लाइव हिन्दुस्तान टीम , मेरठ बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार के मेरठ के मंच से कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार की तरह यूपी में योगी सरकार भी हवा-हवाई साबित हुई है।
यूपी में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। भ्रष्टाचार बढ़ गया है। कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ मजाक किया जा रहा है। शिक्षामित्रों के मामले में प्रदेश सरकार की नियत साफ होती तो उन्हें रोजगार देती।
राज्यसभा से इस्तीफे के बाद मायावती मेरठ के वेदव्यासपुरी मैदान में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के 71 विधानसभा क्षेत्रों से आए कार्यकर्ताओं और समर्थकों को सम्बोधित कर रही थीं। मायावती ने केन्द्र और प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा पूरी तरह आरएसएस और हिन्दुत्व के एजेंडे पर काम कर रही है। गरीब, अल्पसंख्यक ओर दलितों का उत्पीड़न हो रहा है। रोहित वेमुला कांड और गुजरात का ऊना कांड इसके उदाहरण हैं। जब सहारनपुर के शब्बीरपुर में दलितों का उत्पीड़न हुआ और वह संसद में बोलना चाहती थी मगर बोलने नहीं दिया गया। मजबूरी में मुझे इस्तीफा देना पड़ा। चुनाव में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई, जिसका खामियाजा सभी विपक्षी पार्टियों को भुगतना पड़ा।
उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जब ईवीएम में गड़बड़ी हुई तब देश की जनता में कांग्रेस के प्रति बड़ा गुस्सा था, जिसकी वजह से ईवीएम की गड़बड़ी उजागर नहीं हो पाई। अब हम चुप बैठने वाले नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सहारनपुर के शब्बीरपुर में महाराणा प्रताप की जयंती पर हुए मामूली विवाद को भाजपा सरकार ने वर्ग संघर्ष का रूप दे दिया। जब यह बात खुल गई तो उस दलित संगठन पर दिखाने के लिए कार्रवाई भी की। दलितों का भारी उत्पीड़न हुआ। भाजपा सरकार चाहती थी कि मायावती शब्बीरपुर पहुंचेगी तो अपने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए उत्तेजित करने वाले भाषण देंगी ओर लोग जोश में हिंसक हो जाएंगे। इसकी आड़ में मेरी हत्या करने की साजिश रची गई थी। मायावती ने कहा कि मैंने सूझबूझ का परिचय दिया और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय पर अपना भाषण केंद्रित रखा। इससे भाजपा का गेम प्लान फ्लॉप हो गया। अंबेडकर को भी अपनी बात रखने के लिए कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। दलितों के हित में मैंने भी राज्यसभा से इस्तीफा दे दे दिया।
आरक्षण खत्म करना चाहती है भाजपा सरकार : मायावती बोलीं कि भाजपा की सरकार आज दलितों और ओबीसी का आरक्षण खत्म करना चाहती है। सारे उपक्रमों को निजी क्षेत्र में दिया जा रहा है, जहां पहले से ही आरक्षण नहीं है। पिछड़ों को आरक्षण दिलाने में उनकी पार्टी की बड़ी भूमिका रही है। वीपी सिंह की सरकार में उन्होंने बाहर से समर्थन दिया और मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने की शर्त रखी। दूसरी शर्त डॉक्टर अंबेडकर को भारत रत्न की ओर तीसरी सर्च राम मंदिर बनाने के लिए रथयात्रा लेकर निकले आडवाणी को यूपी में नहीं घुसने देने की थी। बीपी सिंह ने तीनों शर्त मानीं। बाहर से समर्थन दे रही बीजेपी ने वीपी सिंह की सरकार को गिरा दिया था। बीजेपी ने पूरे देश में मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू होने का विरोध किया था। आज देश में दलितों आदिवासियों की तरह ओबीसी का भी उत्पीड़न हो रहा है। सरकारी नौकरियों में लाखों पद खाली पड़े हैं। 1995 में जब हमारी सरकार बनी थी तो दलितों-पिछड़ों अल्पसंख्यकों का नौकरियों में विशेष ध्यान रखा गया था।
भाजपा के समय में राजनीति का अपराधीकरण हुआ : मायावती ने कहा कि भाजपा के समय में राजनीति का अपराधीकरण हो गया है। पुलिस बदमाशों को पकड़कर लाती है और भाजपा के लोग थानों से उनको जबरन छुड़ाकर ले जाते हैं। गौरक्षा के नाम से लोगों पर जुल्म किया जा रहा है। दहशत में लोगों ने गाय खरीदना और बेचना ही बंद कर दिया है। बसपा की सरकार में कभी ऐसा नहीं हुआ। अपराधियों पर अंकुश लगाया गया। जिसने भी कानून हाथ में लिया, उसके खिलाफ कार्रवाई की गई। दलित, पिछड़े, मुस्लिम-अल्पसंख्यक परेशान हैं। बसपा ने सर्व समाज के विकास और उनकी रक्षा के लिए काम किया। किसी के साथ कोई राजनीतिक द्वेष नहीं रखा। भाजपा की सरकार में हर दुखी है। प्रदेश का विकास ठप हो गया है। कर्जमाफी के नाम पर किसानों का एक रुपया और 20 पैसा माफ किया जा रहा है। किसी मामले में भाजपा सरकार की मंशा ठीक नहीं है। शिक्षामित्रों के मामले में प्रदेश सरकार की नियत साफ होती तो उन्हें रोजगार देती। बढ़ती महंगाई पर चिंता जताते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के फैसलों से देश की जनता तृस्त है।
आरएसएस के एजेंडे से समाज को करें सावधान : अपने भाषण में मायावती ने किसान, मजदूर, बेरोजगार, दलित, पिडड़े, नौजवान, अल्पसंख्य, महिलाएं सबको साधने की कोशिश की। कार्यकर्ताओं से कहा कि भाजपा को फिर से सत्ता में आने से रोकने के लिए आरएसएस के एजेंडे से समाज को अवगत कराएं। भाजपा के साम, दाम, दंड, भेद और उनके हवा हवाई वादों से सावधान रहें।
बसपा सम्मेलन में उमड़ी भीड़, मेरठ में लगा जाम : बसपा के सम्मेलन में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल से भीड़ पहुंची। इसकी वजह से शहर में
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यूपी में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। भ्रष्टाचार बढ़ गया है। कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ मजाक किया जा रहा है। शिक्षामित्रों के मामले में प्रदेश सरकार की नियत साफ होती तो उन्हें रोजगार देती।
राज्यसभा से इस्तीफे के बाद मायावती मेरठ के वेदव्यासपुरी मैदान में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के 71 विधानसभा क्षेत्रों से आए कार्यकर्ताओं और समर्थकों को सम्बोधित कर रही थीं। मायावती ने केन्द्र और प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा पूरी तरह आरएसएस और हिन्दुत्व के एजेंडे पर काम कर रही है। गरीब, अल्पसंख्यक ओर दलितों का उत्पीड़न हो रहा है। रोहित वेमुला कांड और गुजरात का ऊना कांड इसके उदाहरण हैं। जब सहारनपुर के शब्बीरपुर में दलितों का उत्पीड़न हुआ और वह संसद में बोलना चाहती थी मगर बोलने नहीं दिया गया। मजबूरी में मुझे इस्तीफा देना पड़ा। चुनाव में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई, जिसका खामियाजा सभी विपक्षी पार्टियों को भुगतना पड़ा।
उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जब ईवीएम में गड़बड़ी हुई तब देश की जनता में कांग्रेस के प्रति बड़ा गुस्सा था, जिसकी वजह से ईवीएम की गड़बड़ी उजागर नहीं हो पाई। अब हम चुप बैठने वाले नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सहारनपुर के शब्बीरपुर में महाराणा प्रताप की जयंती पर हुए मामूली विवाद को भाजपा सरकार ने वर्ग संघर्ष का रूप दे दिया। जब यह बात खुल गई तो उस दलित संगठन पर दिखाने के लिए कार्रवाई भी की। दलितों का भारी उत्पीड़न हुआ। भाजपा सरकार चाहती थी कि मायावती शब्बीरपुर पहुंचेगी तो अपने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए उत्तेजित करने वाले भाषण देंगी ओर लोग जोश में हिंसक हो जाएंगे। इसकी आड़ में मेरी हत्या करने की साजिश रची गई थी। मायावती ने कहा कि मैंने सूझबूझ का परिचय दिया और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय पर अपना भाषण केंद्रित रखा। इससे भाजपा का गेम प्लान फ्लॉप हो गया। अंबेडकर को भी अपनी बात रखने के लिए कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। दलितों के हित में मैंने भी राज्यसभा से इस्तीफा दे दे दिया।
आरक्षण खत्म करना चाहती है भाजपा सरकार : मायावती बोलीं कि भाजपा की सरकार आज दलितों और ओबीसी का आरक्षण खत्म करना चाहती है। सारे उपक्रमों को निजी क्षेत्र में दिया जा रहा है, जहां पहले से ही आरक्षण नहीं है। पिछड़ों को आरक्षण दिलाने में उनकी पार्टी की बड़ी भूमिका रही है। वीपी सिंह की सरकार में उन्होंने बाहर से समर्थन दिया और मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने की शर्त रखी। दूसरी शर्त डॉक्टर अंबेडकर को भारत रत्न की ओर तीसरी सर्च राम मंदिर बनाने के लिए रथयात्रा लेकर निकले आडवाणी को यूपी में नहीं घुसने देने की थी। बीपी सिंह ने तीनों शर्त मानीं। बाहर से समर्थन दे रही बीजेपी ने वीपी सिंह की सरकार को गिरा दिया था। बीजेपी ने पूरे देश में मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू होने का विरोध किया था। आज देश में दलितों आदिवासियों की तरह ओबीसी का भी उत्पीड़न हो रहा है। सरकारी नौकरियों में लाखों पद खाली पड़े हैं। 1995 में जब हमारी सरकार बनी थी तो दलितों-पिछड़ों अल्पसंख्यकों का नौकरियों में विशेष ध्यान रखा गया था।
भाजपा के समय में राजनीति का अपराधीकरण हुआ : मायावती ने कहा कि भाजपा के समय में राजनीति का अपराधीकरण हो गया है। पुलिस बदमाशों को पकड़कर लाती है और भाजपा के लोग थानों से उनको जबरन छुड़ाकर ले जाते हैं। गौरक्षा के नाम से लोगों पर जुल्म किया जा रहा है। दहशत में लोगों ने गाय खरीदना और बेचना ही बंद कर दिया है। बसपा की सरकार में कभी ऐसा नहीं हुआ। अपराधियों पर अंकुश लगाया गया। जिसने भी कानून हाथ में लिया, उसके खिलाफ कार्रवाई की गई। दलित, पिछड़े, मुस्लिम-अल्पसंख्यक परेशान हैं। बसपा ने सर्व समाज के विकास और उनकी रक्षा के लिए काम किया। किसी के साथ कोई राजनीतिक द्वेष नहीं रखा। भाजपा की सरकार में हर दुखी है। प्रदेश का विकास ठप हो गया है। कर्जमाफी के नाम पर किसानों का एक रुपया और 20 पैसा माफ किया जा रहा है। किसी मामले में भाजपा सरकार की मंशा ठीक नहीं है। शिक्षामित्रों के मामले में प्रदेश सरकार की नियत साफ होती तो उन्हें रोजगार देती। बढ़ती महंगाई पर चिंता जताते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के फैसलों से देश की जनता तृस्त है।
आरएसएस के एजेंडे से समाज को करें सावधान : अपने भाषण में मायावती ने किसान, मजदूर, बेरोजगार, दलित, पिडड़े, नौजवान, अल्पसंख्य, महिलाएं सबको साधने की कोशिश की। कार्यकर्ताओं से कहा कि भाजपा को फिर से सत्ता में आने से रोकने के लिए आरएसएस के एजेंडे से समाज को अवगत कराएं। भाजपा के साम, दाम, दंड, भेद और उनके हवा हवाई वादों से सावधान रहें।
बसपा सम्मेलन में उमड़ी भीड़, मेरठ में लगा जाम : बसपा के सम्मेलन में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल से भीड़ पहुंची। इसकी वजह से शहर में
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