बीएड बेरोजगार बहकावे में न आएं, अपनी अक्ल लगाएं

मैनपुरी। वित्तविहीन कॉलेजों के संचालक एकबार फिर से बीएड, बेरोजगारों को नौकरी के नाम पर लुभावने सपने दिखाने लगे हैं। जैसे ही सरकार द्वारा निजी कॉलेजों के शिक्षकों का विवरण ऑनलाइन मांगे जाने का आदेश जारी किया गया, वैसे ही कालेजों में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया तेज हो गई।
शासन द्वारा वित्तविहीन कॉलेजों के शिक्षक-शिक्षिकाओं तथा प्रधानाचार्यों की जानकारी मांगी गई है। दो लाख से लेकर पांच लाख रुपये तक की शिक्षक बनाने के नाम पर मांग शुरू हो गई है।
कहा जा रहा है कि सरकार समान कार्य के लिए समान वेतन योजना लागू करने जा रही है। इसके लिए वित्तविहीन कॉलेजों के शिक्षक-शिक्षिकाओं के नाम मांगे जा रहे हैं। निजी कालेज संचालक पहले से पढ़ा रहे शिक्षकों को निकालकर बीएड बेरोजगारों की नई भर्ती कर उनसे धन उगाई कर रहे हैं। विभाग को इसकी कानों कान खबर तक नहीं है। मैनपुरी। पूर्व में अखिलेश सरकार ने जब वित्तविहीन कॉलेजों के शिक्षकों को मानदेय निर्धारण का निर्णय लिया था तब भी निजी कालेज संचालकों ने जमकर बीएड बेरोजगारों से धन उगाई की।

बीएड बेरोजगारों से दो लाख से चार लाख तक रुपये जमा कराए गए और कहा कि गया कि अब सरकार उन्हें 50 से 60 हजार रुपया मानदेय देगी लेकिन अखिलेश सरकार ने मात्र एक हजार रुपया मानदेय जारी किया। पूर्व में अखिलेश सरकार दौरान वर्ष 2010 से पहले की मान्यता प्राप्त करने वाले 200 कॉलेजों के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को मानदेय का लाभ दिया गया था। अब माना जा रहा है कि 2010 से पहले वाले ही 200 कालेजों के लगभग 2500 शिक्षकों को ये लाभ मिल सकेगा। विभाग ने प्रबंधकों को वित्तविहीन कालेजों के प्रधानाचार्यों और शिक्षक- शिक्षिकाओं का डाटा ऑन लाइन कराने के निर्देश दिए हैं।

शासन द्वारा वित्तविहीन कालेजों के प्रधानाचार्यों व शिक्षकों का विवरण मांगा गया है। कोई भी बेरोजगार बहकावे में न आए। जो लोग वास्तव में शिक्षण कार्य कर रहे हैं, उनका ही नाम शिक्षक के रूप में भेजा जाना चाहिए। यदि किसी कॉलेज ने विद्यालय में शिक्षण कार्य न करने वालों के नाम भेजे तो संबंधितों के विरुद्ध विभाग को जानकारी दी जाएगी।