इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीटीईटी (केंद्रीय शिक्षक पात्रता
परीक्षा) में बीएड को अर्हता में शामिल करने की मांग में दाखिल याचिका पर
एनसीटीई व सीबीएसई से जवाबी हलफनामा मांगा है।
याचिका की अगली सुनवाई 20
अगस्त को होगी। कोर्ट ने कहा है कि यदि जवाब दाखिल नहीं होता तो विपक्षी
कोर्ट को सहयोग के लिए हाजिर रहें।1यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने
भानुप्रताप यादव व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि सीटीईटी
परीक्षा के लिए सीबीएसई की तरफ से बुलेटिन जारी किया गया जिसमें परीक्षा
में शामिल होने के लिए 50 फीसद अंक के साथ स्नातक व बीएड को अर्हता में
शामिल किया गया। कुछ ही समय बाद यह बुलेटिन वेबसाइट से हटा लिया गया। दो
घंटे बाद केवल स्नातक 50 फीसद अंक के साथ अर्हता का बुलेटिन जारी हुआ, बीएड
को हटा दिया गया इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कोर्ट ने स्थिति
स्पष्ट करने को संक्षिप्त जवाब मांगा है।1अपर महाधिवक्ताओं को घोषित किया
पदेन लोक अभियोजक : राज्य सरकार ने लखनऊ पीठ सहित इलाहाबाद हाईकोर्ट के सभी
11 अपर महाधिवक्ताओं को पदेन लोक अभियोजक घोषित कर दिया है। विशेष सचिव
संजय खरे की ओर से सात अगस्त को जारी अधिसूचना दंड प्रक्रिया संहिता की
धारा 24 (एक) के अंतर्गत जारी की गई है। इस आदेश के बाद अपर महाधिवक्ताओं
को सिविल मामलों के साथ आपराधिक केस में भी बहस का अधिकार मिल गया है। अपर
महाधिवक्ताओं के आपराधिक मामलों में बहस कर फीस लेने की अधिकारिता को लेकर
सवाल उठे थे। सवालों को शांत करने के लिए रद संशोधन कानून से शासनादेश भी
जारी किया गया। लेकिन, गलती का पता चलते ही न्याय विभाग ने वापस ले लिया और
नाम हाईकोर्ट को परामर्श के लिए भेजे गए। कोर्ट के अनुमोदन के बाद धारा 24
(एक) के तहत पदेन लोक अभियोजक घोषित कर दिया गया है।
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