शिक्षामित्रो के समस्त प्रश्नो का जबाब हमारे पास है। हाइकोर्ट का फैसला पूर्वाग्रह से नहीं बल्कि सही मायनो में न्याय की जीत हुई है।और रही बात लाखो परिवारो की रोजी रोटी तो बी.एड,बी.टी.सी तथा टेट पास 2 लाख से अधिक परिवार है जिसको इस सरकार के द्वारा हर मोड़ पर सताया गया। हमारे बी.एड टेट पास अभ्यर्थी 2011 से सैकड़ो की संख्या ने मौत के गाल में समाहित हो चुके तब इस गूँगी बहरी सरकार को हम लोगो का दर्द क्यों नहीं दिखाई दिया।
सरकार को ये गैर कानूनी समायोजन का अंजाम पता था लेकिन उसके बाबजूद उसभे शिक्षामित्रो को राजनेतिक हथिया बनाया। न्याय पालिका हमेशा कानून के अनुरूप फैसला देती है न की दया के आधार पर। जिस दिन न्यायालयो के फैसले दया के आधार पर आने लगे उस दिन हर अपराधी किसी ना किसी आधार पर दया की भूमिका बनाकर अपने गैर कानूनी कार्यो से बचना चाहेगा। जिस तरह से शिक्षामित्र न्याय पालिका के निर्णय के खिलाफ अपना विरोध और हंगामा कर रहे है उससे तो साफ़ झलकता है की कोर्ट ने जो टिप्पड़ी की है की शिक्षामित्र शिक्षक की श्रेणी में नहीं आते वो साफ़ झलकता है। आज अगर इन लोगो के इस कृत्य पर कोई कार्यवाही नहीं की गई तो आने वाले समय में हर व्यक्ति न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सड़को पर उतरकर लोकतान्त्रिक देश की व्यस्था को भंग करने का कार्य करगे। शिक्षामित्रो को यदि विरोध करना है तो इस गन्दी मानसिकता वाली और बेरोजगारो की हत्यारी सरकार का करे जिसने अपनी कुटिल चलो से आज शिक्षामित्रो को मौत के मुहाने पर खड़ा कर दिया। हर शिक्षामित्र की प्रारम्भ से यही लालसा रही की एक न एक दिन हम सरकार पर दवाब बनाकर परमानेंट हो जायेगे। और रही बात जब इनको सहायक अध्यापक बनाया गया तब न्युक्ति पत्र में साफ़ लिखा गया था न्युक्ति कोर्ट के फ़ाइनल आदेश के अधीन होगी उस समय इन लोगो को विचार करना चाहिए था की अभी ये न्युक्ति अंतिम नहीं है। जब समायोजन होने जा रहा था तभी कोर्ट में याचिका फ़ाइल की गई लेकिन सभी शिक्षामित्र कोर्ट की सुनवाई से भागते रहे।
1- राज्य सरकार राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् के द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यताओ को ध्यान में रखते हुए नियमावली में संसोधन कर सकती है और किसी भी रूप में केंद्रिय कानूनों में शिथिलता प्रदान नहीं कर सकती। शिक्षामित्रो के केस में सरकार ने इसके विपरीत कार्य किया।
2- इसके लिए आप 23 अगस्त 2010 की राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् की अधिसूचना पढ़े।
3-एन.सी.टी.ई से इनकी ट्रेनिंग तथ्यों को छुपाकर ली गई थी। एन.सी.टी.ई को नहीं बताया गया की इनको सहायक अध्यापक बनाया जायेगा।
4-इनकी पत्राचार डिग्री एन.सी.टी.ई से मान्यता प्राप्त संस्था से न होकर राज्य ने एस.सी.आर.टी से करवा दी जो की वैध नहीं है।
5- इनका चयन सर्व शिक्षा अभियान के तहत हुआ था और इनको सामाजिक कार्यो के लिए विश्व बैंक की योजना के अंतर्गत रखा गया था जिसको इनलोगो ने शिक्षामित्र पद पर ज्वाइन करते समय सपथ पत्र भी दिया था।
6- जब शिक्षामित्रो का चयन हुआ था योग्य अभ्यर्थी प्रदेश में तब भी मौजूद थे और इनका चयन अध्यापन के लिए नहीं बल्कि सामजिक कार्यकर्ता के रूप में हुआ था इसलिए किसी को आपत्ति नहीं थी। जब इनका चयन अध्यापक पद पर हुआ तो आपत्ति होना स्वाभाविक है।
7-जब मानदेय मिलता था दावेदारी तब भी होती थी जिसके लिए 1 पद पर दर्जनों फॉर्म आ जाते थे। चयन जिसको प्रधान चाहता था उसका होता था।
8- शिक्षामित्र पद सामाजिक कार्यकर्ता का पद है और उसके लिए आप की योग्यता जितनी भी पर्याप्त है।
9- 2011 से जो बी.एड टेट और बी.टी.सी पास किये और उनको कोर्ट के चक्कर लगवा रही है और वो ओवर एज हो गए उनका क्या किया जाए।
10- उत्तराँचल में समायोजन कोर्ट के द्वारा निरस्त किया जा चुका है और महाराष्ट्र में उनके चयन को कोर्ट में नहीं गया है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
सरकार को ये गैर कानूनी समायोजन का अंजाम पता था लेकिन उसके बाबजूद उसभे शिक्षामित्रो को राजनेतिक हथिया बनाया। न्याय पालिका हमेशा कानून के अनुरूप फैसला देती है न की दया के आधार पर। जिस दिन न्यायालयो के फैसले दया के आधार पर आने लगे उस दिन हर अपराधी किसी ना किसी आधार पर दया की भूमिका बनाकर अपने गैर कानूनी कार्यो से बचना चाहेगा। जिस तरह से शिक्षामित्र न्याय पालिका के निर्णय के खिलाफ अपना विरोध और हंगामा कर रहे है उससे तो साफ़ झलकता है की कोर्ट ने जो टिप्पड़ी की है की शिक्षामित्र शिक्षक की श्रेणी में नहीं आते वो साफ़ झलकता है। आज अगर इन लोगो के इस कृत्य पर कोई कार्यवाही नहीं की गई तो आने वाले समय में हर व्यक्ति न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सड़को पर उतरकर लोकतान्त्रिक देश की व्यस्था को भंग करने का कार्य करगे। शिक्षामित्रो को यदि विरोध करना है तो इस गन्दी मानसिकता वाली और बेरोजगारो की हत्यारी सरकार का करे जिसने अपनी कुटिल चलो से आज शिक्षामित्रो को मौत के मुहाने पर खड़ा कर दिया। हर शिक्षामित्र की प्रारम्भ से यही लालसा रही की एक न एक दिन हम सरकार पर दवाब बनाकर परमानेंट हो जायेगे। और रही बात जब इनको सहायक अध्यापक बनाया गया तब न्युक्ति पत्र में साफ़ लिखा गया था न्युक्ति कोर्ट के फ़ाइनल आदेश के अधीन होगी उस समय इन लोगो को विचार करना चाहिए था की अभी ये न्युक्ति अंतिम नहीं है। जब समायोजन होने जा रहा था तभी कोर्ट में याचिका फ़ाइल की गई लेकिन सभी शिक्षामित्र कोर्ट की सुनवाई से भागते रहे।
1- राज्य सरकार राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् के द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यताओ को ध्यान में रखते हुए नियमावली में संसोधन कर सकती है और किसी भी रूप में केंद्रिय कानूनों में शिथिलता प्रदान नहीं कर सकती। शिक्षामित्रो के केस में सरकार ने इसके विपरीत कार्य किया।
2- इसके लिए आप 23 अगस्त 2010 की राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् की अधिसूचना पढ़े।
3-एन.सी.टी.ई से इनकी ट्रेनिंग तथ्यों को छुपाकर ली गई थी। एन.सी.टी.ई को नहीं बताया गया की इनको सहायक अध्यापक बनाया जायेगा।
4-इनकी पत्राचार डिग्री एन.सी.टी.ई से मान्यता प्राप्त संस्था से न होकर राज्य ने एस.सी.आर.टी से करवा दी जो की वैध नहीं है।
5- इनका चयन सर्व शिक्षा अभियान के तहत हुआ था और इनको सामाजिक कार्यो के लिए विश्व बैंक की योजना के अंतर्गत रखा गया था जिसको इनलोगो ने शिक्षामित्र पद पर ज्वाइन करते समय सपथ पत्र भी दिया था।
6- जब शिक्षामित्रो का चयन हुआ था योग्य अभ्यर्थी प्रदेश में तब भी मौजूद थे और इनका चयन अध्यापन के लिए नहीं बल्कि सामजिक कार्यकर्ता के रूप में हुआ था इसलिए किसी को आपत्ति नहीं थी। जब इनका चयन अध्यापक पद पर हुआ तो आपत्ति होना स्वाभाविक है।
7-जब मानदेय मिलता था दावेदारी तब भी होती थी जिसके लिए 1 पद पर दर्जनों फॉर्म आ जाते थे। चयन जिसको प्रधान चाहता था उसका होता था।
8- शिक्षामित्र पद सामाजिक कार्यकर्ता का पद है और उसके लिए आप की योग्यता जितनी भी पर्याप्त है।
9- 2011 से जो बी.एड टेट और बी.टी.सी पास किये और उनको कोर्ट के चक्कर लगवा रही है और वो ओवर एज हो गए उनका क्या किया जाए।
10- उत्तराँचल में समायोजन कोर्ट के द्वारा निरस्त किया जा चुका है और महाराष्ट्र में उनके चयन को कोर्ट में नहीं गया है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC