प्राथमिक स्तर की टीईटी और अगली शिक्षक भर्ती में बीएड को मौका

राज्य सरकार अक्तूबर में प्रस्तावित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के प्राथमिक स्तर और अगली 95,444 सहायक अध्यापक भर्ती में बीएड डिग्रीधारियों को मौका देने जा रही है। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह की ओर से शासन को भेजे गए प्रस्ताव में प्राथमिक स्तर की टीईटी में बीएड डिग्रीधारियों को सम्मिलित करने का अनुरोध किया है।

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 28 जून की अधिसूचना में बीएड डिग्रीधारियों को भी कक्षा एक से पांच तक के स्कूलों में शिक्षक भर्ती के योग्य मान लिया था। इसके बाद एक अगस्त को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) के लिए जारी अधिसूचना में बीएड को प्राथमिक स्तर की परीक्षा से बाहर कर दिया था। सीबीएसई के इस फैसले के खिलाफ बीएड डिग्रीधारियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाएं की थी। उनका तर्क है कि देश में शिक्षकों की योग्यता का निर्धारण एनसीटीई करती है। एनसीटीई ने जब बीएड को प्राथमिक स्तर में अध्यापन के योग्य मान लिया है तो बोर्ड को उन्हें परीक्षा से बाहर करने का कोई अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश पर बीएड वालों को अनुमति दे दी गई है। बीएड वाले यह मौका किसी कीमत पर छोड़ना नहीं चाह रहे थे क्योंकि दिसंबर में 95444 सहायक अध्यापकों की भर्ती होने जा रही है। इतनी बड़ी संख्या में सहायक अध्यापकों की सीधी भर्ती कभी नहीं हुई।

बीटीसी-डीएलएड वालों के लिए मुश्किल होगी राह
टीईटी और अगली शिक्षक भर्ती में बीएड वालों को मौका मिलने का सबसे अधिक नुकसान बीटीसी-डीएलएड वालों को होगा। तकरीबन चार लाख प्रशिक्षु बीटीसी और डीएलएड करके सहायक अध्यापक बनने का सपना देख रहे हैं। जबकि, बीएड बेरोजगारों की संख्या नौ लाख के आसपास आंकी जा रही है। 95444 में बीएड वालों को मौका मिलने से प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी और जिन सीटों पर सिर्फ बीटीसी-डीएलएड वालों का चयन होता उनपर बीएड वाले भी चुने जाएंगे। बीटीसी प्रशिक्षु इसका विरोध भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि बीएड वालों को टीजीटी, एलटी ग्रेड समेत अन्य भर्तियों में मौका मिलता है जबकि बीटीसी वालों के पास सिर्फ प्राथमिक स्तर की भर्ती में ही अवसर है। क्योंकि जूनियर हाईस्कूल में सरकार ने सीधी भर्ती रोक रखी है। ऐसे में बीएड वालों को मौका देना बीटीसी-डीएलएड वालों के साथ नाइंसाफी है।
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