पीसीएस 2017 परीक्षा प्रदेश के 21 जिलों में: 24 सितंबर को दो पालियों में होगा इम्तिहान , परीक्षा के एडमिट कार्ड आयोग की वेबसाइट पर

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा 24 सितंबर को कराने जा रहा है। इस बार प्रतियोगी आयोग से बड़ी उम्मीद लगाए थे कि प्रदेश की सत्ता में हुए बदलाव का असर परीक्षा की तैयारियों में दिखेगा, लेकिन पहले चरण में ही उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
पहले परीक्षा केंद्रों के आवंटन में मनमाने तरीके से अभ्यर्थियों को पुराने र्ढे पर सुदूर जिलों में भेज दिया गया है इससे प्रतियोगी परेशान हैं। अब परीक्षा केंद्रों की हालत देखकर वह और व्यथित हो गए हैं। ऐसे स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है, जहां तक आसानी से पहुंचा ही नहीं जा सकता है। यह हाल सिर्फ एक शहर का नहीं है, बल्कि अधिकांश शहरों में ऐसा ही किया गया है। लखनऊ के एमडी कांवेंट कालेज गौरभीत की फोटो के साथ मंगलवार को आयोग के सचिव को शिकायत की गई है। प्रतियोगी मोर्चा के अवनीश पांडेय ने कहा है कि यह कालेज सीतापुर रोड के फैजुल्लागंज इलाके का है, कालेज तक पहुंचने का दुरुस्त रास्ता तक नहीं है। उन्होंने बताया कि परीक्षा केंद्र निर्धारण में मनमानी की शुरुआत 2012 से पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के समय से हुई थी। इसका कारण अपने चहेतों को मनचाहा सेंटर दिलवाना रहा है। यह प्रक्रिया अब तक चल रही है। आयोग अध्यक्ष को इस संबंध में कई बार ज्ञापन दिए जा चुके हैं और अभ्यर्थियों ने उनसे मिलकर भी केंद्र निर्धारण की समस्या समाप्त करने का अनुरोध किया था, लेकिन हुआ कुछ नहीं। गलत केंद्र बनने की वजह से ही 2012 के बाद के अधिकांश प्रारंभिक परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हुए हैं। वह चाहे पीसीएस 2015 रहा हो या फिर आरओ-एआरओ 2016। आयोग पेपर लीक की घटनाओं को सिरे से नकारता रहा है, जबकि हजरतगंज थाने में एफआइआर तक दर्ज है। प्रतियोगियों ने पूर्व की घटनाओं पर कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही परीक्षा केंद्र आवंटन में विकल्प मांगने की सुविधा देने की मांग फिर तेज हुई है। साथ ही केंद्रों पर नियमावली के अनुसार वर्तमान या फिर पूर्व शिक्षक, वर्तमान या फिर पूर्व अधिकारी को ही कक्ष निरीक्षक बनाया जाए। यही नहीं परीक्षा केंद्र के बाहर अभ्यर्थियों के सामान व मोबाइल आदि की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, जो परीक्षा केंद्र सर्वसुलभ नहीं है उन्हें निरस्त किया जाए।राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा 24 सितंबर को कराने जा रहा है। इस बार प्रतियोगी आयोग से बड़ी उम्मीद लगाए थे कि प्रदेश की सत्ता में हुए बदलाव का असर परीक्षा की तैयारियों में दिखेगा, लेकिन पहले चरण में ही उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। पहले परीक्षा केंद्रों के आवंटन में मनमाने तरीके से अभ्यर्थियों को पुराने र्ढे पर सुदूर जिलों में भेज दिया गया है इससे प्रतियोगी परेशान हैं। अब परीक्षा केंद्रों की हालत देखकर वह और व्यथित हो गए हैं। ऐसे स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है, जहां तक आसानी से पहुंचा ही नहीं जा सकता है। यह हाल सिर्फ एक शहर का नहीं है, बल्कि अधिकांश शहरों में ऐसा ही किया गया है। लखनऊ के एमडी कांवेंट कालेज गौरभीत की फोटो के साथ मंगलवार को आयोग के सचिव को शिकायत की गई है। प्रतियोगी मोर्चा के अवनीश पांडेय ने कहा है कि यह कालेज सीतापुर रोड के फैजुल्लागंज इलाके का है, कालेज तक पहुंचने का दुरुस्त रास्ता तक नहीं है। उन्होंने बताया कि परीक्षा केंद्र निर्धारण में मनमानी की शुरुआत 2012 से पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव के समय से हुई थी। इसका कारण अपने चहेतों को मनचाहा सेंटर दिलवाना रहा है। यह प्रक्रिया अब तक चल रही है। आयोग अध्यक्ष को इस संबंध में कई बार ज्ञापन दिए जा चुके हैं और अभ्यर्थियों ने उनसे मिलकर भी केंद्र निर्धारण की समस्या समाप्त करने का अनुरोध किया था, लेकिन हुआ कुछ नहीं। गलत केंद्र बनने की वजह से ही 2012 के बाद के अधिकांश प्रारंभिक परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हुए हैं। वह चाहे पीसीएस 2015 रहा हो या फिर आरओ-एआरओ 2016। आयोग पेपर लीक की घटनाओं को सिरे से नकारता रहा है, जबकि हजरतगंज थाने में एफआइआर तक दर्ज है। प्रतियोगियों ने पूर्व की घटनाओं पर कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही परीक्षा केंद्र आवंटन में विकल्प मांगने की सुविधा देने की मांग फिर तेज हुई है। साथ ही केंद्रों पर नियमावली के अनुसार वर्तमान या फिर पूर्व शिक्षक, वर्तमान या फिर पूर्व अधिकारी को ही कक्ष निरीक्षक बनाया जाए। यही नहीं परीक्षा केंद्र के बाहर अभ्यर्थियों के सामान व मोबाइल आदि की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, जो परीक्षा केंद्र सर्वसुलभ नहीं है उन्हें निरस्त किया जाए।

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