विभागीय आंकड़ों पर नजर डालें तो 250 स्कूलों में मात्र एक-एक सहायक अध्यापक हैं। 33 स्कूल ऐसे हैं, जहां सहायक अध्यापक भी नहीं हैं। इन्हें शिक्षामित्र चला रहे हैं। ऐसे में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के सरकारी प्रयासों पर पानी फिर रहा है। एकल विद्यालयों के अध्यापकों ने बताया कि उनका अधिकांश समय बच्चों को मिड-डे मील परोसने और अन्य कार्यों में खत्म हो जाता है। पढ़ाने का समय ही नहीं मिल पाता। ऐसे में बच्चों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है।
बिसंडा ब्लाक में 30, नरैनी में 53, जसपुरा में 32, तिंदवारी में 28, महुआ में 23, बबेरू में 22, बड़ोखर में 13, कमासिन में 26, नगर क्षेत्र में 23 समेत 250 स्कूलों में मात्र एक-एक अध्यापक हैं। इसी तरह बिसंडा ब्लाक में 2, नरैनी में 8, तिंदवारी में 3, महुआ में 7, बड़ोखर में 1, कमासिन में 4, नगर क्षेत्र में 8 यानी 33 विद्यालय सिर्फ शिक्षामित्रों के भरोसे है। ब्यूरो
जिले में सहायक शिक्षकों के अतिरिक्त 1500 शिक्षामित्र हैं। इस प्रकार स्कूलों में 6401 शिक्षक व शिक्षामित्र तैनात हैं। अंतर्जनपदीय तबादलों से व्यवस्था बिगड़ गई थी। अब यह धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है। छात्र संख्या के आधार पर शिक्षकों की तैनाती की जा रही है। उधर शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया भी चालू है। जल्द ही शिक्षकों की कमी दूर होगी। -अरविंद अस्थाना, जिला समन्वयक सर्व शिक्षा, बांदा।