Breaking Posts

Top Post Ad

कानूनी सहायता : निम्न व मध्यम वर्ग के लिये याचिका दाखिल करना हुआ आसान

मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिये देश की कानूनी सहायता लेना आसान हो गया है । माननीय उच्चतम न्यायालय ने मध्यम आय समूह योजना लागू की है । यह आत्म समर्थन देने वाली योजना है और इसके तहत 60,000 रूपये प्रति महीने और 7,50,000 रूपये वार्षिक आय से कम आय वाले लोगों के लिये कानूनी सहायता दी जायेगी ।


सोसासटी पंजीकरण अधिनियम 1860(2) के अन्तर्गत सोसायटी के प्रबंधन का दायित्व गवर्निंग बॉडी के सदस्यों को दिया गया है । गवर्निंग बॉडी में भारत के प्रधान न्यायाधीश संरक्षक होंगें । अटार्नी जनरल पदेन उपाध्यक्ष होंगें और उच्चतम न्यायालय के अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सदस्य होंगें ।
उच्चतम न्यायालयों के नियमों के अनुसार न्यायालय के समक्ष याचिका केवल एडवोकेट ऑन रिकार्ड के जिरये दाखिल की जा सकती है ।
सेवा शुल्क के रूप में उच्चतम न्यायालय मध्य आय समूह कानूनी सहायता सोसायटी को 500 रूपये का भुगतान करना होगा । आवेदक को सचिव द्वारा बताई गई फीस जमा करनी होगी । यह योजना में संलग्न अनुसूची के आधार पर होगा । एमआईजी कानूनी सहायता के अंतर्गत सचिव याचिका दर्ज करेंगें और इसे पैनल में शामिल एडवोकेट ऑन रिकार्ड/दलील पेश करने वाले वकील/वरिष्ठ अधिवक्ता को भेेजेंगें ।
यदि एडवोकेट ऑन रिकार्ड इस बात से संतुष्ट हैं कि यह याचिका आगे की सुनवाई के लिये उचित है, तो सोसाइटी आवेदक के कानूनी सहायता अधिकार पर विचार करेगी । जहां तक योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये आवेदक की पात्रता का प्रश्न है याचिका के बारे में एडवोकेट ऑन रिकार्ड की राय अंतिम आय मानी जायेगी ।योजन के अंतर्गत मध्यम वर्ग के वैसे लोग जो उच्चतम न्यायालय में मुकद्दमों का खर्च नहीं उठा सकते, वे कम राशि देकर सोसायटी की सेवा ले सकते है । इस योजना के लाभ लेने के इच्छुक व्यक्ति को निर्धारित फार्म भरना होगा और इसमें शामिल सभी शर्तो को स्वीकार करना होगा ।
योजना के अनुसार याचिका के संबंध में आने वाले विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिये आकस्मिक निधि बनाई जायेगी । याचिका की स्वीकृति के स्तर तक आवेदक को इस आकस्मिक निधि में से 750 रूपये जमा करने होंगें । यह सोसायटी में जमा किये गये शुल्क के अतिरिक्त होगा । यदि एडवोकेट ऑन रिकार्ड यह समझते है कि याचिका आगे अपील की सुनवाई योग्य नहीं है तो समिति द्वारा लिये गये न्यूनतम सेवा शुल्क 750 रपूये घटाकर पूरी राशि चैक से आवेदक को लौटा दी जायेगी ।
यदि योजना के अन्तर्गत नियुक्त अधिवक्ता सौंपे गये केस के मामले में लापरवाह माने जाते है तो उन्हें आवेदक से प्राप्त फीस के साथ केस को वापस करना है । इस लापरवाही की जिम्मेदारी सोसायटी पर नहीं होगी और मवक्कील से जूड़े अधिवक्ता की पूरी जिम्मेदारी होगा । अधिवक्ता का नाम पैनल से समाप्त कर दिया जाएगा । समाज के कम आय वर्ग के लोगों के लिये याचिका दाखिल करने के कास को सहज बनाने के लिये माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह योजना लागू की है ।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

No comments:

Post a Comment

Facebook