एनबीटी ब्यूरो, लखनऊ : मथुरा शिक्षक भर्ती घोटाला के आरोपितों की
संपत्तियों की जांच करवाई जाएगी। इसमें बीएसए दफ्तर के बाबू समेत नौ लोग
शामिल हैं। एसटीएफ को पड़ताल के दौरान आरोपितों के पास कई संपत्तियां होने
की जानकारी मिली है। एसटीएफ जल्द अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को इस मामले
में एक और रिपोर्ट भेजेगी। एक अन्य जिले में भी जल्द भर्तियों के मामले में
कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ की पड़ताल में सामने
आया है कि भर्तियों के फर्जीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार बीएसए दफ्तर के
बाबू महेश शर्मा, बिचौलिए सुभाष कुमार, पुष्पेंद्र, भूपेंद्र सिंह, चिदानंद
सारस्वत उर्फ चेतन ने अकूत संपत्तियां अर्जित की हैं। एसटीएफ को पता चला
है कि महेश शर्मा ने काली कमाई की रकम एक डिग्री कॉलेज में लगा रखी है जबकि
कुछ आरोपितों के स्कूल चल रहे हैं। इस सम्बंध में शासन के उच्च अधिकारियों
को जानकारी दे दी गई है। मथुरा शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े में फंसे अफसरों
और कर्मचारियों की संपत्तियों की जांच विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो से
करवाने की तैयारी है।
शिक्षकों और बाबुओं का बड़ा सिंडिकेट
एसटीएफ
की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि मथुरा में जिन 16 लोगों को गिरफ्तार किया
गया है, वे एक बड़े सिंडिकेट का हिस्सा हैं। इसमें शिक्षकों के संगठन के
पूर्व नेता भी शामिल हैं, जो प्रधानाचार्यों पर दबाव बनाकर फर्जी शिक्षकों
की जॉइनिंग करवाते हैं। एसटीएफ के मुताबिक इस सिंडिकेट में महेश शर्मा के
अलावा प्रमुख लोगों में मांट ब्लॉक के एक जूनियर हाईस्कूल का शिक्षक आलोक
उपाध्याय है। यह ऑल इंडिया युनाइटेड टीचर्स असोसिएशन नामक ग्रुप चलाता है।
जो अधिकारी सिंडिकेट में शामिल नहीं होते हैं, उन पर यह ग्रुप दबाव बनाने
का काम करता है। इसमें नौझील के एक शिक्षक वेग सिंह चाहर का भी नाम आया है।
यह अधिकारियों को ट्रैप करवाकर उन्हें दबाव में लेता है। एसटीएफ के
मुताबिक सलेमपुर जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक अमित सारस्वत के जरिए ही बीएसए
ऑफिस के बाबू महेश शर्मा ने अपनी काली कमाई डिग्री कॉलेज में लगवाई है।
पड़ताल में सामने आया है कि अमित ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए खुद विकलांग
कोटे में नौकरी पाई है। मांट ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में
तैनात बाबू ब्रजमोहन व अनिल की भी फर्जी भर्तियों में भूमिका सामने आई है।
2014 से 2018 की भर्तियों की हो जांच
एसटीएफ
ने शासन को भेजी रिपोर्ट में मथुरा समेत प्रदेशभर में वर्ष 2014 से 2018
के बीच हुईं सभी शिक्षक भर्तियों की जांच करवाने की सिफारिश की है। इसमें
वर्ष 2014 में हुई 39,334, वर्ष 2015 में 15,000, वर्ष 2016 में 16,448 और
वर्ष 2018 में 12,460 पदों पर हुईं भर्तियां शामिल हैं।
फूल प्रूफ नहीं शिक्षक भर्ती का मॉडल
एसटीएफ
ने बेसिक शिक्षा विभाग को भेजी रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी है कि उनका
शिक्षक भर्ती मॉडल फूल प्रूफ नहीं है। कई स्तर पर फर्जी दस्तावेजों,
प्रमाणपत्रों के जरिए भर्ती में खेल किया जा रहा है। एसटीएफ ने अपनी
रिपोर्ट में ऐसे सभी बिंदुओं का जिक्र किया है।
19 जून की गिरफ्तारी के बाद ठंडी जांच
एसटीएफ
ने 19 जून को इस मामले में बीएसए दफ्तर के बाबू महेश शर्मा समेत 16 लोगों
को गिरफ्तार किया था, लेकिन उसके बाद जांच थम-सी गई है। बीएसए संजीव सिंह
को दो दिन पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया जबकि विभागीय जांच में भी उन्हें
दोषी पाते हुए निलम्बित किया गया था। इसके बावजूद मुकदमे में उनका नाम
शामिल नहीं हुआ।
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