शिक्षक भर्ती परीक्षा की पूरी पोल खुल चुकी है और अब तो ये भी समझ में आने लगा है कि आखिर में लिखित परीक्षा क्यों करायी गयी: पढें पूरा लेख

शिक्षक भर्ती परीक्षा की पूरी पोल खुल चुकी है और अब तो ये भी समझ में आने लगा है कि आखिर में लिखित परीक्षा क्यों करायी गयी। जब बड़ी बड़ी परीक्षा OMR पर करायी जा रही है तो प्राथमिक शिक्षक बनने हेतु लिखित क्यों करायी गयी। इस परीक्षा का एक ही मकसद था अपने अपनों को नौकरी देना।
सोनिका की कॉपी जब कोर्ट में खुली तभी इस भर्ती से भ्रष्टाचार की बू आने लगी थी। अब तो दिन प्रतिदिन एक न एक नया राज खुल रहा है। ये सब तो तब पता चल रहा है जब अभ्यर्थी खुद ही प्रयास कर रहे हैं वर्ना किसी को कानों कान खबर नहीं लगती। गोरखपुर के अंकित को 22 अंक मिले जब कॉपी दिखाई गयी तो 122 निकला, यतीश को 41 अंक मिले जब कॉपी दिखाई गयी तो 91 हो गए, मनोज को 19 अंक मिले जबकि कॉपी में 98 अंक था। ये तो थोड़ी से बानगी भर है , न जाने कितना हेर-फेर हुआ है। इसके अलावा आज के समाचार पत्र के अनुसार 21 लोगों को बिना पास हुए ही जिला आवंटन कर के नियुक्ति पत्र बाँट दिया गया, जब पोल खुली तो रोक लगायी गयी। और तो और 2 अभ्यर्थी ऐसे भी हैं जिनका बिना परीक्षा दिए ही रिजेल्ट दिखा रहा है और सबसे बड़ी बात की दोनों अच्छे अंक से पास भी हैं। वैसे अब ये मैटर भी कोर्ट में चला गया है। ढाई हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों ने अपनी कॉपी दिखाने के लिए डीमांड ड्राफ्ट के साथ प्रत्यावेदन दिया है। ये सब तब हो रहा है जब गांव-देहात के कुछ बच्चे कोर्ट-कचहरी का हाल ही नहीं जानते और न ही उसकी फीस भरने के लायक हैं।

मैं पूछना चाहता हूँ कि आखिर में सरकार को इतनी जल्दी क्या पड़ी थी की 5 सितंबर को ही नियुक्ति पत्र बांटना है। अरे इतनी ही शिक्षक दिवस की मर्यादा होती तो कल 5 सितंबर को बीएड टेट अभ्यर्थियों पर लाठी नहीं चार्ज होती जिसमें एक गर्भवती महिला पर भी लाठी चली थी। वैसे भी 5 सितंबर को कितने ज़िले में बंट पाया नियुक्तिपत्र?? अरे ये सब तो अपनी नाकामी छुपाने के षड्यंत थे।