जेब भरेगी या सरकार का खजाना, नया खाता खोलने में वित्त विभाग की ना-नुकुर पर परिषद सचिव का सवाल

इलाहाबाद यूपी बोर्ड में इस साल पंजीकरण शुल्क के रूप में विद्यार्थियों से वसूले गई 13 करोड़ से अधिक रकम प्रधानाचार्यो के पास पड़ी है लेकिन वित्त विभाग बोर्ड की सचिव को यह धनराशि जमा करने के लिए नया खाता खोलने की अनुमति नहीं दे रहा है।
1माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड में परीक्षा शुल्क के साथ ही अन्य मदों में इस वर्ष बढ़ोतरी हुई है। बढ़े पंजीकरण शुल्क की 13 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि विद्यालयों में रखी है। इस धन को सुरक्षित रखने के लिए परिषद सचिव का अलग से बैंक खाता खोला जाना है।
शासन ने शुल्क बढ़ाने व खाता खोलने को मंजूरी भी दी है, लेकिन वित्त विभाग इसके लिए तैयार नहीं है। तर्क है कि सरकारी महकमे में विभाग प्रमुख का अलग से खाता खोला जाना उचित नहीं होगा। वित्त विभाग ने चार माह पहले परिषद से तीन बिंदुओं पर जवाब मांगा था। पिछले माह फिर वित्त विभाग ने सवाल पूछे। दोनों बार परिषद सचिव ने हर बिंदु का विस्तार से जवाब भी भेजा, लेकिन अब तक खाता खोलने की अनुमति नहीं मिली है। 1यूपी बोर्ड के अफसरों ने प्रति छात्र-छात्र पंजीकरण शुल्क इस मंशा से बढ़ाया कि परिषद सचिव के खाते में जमा होने वाले 20 रुपये से अभिलेखों का डिजिटिलाइजेशन एवं कंप्यूटराइजेशन जैसे अहम कार्य हो सकेंगे, क्योंकि विभाग को अतिरिक्त धन मुहैया नहीं हो पाता है। अब परिषद सचिव शैल यादव वित्त विभाग से यह पूछने जा रही हैं कि जो धन प्रधानाचार्यो के पास जमा है उसका क्या किया जाए? इस रकम को ट्रेजरी में जमा कराएं या अभिभावकों को लौटा दें। सचिव का कहना है कि वित्तविहीन स्कूलों में यदि प्रबंधतंत्र ने प्रधानाचार्य बदला और धन का हेरफेर हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन होगा

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