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बोले पेंशनर, साहब मैं जिंदा हूं: 23800 पेंशनर्स में से 2689 ने दिया जीवित होने का प्रमाणपत्र

जिला कोषागार में पहुंच कर पेंशनरों ने कहा कि साहब हम अभी जिंदा हैं। इसका प्रमाण भी स्वयं उपस्थित होकर दे रहे हैं। साल में एक बार कोषागार में पहुंच अपने जीवित होने का प्रमाण पेंशनर्स को देना पड़ता है।
वैसे तो शासन ने नियम बना दिया है कि वे कभी भी कोषागार पहुंचकर अपने जीवित होने का प्रमाण दे सकते हैं, लेकिन नवंबर व दिसंबर माह में पूर्व से ही यह कार्य उनके लिए तय है। पेंशनरों को 15 दिसंबर तक अपने जीवित होने का प्रमाण देना है। 1जिले भर में कुल पेंशनरों की संख्या 23,800 है।
इनमें शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग सहित अन्य सरकारी विभागों के पेंशनर शामिल हैं। अभी तक सिर्फ 2689 पेंशनरों ने जिला कोषागार पहुंचकर अपने जीवित होने का प्रमाण दिया है। यह कार्य अवकाश का दिन होने के बावजूद शनिवार को भी जारी रहा। यहां कई पेंशनर तो वाहन बुक कराकर कोषागार कार्यालय पहुंचे। कई पेंशनर अपने नाती पोते के साथ कार्यालय पहुंचकर अपने जीवित होने का प्रमाण दिए। पट्टी के एक पेंशनर की फोटो मैच नहीं कर रही थी। वे शिकायत लेकर कोषाधिकारी अनिल सिंह के पास पहुंचे तो पता लगा कि उन्होंने एक साल पुरानी फोटो लगा रखी थी। कोषाधिकारी ने उन्हें हाल की फोटो लगाने की बात कहकर संतुष्ट किया। 1पेंशनरों को जीवित प्रमाणपत्र देने के लिए 15 दिसंबर तक का समय दिया गया है। इस बार उनसे आधारकार्ड भी लिया जा रहा जिससे भविष्य में आन लाइन जीवित होने का प्रमाण लिया जा सके। अब तक 2689 पेंशनरों ने अपने जीवित होने का प्रमाण दिया है। 1-अनिल कुमार सिंह, जिला कोषाधिकारी।

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