यूजीसी के निर्देश : यूजी कोर्स चलाने वाले कॉलेज नहीं करवा पाएंगे पीएचडी

जागरण संवाददाता, लखनऊ : सिर्फ स्नातक (यूजी) स्तरीय कोर्स चला रहे डिग्री कॉलेज पीएचडी व एमफिल नहीं करवा सकते। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसके लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं।
यूजीसी की अपर सचिव डॉ. पंकज मित्तल की ओर से जारी निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि सिर्फ वह कॉलेज जहां पर परास्नातक (पीजी) स्तरीय कोर्स चल रहे हैं और वहां प्रयोगशालाएं मानकों की कसौटी पर खरी हैं वहीं पर पीएचडी व एमफिल करवाई जा सकती है। ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय के पीएचडी आर्डिनेंस पर फिर से अड़ंगा लग गया है, क्योंकि उसमें स्नातक स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी रिसर्च गाइड बनाने का प्रावधान किया गया है। फिलहाल आर्डिनेंस पर अभी अंतिम मुहर नहीं लगी है यह राजभवन और शासन के पास अभी अंतिम निर्णय के लिए लंबित है।

यूजीसी की ओर से पत्र जारी कर इसकी जानकारी सभी यूनिवर्सिटीज को दी गई है। दरअसल नागपुर स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के विधान परिषद सदस्य प्रो.अनिल सोले की ओर से यूजीसी को बीती 24 अप्रैल को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश मांगे गए थे कि क्या स्नातक स्तर के कोर्स चलाने वाले डिग्री कॉलेजों के शिक्षक पीएचडी व एमफिल करवा सकते हैं या नहीं? इसके जवाब में यूजीसी की अपर सचिव डॉ. पंकज मित्तल ने स्पष्ट लिखा है कि पीएचडी रेग्यूलेशन 2016 के नियम 10.2 के तहत सिर्फ पीजी के कोर्स चला रहे वह कॉलेज जहां पर कम से कम दो शिक्षक खुद पीएचडी धारक हों और जहां मानकों के अनुसार प्रयोगशाला व संसाधन मौजूद हों वही पीएचडी करवा सकते हैं। स्नातक कोर्स चला रहे कॉलेज किसी कीमत पर पीएचडी व एमफिल नहीं करवा सकते। फिलहाल इस आदेश से लविवि को तगड़ा झटका लगा है। क्योंकि लविवि ने अपने पीएचडी आर्डिनेंस में स्नातक कोर्स में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी पीएचडी करवाने की छूट दी है। हालांकि अभी आर्डिनेंस पर अंतिम मुहर शासन व राजभवन से लगनी बाकी है, ऐसे में माना जा रहा है कि लविवि इसमें बदलाव कर सकता है।

’>>पीजी कोर्स चलाने वाले कॉलेजों के शिक्षक ही करवा पाएंगे रिसर्च

’>>लखनऊ विश्वविद्यालय का पीएचडी आर्डिनेंस फिर फंसा

विवि का पीएचडी आर्डिनेंस यूजीसी के नियमों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। अगर फिर भी कहीं चूक हुई है तो हम उसमें नियमानुसार बदलाव करेंगे। अभी पीएचडी आर्डिनेंस शासन व राजभवन में अंतिम मुहर लगाए जाने के लिए भेजा गया है। ऐसे में अभी हमारे पास वक्त भी है। 1प्रो. एनके पांडेय, प्रवक्ता लविवि
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