सुप्रीमकोर्ट के आदेश से प्रशिक्षु शिक्षकों में मौलिक नियुक्ति की जगी उम्मीद, कोर्ट के आदेशनुसार अंतरिम आदेश का लाभ पाने वालों को काम पर रखा जाए

इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में मौलिक नियुक्ति की मांग करने वाले प्रशिक्षु शिक्षकों की मुराद जल्द ही पूरी हो सकती है। शीर्ष कोर्ट में बीते दिनों हुई सुनवाई का निर्णय अपलोड होते ही प्रशिक्षु शिक्षकों की खुशी का ठिकाना न रहा।
इसमें कहा गया है कि अंतरिम आदेश का लाभ पाने वालों को काम पर रखा जाए। प्रशिक्षु शिक्षक इसे मौलिक नियुक्ति का आदेश मान रहे हैं। उम्मीद है कि परिषद जल्द ही इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करेगा। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के रूप में नियुक्ति पाने के लिए तमाम युवाओं ने न्यायालय में याचिका दाखिल कर रखी थी। सात दिसंबर 2015 को शीर्ष कोर्ट ने निर्देश दिया था कि यदि याचिका करने वाले युवा शिक्षक बनने की अर्हता रखते हैं तो उन्हें तैनाती दी जाए। कोर्ट में उस समय याचिका करने वालों की संख्या 1100 बताई गई थी। इसके अनुपालन में परिषद ने 862 युवाओं को तदर्थ शिक्षक के रूप में तैनाती दे दी थी, क्योंकि तब तक इतने ही आवेदन प्राप्त हो सके थे। इन्हें 72825 भर्ती के तहत प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011 के रूप में नियुक्ति मिली। उनका प्रशिक्षण पूरा होने के बाद बीते नौ एवं 10 सितंबर को परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने परीक्षा कराई और उसका परिणाम बीते छह अक्टूबर को जारी किया गया है। इसमें 839 प्रशिक्षु शिक्षक सफल भी हो गए हैं, लेकिन उन्हें मौलिक नियुक्ति नहीं दी गई। अधिकारियों का कहना है कि विशेष अनुज्ञा याचिका के तहत नियुक्त 839 शिक्षकों का प्रकरण अभी शीर्ष कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए उन्हें सहायक अध्यापक पद पर तैनात करने के लिए शासन से अगला आदेश मिलने पर कार्यवाही की जाएगी। उसके बाद से प्रशिक्षु शिक्षकों ने परिषद सचिव कार्यालय के सामने बेमियादी धरना और बाद में अनशन तक किया, लेकिन परिषद से लेकर शासन तक ने उन्हें कोई राहत नहीं दी। बीते 17 नवंबर को शीर्ष कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी थी, हालांकि न्यायालय ने आगामी 22 फरवरी को अगली सुनवाई की तारीख तय की है, साथ ही यह भी कहा कि अंतरिम आदेश के तहत जिन्हें लाभ मिला उन्हें वर्क पर रखा जाए।

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