जागरण संवाददाता, मथुरा: फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाला में जांच एजेंसियों
की निगाह अब कारब गांव पर है। पुलिस की एसआइटी में भी सीओ महावन को भी
इसलिए ही रखा गया है।
चौधरी छत्रपाल ¨सह नेताजी नाम के व्यक्ति ने डाक से जागरण को भेजे गए
पत्र में शिक्षक घोटाले से संबंधित कई तथ्य भेजे हैं। पता किया तो छत्रपाल
वहां के प्रधान हैं। उनका कहना है कि यह पत्र उन्होंने नहीं भेजा है। संभव
है कि किसी अन्य व्यक्ति ने उनके नाम से यह पत्र भेजा हो। यदि इस पत्र में
लिखे तथ्य सही साबित हुए तो पुलिस की राह भी आसान हो सकती है।
12460 शिक्षक भर्ती घोटाले में 35 शिक्षकों की ओर से कूटरचित दस्तावेज
से नौकरी पाने का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद बीएसए विभाग पर बदनामी का दाग
लग चुका है। बीएसए की ओर से 33 शिक्षक और पटलबाबू के खिलाफ कोतवाली में
एफआइआर कराई गई है। अभी पटल बाबू और शिक्षक पुलिस की पकड़ से दूर हैं। 35
शिक्षक में से नौ शिक्षक गांव कारब के हैं।
पत्र में लिखा है कि फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले का मास्टर माइंड कारब
गांव का है। यदि जांच कि जाए तो कारब गांव के जो शिक्षक भर्ती हुए हैं, वह
आपस में संबंध रखते हैं। शिक्षा विभाग को धोखे में रखने के लिए पते बदल दिए
गए हैं। मास्टर माइंड ने अपनी बहन, चचेरे भाई, पत्नी को भी शिक्षक बनाया
है। कारब का मास्टर माइंड ही फर्जी दस्तावेज तैयार कर 10 से 15 लाख वसूल कर
नौकरी लगवाता रहा है। करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की है। असल में कारब
को लेकर शक तभी शुरू हुआ जब 1280 शिक्षक भर्ती मामले की जांच में कारब के
कई का नाम सूची में मिले। डायट प्राचार्य मुकेश अग्रवाल की अध्यक्षता वाली
इस जांच समिति के जांच की तो इस गांव के 10 शिक्षकों के कागजात फर्जी
निकले। जांच समिति के अध्यक्ष डॉ. मुकेश अग्रवाल ने बताया कि फर्जी कागजात
मिलने पर एफआइआर करा दी गई है। कारब पर शक की सुई टिकी हुई है।
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