मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिये देश की कानूनी सहायता लेना आसान हो गया है । माननीय उच्चतम न्यायालय ने मध्यम आय समूह योजना लागू की है । यह आत्म समर्थन देने वाली योजना है और इसके तहत 60,000 रूपये प्रति महीने और 7,50,000 रूपये वार्षिक आय से कम आय वाले लोगों के लिये कानूनी सहायता दी जायेगी ।
उच्चतम न्यायालयों के नियमों के अनुसार न्यायालय के समक्ष याचिका केवल एडवोकेट ऑन रिकार्ड के जिरये दाखिल की जा सकती है ।
सेवा शुल्क के रूप में उच्चतम न्यायालय मध्य आय समूह कानूनी सहायता सोसायटी को 500 रूपये का भुगतान करना होगा । आवेदक को सचिव द्वारा बताई गई फीस जमा करनी होगी । यह योजना में संलग्न अनुसूची के आधार पर होगा । एमआईजी कानूनी सहायता के अंतर्गत सचिव याचिका दर्ज करेंगें और इसे पैनल में शामिल एडवोकेट ऑन रिकार्ड/दलील पेश करने वाले वकील/वरिष्ठ अधिवक्ता को भेेजेंगें ।
यदि एडवोकेट ऑन रिकार्ड इस बात से संतुष्ट हैं कि यह याचिका आगे की सुनवाई के लिये उचित है, तो सोसाइटी आवेदक के कानूनी सहायता अधिकार पर विचार करेगी । जहां तक योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये आवेदक की पात्रता का प्रश्न है याचिका के बारे में एडवोकेट ऑन रिकार्ड की राय अंतिम आय मानी जायेगी ।योजन के अंतर्गत मध्यम वर्ग के वैसे लोग जो उच्चतम न्यायालय में मुकद्दमों का खर्च नहीं उठा सकते, वे कम राशि देकर सोसायटी की सेवा ले सकते है । इस योजना के लाभ लेने के इच्छुक व्यक्ति को निर्धारित फार्म भरना होगा और इसमें शामिल सभी शर्तो को स्वीकार करना होगा ।
योजना के अनुसार याचिका के संबंध में आने वाले विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिये आकस्मिक निधि बनाई जायेगी । याचिका की स्वीकृति के स्तर तक आवेदक को इस आकस्मिक निधि में से 750 रूपये जमा करने होंगें । यह सोसायटी में जमा किये गये शुल्क के अतिरिक्त होगा । यदि एडवोकेट ऑन रिकार्ड यह समझते है कि याचिका आगे अपील की सुनवाई योग्य नहीं है तो समिति द्वारा लिये गये न्यूनतम सेवा शुल्क 750 रपूये घटाकर पूरी राशि चैक से आवेदक को लौटा दी जायेगी ।
यदि योजना के अन्तर्गत नियुक्त अधिवक्ता सौंपे गये केस के मामले में लापरवाह माने जाते है तो उन्हें आवेदक से प्राप्त फीस के साथ केस को वापस करना है । इस लापरवाही की जिम्मेदारी सोसायटी पर नहीं होगी और मवक्कील से जूड़े अधिवक्ता की पूरी जिम्मेदारी होगा । अधिवक्ता का नाम पैनल से समाप्त कर दिया जाएगा । समाज के कम आय वर्ग के लोगों के लिये याचिका दाखिल करने के कास को सहज बनाने के लिये माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह योजना लागू की है ।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
- उत्तर प्रदेश में जल्द ही सत्ता परिवर्तन , यह निश्चित रूप से आगामी सुनवाई पर आपके हित में : मयंक तिवारी
- Blog editor : सुनवाई न होने से याचियों का कोई नुकसान नही हुआ बल्कि भविष्य में लाभ ही छुपा है
- न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्न उठना लाजमी है वो भी सुनवाई करने से इस तरह से इनकार कर देना वाकई आम पीड़ित के लिए एक चिंता का विषय: हिमांशु राणा
- नए विग्यापन पर भर्ती के लिए डाली गई हमारी परमादेश पर सुनवाई 28 फरबरी को
- कई बार केस की सुनवाई के लिये पर्याप्त समय होने के बाद भी न्यायाधीश सुनवाई में रुचि क्यूँ नहीं लेते?? इतना तय है कि नई सरकार समाजवादियो़ की नहीं होगी
उच्चतम न्यायालयों के नियमों के अनुसार न्यायालय के समक्ष याचिका केवल एडवोकेट ऑन रिकार्ड के जिरये दाखिल की जा सकती है ।
सेवा शुल्क के रूप में उच्चतम न्यायालय मध्य आय समूह कानूनी सहायता सोसायटी को 500 रूपये का भुगतान करना होगा । आवेदक को सचिव द्वारा बताई गई फीस जमा करनी होगी । यह योजना में संलग्न अनुसूची के आधार पर होगा । एमआईजी कानूनी सहायता के अंतर्गत सचिव याचिका दर्ज करेंगें और इसे पैनल में शामिल एडवोकेट ऑन रिकार्ड/दलील पेश करने वाले वकील/वरिष्ठ अधिवक्ता को भेेजेंगें ।
यदि एडवोकेट ऑन रिकार्ड इस बात से संतुष्ट हैं कि यह याचिका आगे की सुनवाई के लिये उचित है, तो सोसाइटी आवेदक के कानूनी सहायता अधिकार पर विचार करेगी । जहां तक योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये आवेदक की पात्रता का प्रश्न है याचिका के बारे में एडवोकेट ऑन रिकार्ड की राय अंतिम आय मानी जायेगी ।योजन के अंतर्गत मध्यम वर्ग के वैसे लोग जो उच्चतम न्यायालय में मुकद्दमों का खर्च नहीं उठा सकते, वे कम राशि देकर सोसायटी की सेवा ले सकते है । इस योजना के लाभ लेने के इच्छुक व्यक्ति को निर्धारित फार्म भरना होगा और इसमें शामिल सभी शर्तो को स्वीकार करना होगा ।
योजना के अनुसार याचिका के संबंध में आने वाले विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिये आकस्मिक निधि बनाई जायेगी । याचिका की स्वीकृति के स्तर तक आवेदक को इस आकस्मिक निधि में से 750 रूपये जमा करने होंगें । यह सोसायटी में जमा किये गये शुल्क के अतिरिक्त होगा । यदि एडवोकेट ऑन रिकार्ड यह समझते है कि याचिका आगे अपील की सुनवाई योग्य नहीं है तो समिति द्वारा लिये गये न्यूनतम सेवा शुल्क 750 रपूये घटाकर पूरी राशि चैक से आवेदक को लौटा दी जायेगी ।
यदि योजना के अन्तर्गत नियुक्त अधिवक्ता सौंपे गये केस के मामले में लापरवाह माने जाते है तो उन्हें आवेदक से प्राप्त फीस के साथ केस को वापस करना है । इस लापरवाही की जिम्मेदारी सोसायटी पर नहीं होगी और मवक्कील से जूड़े अधिवक्ता की पूरी जिम्मेदारी होगा । अधिवक्ता का नाम पैनल से समाप्त कर दिया जाएगा । समाज के कम आय वर्ग के लोगों के लिये याचिका दाखिल करने के कास को सहज बनाने के लिये माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह योजना लागू की है ।
- परिस्थितियां इसलिए कठिन नही कि एक डेट का बोझिल इंतजार हमारे हिस्से आया बल्कि..................
- सुप्रीम कोर्ट में केस के पूरा दिन लगने के बाद भी सुनवाई का ना होना निराशाजनक अवश्य था किंतु कुछ भी आपके विरुद्ध नही : मयंक तिवारी
- सातवें वेतन आयोग की सिफारिश : ग्रेच्युटी सीमा 20 लाख तक करने के प्रस्ताव पर सभी सहमत
- यह झूठ शायद 72825 को बहुत भारी पड़ता अगर 22 फरवरी को पूरे दिन सुनवाई चलती : पूर्णेश शुक्ल महाकाल
- Social Media : हिमांशु सिंह राणा ने सीनियर अधिवक्ता शेयर नाफङे के नाम पर किया धोखा
- महत्वपूर्ण :----आगामी डेट सोमवार या मंगल वार तक ही स्पष्ठ हो पायेगी
- सर्वोच्च न्यायालय में 22 Feb के अप्रत्याशित घटना क्रम के पश्चात् निराशा का माहौल
- शिक्षा मित्र तभी तक बचे हुए हैं जब तक जज साहब सुनना नही चाहते : मोहम्मद अरशद, बीटीसी लीडर
- निराशा चरम पर है और निराश होना स्वाभाविक भी है क्योंकि................द्विवेदी विवेक
- नए विग्यापन पर भर्ती के लिए डाली गई हमारी परमादेश पर सुनवाई 28 फरबरी को
- दिन भर टकटकी लगाए रहे 1.70 शिक्षामित्र , नही आया फैसला , मामला नये बेंच गठन तक टला
- हिमांशु राणा अपडेट: मेरे निम्न बिन्दुओं पर समस्त चयनित - अचयनित और कोई भी टीम ध्यान दें
- डेट पर डेट देने वाले जजों पर लगेगा जुर्माना ! सरकार इस बारे में उच्चतम न्यायालय से रही है विचार
- कोर्ट में जज ने श्री राम जेठ मलानी से पूछा की आप कैसे आये ? इस पर मलानी सर ने कहा कि हम शिक्षामित्र केस पर आया हूँ
- UPTET और शिक्षामित्र केस में त्वरित न्याय हेतु अति संगठन अतिशीघ्र बेंच का गठन कराये एवं नजदीक की तारीख निश्चित करवाये या अर्जेंसी डेट लगवाये
- न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्न उठना लाजमी है वो भी सुनवाई करने से इस तरह से इनकार कर देना वाकई आम पीड़ित के लिए एक चिंता का विषय: हिमांशु राणा
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines