागू करने के लिए शिक्षामित्रों को समायोजित किया है।
शिक्षामित्रो का समायोजन आरटीई एक्ट के आलोक में वैध है।आप के समक्ष सभी साक्ष्य प्रस्तुत हैं।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
आज 27 जुलाई की सुनवाई में भी तथाकथित बेरोज़गारों द्वारा 21क पर माननीय न्यायाधीश महोदय की टिप्पणी का उल्लेख उनके आलेखों में महिमामंडन के साथ किया गया है।
आइये हम उन्हें उन्ही की भाषा में वो जवाब देते हैं जो हमारे वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ कोलिन गोन्साल्विस भरी अदालत में देंगे।
हमारा जवाब:-
फरवरी 2010 में अंतिम तौर पर तैयार आरटीई एक्ट के आदर्श नियम राज्य सरकारों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करने के लिए दिशानिर्देश का काम करता है। वैसे कानून को लागू करने में ज्यादा सफलता के लिए इन नियमों में कुछ पर पुनर्विचार की जरुरत है। इस महत्वपूर्ण विषय पर गंभीर चर्चा के लिए "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह के वर्किंग ग्रुप मेंबरस रबी बहार, केसी सोनकर और साथी* इस विशेष परिवर्तन का प्रस्ताव करते है-
शिक्षकः शिक्षा का अधिकार अधिनियम 'बच्चों,' 'स्कूल' और अन्य 'अधिकारियों' को तो परिभाषित करता है लेकिन दुर्भाग्य से इसमें 'शिक्षक' का उल्लेख नहीं है। एक 'स्थायी कैडर' से सामंती नियोक्ता-कर्मचारी के संबंधों का संकेत मिलता है। आदर्श नियम की शिक्षक योग्यता निर्धारण संबंधी धारा राज्य या स्थानीय प्राधिकरण के शिक्षकों पर ही लागू होती है।
वर्तमान धारापुनर्लिखित धारा/टिप्पणी
राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण, जैसी भी स्थिति हो, शिक्षकों की नौकरी और वेतन, भत्तों के लिए नियम और शर्त तैयार करेंगे ताकि शिक्षकों का एक पेशेवर और स्थायी कैडर (संवर्ग) तैयार हो सके।
पुनर्लिखित धारा/टिप्पणी
राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण, जैसी भी स्थिति हो, इसके द्वारा नियुक्त शिक्षकों की नौकरी और वेतन, भत्तों के लिए नियम और शर्त तैयार करेंगे ताकि शिक्षकों का एक पेशेवर कैडर (संवर्ग) तैयार हो सके।
अतः माननीय न्यायाधीश महोदय आरटीई एक्ट की उक्त धारा के अधीन शिक्षामित्र नियमित शिक्षक की श्रेणी में आते हैं उन्हें शिक्षक के सामान वेतन भत्ते और समस्त सुविधाएँ पाने का अधिकार है।
राज्य ने आरटीई एक्ट अर्थात संविधान के अनुच्छेद 21क को लागू करने के लिए शिक्षामित्रों को समायोजित किया है।
शिक्षामित्रो का समायोजन आरटीई एक्ट के आलोक में वैध है।आप के समक्ष सभी साक्ष्य प्रस्तुत हैं।
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