इलाहाबाद। अपने विज्ञापन से लेकर पूरी भर्ती प्रक्रिया तक हमेशा विवादों में रही 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती एक बार फिर विवादों में घिर गई है। इस भर्ती में नौकरी पाये 95 टीचरों की नौकरी जा सकती है।
मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 95 सहायक अध्यापक की नियुक्ति पर योगी सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट के समक्ष साक्ष्य दिये गये हैं कि इस भर्ती में 95 सहायक अध्यापक की नियुक्ति गलत ढंग से की गई है । हाईकोर्ट ने सभी 95 सहायक अध्यापकों को भी नोटिस भेजा है।
72,825 टीचर भर्ती : यूपी में इन शिक्षकों की जाएगी नौकरी!
डबल बेंच में हुई सुनवाई
72,825 टीचर भर्ती मामले में गलत नियुक्ति को लेकर ऋषि श्रीवास्तव व नौ अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिस पर न्यायमूर्ति अरुण टंडन एवं न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने सुनवाई शुरू की। कोर्ट के समक्ष बताया गया कि 2012 के भर्ती विज्ञापन के अनुरूप 95 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई जबकि इन्होंने 2011 भर्ती में आवेदन तक नहीं किया था। यानी चयनित अभ्यार्थी 2011 की भर्ती में शामिल नहीं थे और लेकिन बिना किसी आधार पर इन्हें चुन लिया गया।
कोर्ट ने दलील सुनने के बाद राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। साथ ही सभी चयनित अभ्यर्थियों को भी नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार बताये कि कैसे 95 सहायक अध्यापकों को चयनित किया गया जबकि इन्हें इस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
क्या है पेच
दरअसल प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती मामला - 2011 शुरू में ही कोर्ट पहुंच गया था।नवंबर में शुरू हुई यह भर्ती पूरी भी नहीं हुई थी कि सरकार ने 7 दिसंबर 2012 को एक और भर्ती शुरू कर दी। 2011 भर्ती मामले में कटऑफ को लेकर भी विवाद हुआ था। तब सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के 70 फीसदी व आरक्षित वर्ग अभ्यर्थियों के 65 फीसदी अंक पानेवालों की नियुक्ति देने का आदेश दिया था।
इसी आदेश को आधार बनाकर सरकार ने 2012 की भर्ती में शामिल 95 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी जिसे अब हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2011 की भर्ती पर आदेश दिया था। ऐसे में 2012 की भर्ती से 95 सहायक अध्यापकों का चयन सही नहीं है।
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मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 95 सहायक अध्यापक की नियुक्ति पर योगी सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट के समक्ष साक्ष्य दिये गये हैं कि इस भर्ती में 95 सहायक अध्यापक की नियुक्ति गलत ढंग से की गई है । हाईकोर्ट ने सभी 95 सहायक अध्यापकों को भी नोटिस भेजा है।
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72,825 टीचर भर्ती मामले में गलत नियुक्ति को लेकर ऋषि श्रीवास्तव व नौ अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिस पर न्यायमूर्ति अरुण टंडन एवं न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने सुनवाई शुरू की। कोर्ट के समक्ष बताया गया कि 2012 के भर्ती विज्ञापन के अनुरूप 95 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई जबकि इन्होंने 2011 भर्ती में आवेदन तक नहीं किया था। यानी चयनित अभ्यार्थी 2011 की भर्ती में शामिल नहीं थे और लेकिन बिना किसी आधार पर इन्हें चुन लिया गया।
कोर्ट ने दलील सुनने के बाद राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। साथ ही सभी चयनित अभ्यर्थियों को भी नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार बताये कि कैसे 95 सहायक अध्यापकों को चयनित किया गया जबकि इन्हें इस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
क्या है पेच
दरअसल प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 72,825 सहायक अध्यापक भर्ती मामला - 2011 शुरू में ही कोर्ट पहुंच गया था।नवंबर में शुरू हुई यह भर्ती पूरी भी नहीं हुई थी कि सरकार ने 7 दिसंबर 2012 को एक और भर्ती शुरू कर दी। 2011 भर्ती मामले में कटऑफ को लेकर भी विवाद हुआ था। तब सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के 70 फीसदी व आरक्षित वर्ग अभ्यर्थियों के 65 फीसदी अंक पानेवालों की नियुक्ति देने का आदेश दिया था।
इसी आदेश को आधार बनाकर सरकार ने 2012 की भर्ती में शामिल 95 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी जिसे अब हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2011 की भर्ती पर आदेश दिया था। ऐसे में 2012 की भर्ती से 95 सहायक अध्यापकों का चयन सही नहीं है।
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