लगभग सभी प्राइमरी स्कूलों के हालात एक जैसे ही हैं। अधिकतर बच्चे ऐसे
हैं जो सभी कॉपी (हिंदी,अंग्रेजी,गणित) और पेन भी नहीं लाते केवल कटोरा या
थाली मात्र लाते है। शिक्षक / हेड-मास्टर भी मजबूर थे क्योंकि छात्रसंख्या
अधिक और टीचर कम थे । उन पर जिम्मेदारियां अधिक थीं जैसे - मिड-डे-मील ,
कुछ तो एन0 पी0 आर0सी0 हैं तो उनके पास समयाभाव था ।
परंतु अब शिक्षकों का चयन हो जाने के बाद छात्र-शिक्षक अनुपात लगभग पूरा हो रहा है तो हम सभी नव नियुक्त अध्यापको का यह फर्ज बनता है कि शिक्षा में सुधार की पहल हमको अपने आप से करनी होगी क्योंकि हम पत्थरो से भी पानी निकाल सकते हैं। हम सभी शुरुआत करें तो शायद जो मेहनत नहीं कर रहे हैं उनको भी शर्म आ जाये और वो भी अपनी ड्यूटी में लग जाएँ।
चूँकि बच्चों को अभी अक्षर ज्ञान वर्ण विन्यास ज्ञान ही नहीं है हिंदी में बच्चे वर्णमाला के अक्षरो को उचित अनुपात में नहीं लिखते । अंग्रेजी में उन्हें ये नहीं पता की small alphabets कौन सा कितनी लाइन में बनता है इसलिए सबसे पहले हमको इन बच्चों की जड़ मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।
बहुत से बच्चे तो ऐसे होते है जो थाली या कटोरा लाने और खाना खाने के बाद उन्हें घर रखने के बार बार चक्कर लगाते हैं या इंटरवल के बाद खाना खा के गायब हो जाते है ऐसे में हमें बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि सुबह स्कूल आते समय ही अपने अपने बर्तन ले कर आया करें ताकि उचित शिक्षण हो सके ।बार बार घर जाने से अनुशासन व्यवस्था भी लडखडाती है और उचित शिक्षण भी नहीं हो पाता।
बाकी आप सभी खुद समझदार एवं होशियार हैं।
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
परंतु अब शिक्षकों का चयन हो जाने के बाद छात्र-शिक्षक अनुपात लगभग पूरा हो रहा है तो हम सभी नव नियुक्त अध्यापको का यह फर्ज बनता है कि शिक्षा में सुधार की पहल हमको अपने आप से करनी होगी क्योंकि हम पत्थरो से भी पानी निकाल सकते हैं। हम सभी शुरुआत करें तो शायद जो मेहनत नहीं कर रहे हैं उनको भी शर्म आ जाये और वो भी अपनी ड्यूटी में लग जाएँ।
चूँकि बच्चों को अभी अक्षर ज्ञान वर्ण विन्यास ज्ञान ही नहीं है हिंदी में बच्चे वर्णमाला के अक्षरो को उचित अनुपात में नहीं लिखते । अंग्रेजी में उन्हें ये नहीं पता की small alphabets कौन सा कितनी लाइन में बनता है इसलिए सबसे पहले हमको इन बच्चों की जड़ मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।
बहुत से बच्चे तो ऐसे होते है जो थाली या कटोरा लाने और खाना खाने के बाद उन्हें घर रखने के बार बार चक्कर लगाते हैं या इंटरवल के बाद खाना खा के गायब हो जाते है ऐसे में हमें बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि सुबह स्कूल आते समय ही अपने अपने बर्तन ले कर आया करें ताकि उचित शिक्षण हो सके ।बार बार घर जाने से अनुशासन व्यवस्था भी लडखडाती है और उचित शिक्षण भी नहीं हो पाता।
बाकी आप सभी खुद समझदार एवं होशियार हैं।
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe