सवाल सिर्फ शिक्षामित्रों के टेट में प्रतिभाग करने का नहीं: 7 दिसम्बर को होने वाली जितेंद्र सिंह सेंगर की याचिका की सुनवाई में जिन सवालों का सामना शिक्षामित्रों और राज्य सरकार के वकीलों को करना होगा उनके बारे में बताते

मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप के वर्किंग ग्रुप मेंबर्स गत 3 दिनों से दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल शिक्षामित्रो से
सम्बंधित याचिकाओं के जवाब और नयी याचिकाएं दाखिल करवाने के लिए रहे। और आने वाले दिनों में इस का असर दिखेगा।
आइये अब आप को 7 दिसम्बर को होने वाली जितेंद्र सिंह सेंगर की याचिका की सुनवाई में जिन सवालों का सामना शिक्षामित्रों और राज्य सरकार के वकीलों को करना होगा उनके बारे में बताते हैं। वो सवाल ये हैं:-
1. शिक्षामित्रों को प्रशिक्षित करने वाली संस्था एससीआरटी इस प्रशिक्षण के लिए अधिकृत नहीं है। और ये बात स्वयं एनसीटीई ने स्वीकार की है।
2. शिक्षामित्र शपथ पत्र दे कर स्वयं को शासकीय कर्मचारी न बनने और समाज सेवा करने का वचन दे चुके है। ये तथ्य हाई कोर्ट ने अपने फैसले का आधार बनाये हैं अतः प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता।
3. शिक्षामित्रो के प्रशिक्षण के संबंध में हाई कोर्ट ने कहा है कि एनसीटीई ने खुद स्वीकार किया है कि प्रशिक्षण हमें अँधेरे में रख कर करवाया गया अतः एनसीटीई को प्रशिक्षण अवैध घोषित करना चाहिए।
4. याची द्वारा प्रशिक्षण की वैधता के संबंध में आरटीआई के माध्यम से एनसीटीई से जानकारी मांगी गई जोकि उपलब्ध नहीं कराई गई। अतः एनसीटीई भी शिक्षामित्रों को बचाने में लगी है।
5. हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने माना है है कि शिक्षामित्र प्रदेश की नियमावली 1981 के अधीन शिक्षक नहीं है ये समाज सेवी हैं अतः इनको शिक्षक प्रशिक्षण कराना अवैध है।
6. एनसीटीई के अधीन एससीआरटी दूरस्थ प्रशिक्षण करवाने के लिए अधिकृत नहीं है। अतः उसके द्वारा करवाया गया प्रशिक्षण प्रमाण पत्र अवैध है। उसे एनसीटीई को फ़र्ज़ी घोषित करना चाहिए।
7. चूँकि इनका प्रशिक्षण अवैध है अतः इनके कुछ लोगो किये गए टेट प्रमाण पत्र अवैध घोषित किये जाये और होने वाली टेट परीक्षा में प्रतिभाग करने से रोका जाए।
उपरोक्त विवरण 21 नवम्बर को जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के समक्ष आई याचिका का है। हैरत की बात है लोग कहते हैं याचिका पर बहस हुई। यदि हुई तो उपरोक्त में से किस बिंदु पर हुई, और आप के वकील ने क्या कहा? आखिर हमारे पैरवीकार सच क्यों नहीं बोलते?
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।
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