चुनावी माहौल में बेसिक शिक्षा परिषद के पांच लाख शिक्षक मुसीबत में फंस गए हैं। उन्हें सातवें वेतनमान के अनुसार वेतन देने के लिए न तो बजट है और न ही इसके निर्धारण के लिए अभी तक सॉफ्टवेयर तैयार हुआ है। नतीजतन, उन्हें अभी तक जनवरी का वेतन नहीं मिल सका है।
इतना ही नहीं वेतन मद में बजट कम होने की सूचना भी समय रहते शासन को नहीं दी। नतीजतन, प्रदेश के अधिकतर जिलों में वेतन नहीं बंट पाया है।
हर महीने की 1-7 के बीच चुकानी होती है किस्त
यहां बता दें कि ज्यादातर शिक्षकों ने मकान बनाने के लिए या अन्य किसी काम के लिए बैंकों से लोन भी लिया है। उन्हें हर महीने की 1-7 तारीख के बीच किस्त चुकानी होती है। इस स्थिति के चलते उन्हें बैंकों की पेनाल्टी भी भरनी पड़ेगी।
जिलास्तरीय अधिकारी शिक्षकों को यह बताने की स्थिति में नहीं है कि उन्हें कब तक वेतन मिल पाएगा।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, सातवें वेतनमान की दरों पर सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए एनआईसी ने नौ लाख रुपये की मांग की है। इसके लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने शासन से अनुमति मांगी है।
एनआईसी को मांगी गई राशि देने के बाद सॉफ्टवेयर विकसित करने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा। यानी, शिक्षकों को मार्च में ही नए वेतनमान के अनुसार तनख्वाह मिल सकेगी।
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इतना ही नहीं वेतन मद में बजट कम होने की सूचना भी समय रहते शासन को नहीं दी। नतीजतन, प्रदेश के अधिकतर जिलों में वेतन नहीं बंट पाया है।
हर महीने की 1-7 के बीच चुकानी होती है किस्त
यहां बता दें कि ज्यादातर शिक्षकों ने मकान बनाने के लिए या अन्य किसी काम के लिए बैंकों से लोन भी लिया है। उन्हें हर महीने की 1-7 तारीख के बीच किस्त चुकानी होती है। इस स्थिति के चलते उन्हें बैंकों की पेनाल्टी भी भरनी पड़ेगी।
जिलास्तरीय अधिकारी शिक्षकों को यह बताने की स्थिति में नहीं है कि उन्हें कब तक वेतन मिल पाएगा।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, सातवें वेतनमान की दरों पर सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए एनआईसी ने नौ लाख रुपये की मांग की है। इसके लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने शासन से अनुमति मांगी है।
एनआईसी को मांगी गई राशि देने के बाद सॉफ्टवेयर विकसित करने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा। यानी, शिक्षकों को मार्च में ही नए वेतनमान के अनुसार तनख्वाह मिल सकेगी।
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