अटेंशन प्लीज!!
सुप्रीम कोर्ट का लिखित आदेश वेबसाइट पर अपडेट हो चुका है। आदेश कुल चार भागों में है।
दूसरे भाग में SPECIAL LEAVE PETITION (C) NO. 14386 OF2015पर 8पेज का आदेश आया है। यह याचिका स्नातक में कम अंक होने पर परास्नातक के प्राप्तांकों के आधार पर बीएड करने वाले अभ्यर्थियों की तरफ से थी। जिसमें कोर्ट ने कहा है कि "In view of fair stand of learned Additional Solicitor Generaland the view of Rajasthan and Uttarakhand High Courts, we donot find any reason to deny similar relief to the appellants. Nodoubt, as rightly held by the High Court the NCTE ought to have
issued a clarification by way of a supplementary notification butthe NCTE may now do so within one month from today.Accordingly, we direct that if the appellants or any other similarlyplaced persons are entitled to any further relief in terms ofjudgments of Rajasthan and Uttarakhand High Courts, they will beat liberty to put forward their claim before the concernedauthorities who may take a decision thereon in accordance with
law within one month. We have not examined any such claim inthese proceedings except what has been stated hereinabove." याचिका की प्रार्थना स्वीकार्य की है और उन्हें लाभ मिल गया है।
आदेश के तीसरे भाग में शिक्षामित्रों से सम्बंधित SPECIAL LEAVE PETITION (Civil) No. 32599 OF व् अन्य सभी जुडी हुई याचिका पर आदेश आया है। WP244 भी इसी में टेग है। 66पेज के इस आदेश में कहा है कि "Regularization of Shiksha Mitras as teacher was not permissible. In view of this legal position, our answer are obvious. We do not find any error in the view taken by the High Court" अर्थात सुप्रीम कोर्ट न्यायधीश डी बाई चन्द्रचूड़ जी के आदेश से अक्षरशः सहमत है।
"Question now is whether in absence of any right in favour ofShiksha Mitras, they are entitled to any other relief or preference.
In the peculiar fact situation, they ought to be given opportunityto be considered for recruitment if they have acquired or they
now acquire the requisite qualification in terms of advertisementsfor recruitment for next two consecutive recruitments. They mayalso be given suitable age relaxation and some weightage fortheir experience as may be decided by the concerned authority.Till they avail of this opportunity, the State is at liberty to continuethem as Shiksha Mitras on same terms on which they wereworking prior to their absorption, if the State so decides."
अर्थात शिक्षामित्रों का समायोजन तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है। राज्य सरकार अगली दो प्रक्रियाओं में उन्हें आयु में छूट देते हुए व अनुभव का कुछ भारांक देते हुए एक मौका ओर प्रदान करे तब तक राज्य सरकार चाहे तो उनसे शिक्षामित्र के रूप में कार्य ले सकती है।"
आदेश के चौथे भाग में SPECIAL LEAVE PETITION (CIVIL) NO. …. CC 13922 OF 2016 व् अन्य जुडी हुई याचिकाओं पर आदेश हुआ है। WP167 इसी के साथ टेग है। 10पेज के इस आदेश में कहा है कि "We have already dealt with the matter in Civil Appeal Nos.4347-4375 of 2014 entitled State of U.P. and ors. versus ShivKumar Pathak and Ors. and held that weightage to the TETmarks was not mandatory and the State rules, not being inconflict with the norms laid down by the NCTE, may not be held tobe void on the ground of repugnancy." अर्थात टेट का वेटेज देना बाध्यकारी नही है।
संक्षेप में यही कहूंगा कि विज्ञापन 30/11/11 से हुई भर्तियाँ सुरक्षित है। टेट का वेटेज बाध्यकारी नही है तो गुणांक मेरिट से हुई सभी भर्तियाँ भी सुरक्षित है। शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने से 1लाख 37हजार पद तो रिक्त हुए है लेकिन आर्टिकल 32 के आधार पर दाखिल हुई किसी भी याचिका पर कोई राहत कोर्ट द्वारा प्रदान नही की है। आदेश के पहले भाग की अंतिम पंक्ति में इतना अवश्य लिखा है कि "We make it clear that the State is atliberty to fill up the remaining vacancies in accordance with lawafter issuing a fresh advertisement. रिक्त पदों को खुली प्रतियोगिता से भरा जाये।"
धन्यवाद!
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सुप्रीम कोर्ट का लिखित आदेश वेबसाइट पर अपडेट हो चुका है। आदेश कुल चार भागों में है।
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दूसरे भाग में SPECIAL LEAVE PETITION (C) NO. 14386 OF2015पर 8पेज का आदेश आया है। यह याचिका स्नातक में कम अंक होने पर परास्नातक के प्राप्तांकों के आधार पर बीएड करने वाले अभ्यर्थियों की तरफ से थी। जिसमें कोर्ट ने कहा है कि "In view of fair stand of learned Additional Solicitor Generaland the view of Rajasthan and Uttarakhand High Courts, we donot find any reason to deny similar relief to the appellants. Nodoubt, as rightly held by the High Court the NCTE ought to have
issued a clarification by way of a supplementary notification butthe NCTE may now do so within one month from today.Accordingly, we direct that if the appellants or any other similarlyplaced persons are entitled to any further relief in terms ofjudgments of Rajasthan and Uttarakhand High Courts, they will beat liberty to put forward their claim before the concernedauthorities who may take a decision thereon in accordance with
law within one month. We have not examined any such claim inthese proceedings except what has been stated hereinabove." याचिका की प्रार्थना स्वीकार्य की है और उन्हें लाभ मिल गया है।
आदेश के तीसरे भाग में शिक्षामित्रों से सम्बंधित SPECIAL LEAVE PETITION (Civil) No. 32599 OF व् अन्य सभी जुडी हुई याचिका पर आदेश आया है। WP244 भी इसी में टेग है। 66पेज के इस आदेश में कहा है कि "Regularization of Shiksha Mitras as teacher was not permissible. In view of this legal position, our answer are obvious. We do not find any error in the view taken by the High Court" अर्थात सुप्रीम कोर्ट न्यायधीश डी बाई चन्द्रचूड़ जी के आदेश से अक्षरशः सहमत है।
"Question now is whether in absence of any right in favour ofShiksha Mitras, they are entitled to any other relief or preference.
In the peculiar fact situation, they ought to be given opportunityto be considered for recruitment if they have acquired or they
now acquire the requisite qualification in terms of advertisementsfor recruitment for next two consecutive recruitments. They mayalso be given suitable age relaxation and some weightage fortheir experience as may be decided by the concerned authority.Till they avail of this opportunity, the State is at liberty to continuethem as Shiksha Mitras on same terms on which they wereworking prior to their absorption, if the State so decides."
अर्थात शिक्षामित्रों का समायोजन तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है। राज्य सरकार अगली दो प्रक्रियाओं में उन्हें आयु में छूट देते हुए व अनुभव का कुछ भारांक देते हुए एक मौका ओर प्रदान करे तब तक राज्य सरकार चाहे तो उनसे शिक्षामित्र के रूप में कार्य ले सकती है।"
आदेश के चौथे भाग में SPECIAL LEAVE PETITION (CIVIL) NO. …. CC 13922 OF 2016 व् अन्य जुडी हुई याचिकाओं पर आदेश हुआ है। WP167 इसी के साथ टेग है। 10पेज के इस आदेश में कहा है कि "We have already dealt with the matter in Civil Appeal Nos.4347-4375 of 2014 entitled State of U.P. and ors. versus ShivKumar Pathak and Ors. and held that weightage to the TETmarks was not mandatory and the State rules, not being inconflict with the norms laid down by the NCTE, may not be held tobe void on the ground of repugnancy." अर्थात टेट का वेटेज देना बाध्यकारी नही है।
संक्षेप में यही कहूंगा कि विज्ञापन 30/11/11 से हुई भर्तियाँ सुरक्षित है। टेट का वेटेज बाध्यकारी नही है तो गुणांक मेरिट से हुई सभी भर्तियाँ भी सुरक्षित है। शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त होने से 1लाख 37हजार पद तो रिक्त हुए है लेकिन आर्टिकल 32 के आधार पर दाखिल हुई किसी भी याचिका पर कोई राहत कोर्ट द्वारा प्रदान नही की है। आदेश के पहले भाग की अंतिम पंक्ति में इतना अवश्य लिखा है कि "We make it clear that the State is atliberty to fill up the remaining vacancies in accordance with lawafter issuing a fresh advertisement. रिक्त पदों को खुली प्रतियोगिता से भरा जाये।"
धन्यवाद!
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