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शिक्षामित्रों को अगस्त से 10 हजार मानदेय: साथ ही कैबिनेट में 1.37 लाख समायोजित शिक्षामित्रों की मूल पद पर वापसी का फैसला

खनऊ 1योगी सरकार ने अपनी पूर्व घोषणा पर अमल करते हुए शिक्षक पद पर समायोजित किये गए 1.37 लाख शिक्षामित्रों को पहली अगस्त 2017 से उनके मूल पद पर वापस करने का फैसला किया है।
इसके साथ ही सरकार ने पहली अगसत से ही प्रदेश के 165157 शिक्षामित्रों का मासिक मानदेय 3500 रुपये से बढ़ाकर दस हजार रुपये करने का निर्णय किया है।

मंगलवार को लोकभवन में योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि समायोजित शिक्षामित्रों को उनके मूल पद पर वापस करने के लिए उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। इस फैसले के बाद शिक्षक पद पर समायोजित किए गए 1.37 लाख शिक्षामित्र पहली अगस्त से मूल पद पर वापस हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की शिक्षामित्रों के साथ पूरी सहानुभूति है। शिक्षामित्रों को 11 माह मानदेय मिलेगा।
शिक्षक भर्ती में मिलेगा वेटेज
कैबिनेट ने शिक्षामित्रों को शिक्षकों की भर्ती में वेटेज (भारांक) देने के लिए भी नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती में प्रत्येक वर्ष की सेवा के लिए 2.5 अंक और अधिकतम 25 अंक तक, इनमें से जो भी कम हो, वेटेज दिया जाएगा।

जूनियर हाईस्कूलों में गणित-विज्ञान शिक्षकों की सीधी भर्ती बंद
परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों में गणित और विज्ञान शिक्षकों के 50 फीसद सृजित पदों को सीधी भर्ती से भरे जाने की व्यवस्था को भी सरकार ने खत्म करने का निर्णय किया है। जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों के पद प्रमोशन से भरे जाते हैं लेकिन इनमें गणित और विज्ञान शिक्षकों के पद बड़ी संख्या मे रिक्त होने के कारण अखिलेश सरकार ने 50 फीसद पदों को सीधी भर्ती से भरने का निर्णय किया था। इस फैसले के तहत गणित और विज्ञान शिक्षकों के 29334 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी जिसमें से 26115 पद भरे जा चुके हैं। सीधी भर्ती के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में सरकार ने अब सीधी भर्ती की व्यवस्था को खत्म करने का निर्णय किया है। इसके लिए भी उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन करने का फैसला किया गया है।

आरटीई नियमावली में शामिल होंगे लर्निग आउटकम्स:
परिषदीय स्कूलों में पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों से उनकी कक्षा के अनुरूप पढ़ाई को सीखने-समझने के अपेक्षित स्तर को मानक (लर्निग आउटकम्स) की शक्ल देकर उन्हें उप्र निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 में शामिल करने का सरकार ने फैसला किया है। इसके लिए नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। लर्निग आउटकम्स को वैधानिक दर्जा देकर शिक्षकों को इसके लिए जिम्मेदार बनाना चाहती है।
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