लखनऊ। प्रदेश के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों
के कई वर्षों से नौकरी कर रहे शिक्षकों के लिए एक नई मुशीबत आ गई है।
एनसीटीई द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा में अपीयरिंग और परसुइंग को नए सिरे
से परिभाषित किया गया है। जिसके बाद शिक्षकों में खलबली मची हुई है।
क्योंकि अगर ये नियम लागू हो गया तो करीब पचास हजार शिक्षकों की नौकरी पर
तलवार लटकनी तय है।
एनसीटीई की इस नई परिभाषा के तहत ऐसे अभ्यर्थी
जिन्होने शिक्षक प्रशिक्षण पूरा कर लिया हो मगर अंतिम वर्ष की परीक्षा में न
बैठे हों, या अंतिम वर्ष की परीक्षा में बैठ रहे अभ्यर्थी या शिक्षक
प्रशिक्षण उत्तीर्ण अभ्यर्थी ही टीईटी में बैठने के लिए अर्ह है। इसके
मुताबिक बीटीसी में जो चौथे सेमेस्टर में था, उसका ही प्रमाणपत्र मान्य है,
जबकि पहले, दूसरे व तीसरे सेमेस्टर वालों का टीईटी प्रमाणपत्र अमान्य है।
एनसीटीई
के मुताबिक बीएड अंतिम वर्ष या अन्य कोर्स के अंतिम वर्ष के अभ्यर्थी ही
टीईटी में शामिल होने के लिए अर्ह थे। बता दें कि वर्ष 2012 के प्राथमिक
स्कूलों में आठ से ज्यादा भर्तियां हो चुकी है।, जिसमें लाखों की संख्या
में अभ्यर्थी शिक्षक बने थे। जिसमें करीब पचास हजार ऐसे शिक्षक हैं, जिन
लोगों ने पहले दूसरे या फिर तीसरे सेमेस्टर में टीईटी की परीक्षा उत्तीर्ण
की थी।
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