शिक्षामित्रो को बड़ा झटका, समायोजन पूरी तरह से रद्द।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 25 बाते का इस्तेमाल किया।
फैसले की पांच मोटी बाते, क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने :
1. एक तरफ, हमारे पास 1.78 लाख व्यक्तियों का दावा है दूसरी ओर कानून का शासन बनाए रखने और 6 से 14 वर्ष के उम्र के बच्चों के योग्य शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए अधिकार का भी ध्यान रखना है।
2. इस कानूनी स्थिति को देखते हुए , हमारे जवाब स्पष्ट हैं की उच्च न्यायालय द्वारा दिए गये फैसले में हमें कोई त्रुटि नहीं मिली।
3. शिक्षामित्रो का शिक्षकों के रूप में का समायोजन गैर कानूनी था क्यूंकि 2010 से ही सहायक अध्यापक बनने के लिए टीईटी अनिवार्य हो गया था।
4. प्रश्न यह है कि क्या शिक्षामित्र के पक्ष में किसी भी अधिकार की अनुपस्थिति में, शिक्षामित्रो का क्या होगा वे कहाँ जायेंगे, अजीब तथ्य की स्थिति में, उन्हें लगातार दो भर्तीयो के आवेदन में उनके अनुभव तथा उनकी आयु के अनुसार कुछ छूट देनी चाहिए। लेकिन उन्हें कितनी छूट दी जाए यह हम खुद तय न करते हुए इसका फैसला राज्य सरकार के हाथ में छोड़ते हैं।
5. फ़िलहाल शिक्षामित्रो का क्या भविष्य है, यह राज्य सरकार का निर्णय होगा वह शिक्षामित्रो को लगाये रखना चाहे या वेतन बढाना चाहे या उनके लिए कोई कानून बनाना चाहे यह आखिरी फैसला सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकार के हाथ में है यह निर्णय उसका रहेगा।
नोट: कुछ लोग अब भी कंफ्यूज हैं की सुप्रीम कोर्ट ने कहा क्या है ? तो सादे लफ्जो में समझलें की
1. अब शिक्षामित्र वो वेतन नहीं पा सकेंगे जो उन्हें अभी तक मिल रहा था और जब नई भर्ती निकलेंगी सहायक अध्यापक के पदों के लिए तो उन्हें नये सिरे से अवेदन करना होगा
2. आवेदन करने के लिए उसकी योग्य पात्रता होनी अनिवार्य होगी जैसे टीईटी क्लियर होना चाहिए। मेरिट लिस्ट लगेगी अगर मेरिट लिस्ट में उसका नाम आता है तभी वो सहायक अध्यापक बन पायेगा अन्यथा नहीं।
3. लेकिन इस भर्ती में शिक्षामित्रो को एक खास वरियता छूट दी जाएगी जो कि राज्य सरकार द्वारा तय होगी। छूट आयु तथा अनुभव के अनुसार होगी।
4. एक बात और यह छूट केवल आने वाली दो भर्तीयो के लिए ही मन्य होगी।
5. साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने बहुत कुछ उत्तर प्रदेश सरकार के हाथो में छोड़ दिया यानी यदि उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षामित्रो का साथ दे तो शिक्षामित्रो का भविष्य अब भी बच सकता है।
Solution:
शिक्षामित्रो के पास अब दो तरीके हैं इस मसले से बाहर निकलने के लिए
1. सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करना।
2. उत्तर प्रदेश सरकार को अपने हक में लेना।
उत्तर प्रदेश सरकार क्या क्या कर सकती है:
1. सबसे पहले जब तक शिक्षामित्रो का समायोजन न हो जाए तब तक 'सामान कार्य सामान वेतन' के अंतर्गत शिक्षामित्रो को ३५०० के बजाये समान वेतन ३९००० दे सकती है।
2. टीईटी परीक्षा में शिक्षामित्रो को अनुभव तथा आयु के आधार पर पासिंग मार्क्स में छूट या शिक्षामित्रो के लिए विशेष तौर पर टीईटी का आयोजन।
3. सहायक अध्यापक की नई भर्तीयां जल्दी से जल्दी निकलना तथा उसमे भर्तीयो की संख्या अधिकतम रखना।
4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की शिक्षामित्रो को छूट दी जाएगी लेकिन छूट कितनी दी जाएगी यह निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार का होगा अत: उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षामित्रो को अधिकतम छूट दे सकती है।
5. सबसे पावरफुल कार्य जो राज्य सरकार कर सकती वह 'शिक्षामित्रो के हक में बिल' पारित करना। तमिलनाडु में जलीकट्टू के मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद वहां राज्य सरकार ने जनता की इच्छा का ख्याल रखते हुए बिल लाया गया था। ऐसे में योगी सरकार भी शिक्षामित्रों के समायोजन करने के लिए इसी तरह के कदम उठाए जा सकते है।
नोट: अत:
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 25 बाते का इस्तेमाल किया।
फैसले की पांच मोटी बाते, क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने :
1. एक तरफ, हमारे पास 1.78 लाख व्यक्तियों का दावा है दूसरी ओर कानून का शासन बनाए रखने और 6 से 14 वर्ष के उम्र के बच्चों के योग्य शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए अधिकार का भी ध्यान रखना है।
2. इस कानूनी स्थिति को देखते हुए , हमारे जवाब स्पष्ट हैं की उच्च न्यायालय द्वारा दिए गये फैसले में हमें कोई त्रुटि नहीं मिली।
3. शिक्षामित्रो का शिक्षकों के रूप में का समायोजन गैर कानूनी था क्यूंकि 2010 से ही सहायक अध्यापक बनने के लिए टीईटी अनिवार्य हो गया था।
4. प्रश्न यह है कि क्या शिक्षामित्र के पक्ष में किसी भी अधिकार की अनुपस्थिति में, शिक्षामित्रो का क्या होगा वे कहाँ जायेंगे, अजीब तथ्य की स्थिति में, उन्हें लगातार दो भर्तीयो के आवेदन में उनके अनुभव तथा उनकी आयु के अनुसार कुछ छूट देनी चाहिए। लेकिन उन्हें कितनी छूट दी जाए यह हम खुद तय न करते हुए इसका फैसला राज्य सरकार के हाथ में छोड़ते हैं।
5. फ़िलहाल शिक्षामित्रो का क्या भविष्य है, यह राज्य सरकार का निर्णय होगा वह शिक्षामित्रो को लगाये रखना चाहे या वेतन बढाना चाहे या उनके लिए कोई कानून बनाना चाहे यह आखिरी फैसला सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकार के हाथ में है यह निर्णय उसका रहेगा।
नोट: कुछ लोग अब भी कंफ्यूज हैं की सुप्रीम कोर्ट ने कहा क्या है ? तो सादे लफ्जो में समझलें की
1. अब शिक्षामित्र वो वेतन नहीं पा सकेंगे जो उन्हें अभी तक मिल रहा था और जब नई भर्ती निकलेंगी सहायक अध्यापक के पदों के लिए तो उन्हें नये सिरे से अवेदन करना होगा
2. आवेदन करने के लिए उसकी योग्य पात्रता होनी अनिवार्य होगी जैसे टीईटी क्लियर होना चाहिए। मेरिट लिस्ट लगेगी अगर मेरिट लिस्ट में उसका नाम आता है तभी वो सहायक अध्यापक बन पायेगा अन्यथा नहीं।
3. लेकिन इस भर्ती में शिक्षामित्रो को एक खास वरियता छूट दी जाएगी जो कि राज्य सरकार द्वारा तय होगी। छूट आयु तथा अनुभव के अनुसार होगी।
4. एक बात और यह छूट केवल आने वाली दो भर्तीयो के लिए ही मन्य होगी।
5. साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने बहुत कुछ उत्तर प्रदेश सरकार के हाथो में छोड़ दिया यानी यदि उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षामित्रो का साथ दे तो शिक्षामित्रो का भविष्य अब भी बच सकता है।
Solution:
शिक्षामित्रो के पास अब दो तरीके हैं इस मसले से बाहर निकलने के लिए
1. सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करना।
2. उत्तर प्रदेश सरकार को अपने हक में लेना।
उत्तर प्रदेश सरकार क्या क्या कर सकती है:
1. सबसे पहले जब तक शिक्षामित्रो का समायोजन न हो जाए तब तक 'सामान कार्य सामान वेतन' के अंतर्गत शिक्षामित्रो को ३५०० के बजाये समान वेतन ३९००० दे सकती है।
2. टीईटी परीक्षा में शिक्षामित्रो को अनुभव तथा आयु के आधार पर पासिंग मार्क्स में छूट या शिक्षामित्रो के लिए विशेष तौर पर टीईटी का आयोजन।
3. सहायक अध्यापक की नई भर्तीयां जल्दी से जल्दी निकलना तथा उसमे भर्तीयो की संख्या अधिकतम रखना।
4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की शिक्षामित्रो को छूट दी जाएगी लेकिन छूट कितनी दी जाएगी यह निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार का होगा अत: उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षामित्रो को अधिकतम छूट दे सकती है।
5. सबसे पावरफुल कार्य जो राज्य सरकार कर सकती वह 'शिक्षामित्रो के हक में बिल' पारित करना। तमिलनाडु में जलीकट्टू के मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद वहां राज्य सरकार ने जनता की इच्छा का ख्याल रखते हुए बिल लाया गया था। ऐसे में योगी सरकार भी शिक्षामित्रों के समायोजन करने के लिए इसी तरह के कदम उठाए जा सकते है।
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