इलाहाबाद : दो खंडपीठों के बीच मत भिन्नता के मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की फुल बेंच कर रही है। प्रकरण सरकारी नौकरियों से जुड़ा होने के कारण फैसला नजीर भी बनेगा। असल में सरकारी नौकरियों में जाति प्रमाणपत्र आवेदन की तारीख समाप्त होने के बाद जमा किए जाने के मामले में हाईकोर्ट की फुल बेंच में सुनवाई जारी है।
में सुनवाई कर रही है। राज्य का पक्ष रख रहे स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिजरोया केस में पारित निर्णय इस मामले में लागू नहीं होगा। यदि आवेदन की तारीख बीतने के बाद जाति प्रमाणपत्र स्वीकार किया जाएगा तो इसका अर्थ होगा कि चयन प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होगी। आवेदन की अंतिम तारीख इसलिए रखी जाती है, ताकि सभी आवेदन फार्म प्राप्त होने के बाद उनकी जांच कर वैध अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए बुलाया जा सके। यदि अंतिम तारीख के बाद भी जाति प्रमाणपत्र जमा होते रहे तो उनकी जांच का मौका नहीं मिलेगा। याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता चंद्रकला चतुर्वेदी, मनीषा चतुर्वेदी आदि का कहना था कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि जाति प्रमाणपत्र कब जमा किया गया है। गिजरोया केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जाति प्रमाणपत्र अंतिम तारीख के बाद भी जमा किये जा सकते हैं। पीठ इस प्रकरण पर कई प्रश्नों पर विचार कर रही है।
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में सुनवाई कर रही है। राज्य का पक्ष रख रहे स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिजरोया केस में पारित निर्णय इस मामले में लागू नहीं होगा। यदि आवेदन की तारीख बीतने के बाद जाति प्रमाणपत्र स्वीकार किया जाएगा तो इसका अर्थ होगा कि चयन प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होगी। आवेदन की अंतिम तारीख इसलिए रखी जाती है, ताकि सभी आवेदन फार्म प्राप्त होने के बाद उनकी जांच कर वैध अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए बुलाया जा सके। यदि अंतिम तारीख के बाद भी जाति प्रमाणपत्र जमा होते रहे तो उनकी जांच का मौका नहीं मिलेगा। याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता चंद्रकला चतुर्वेदी, मनीषा चतुर्वेदी आदि का कहना था कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि जाति प्रमाणपत्र कब जमा किया गया है। गिजरोया केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जाति प्रमाणपत्र अंतिम तारीख के बाद भी जमा किये जा सकते हैं। पीठ इस प्रकरण पर कई प्रश्नों पर विचार कर रही है।
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