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शुरुआत से ही लटकती रही तलवार : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद से ही शिक्षा मित्रों पर तलवार लटकती रही। आरटीई में पूर्णकालिक शिक्षक का प्रावधान है। पैरा टीचर्स का प्रावधान न होने की वजह से शिक्षा मित्रों को हटाए जाने की बात भी उठी थी। शिक्षकों की कमी को देखते हुए तय हुआ कि इन्हें ही प्रशिक्षण देकर शिक्षक बना दिया जाए। पांच साल बाद अब शिक्षा मित्र नियमित हुए तो हाईकोर्ट ने ही उसे रद करके उन्हें बड़ा झटका दे दिया है।


प्रदेश में कुल 1,72,000 शिक्षा मित्र हैं। आरटीई के मानकों के मुताबिक प्रदेश में शिक्षकों की जरूरत थी। सरकार की दिक्कत थी कि इतनी संख्या में नई भर्तियां मुश्किल है। वहीं सरकार शिक्षा मित्रों को नौकरी से हटाकर उनका विरोध भी नहीं लेना चाहती थी।

सरकार की ओर से कहा गया कि प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी के चलते सर्वशिक्षा अभियान के तहत बच्चों को शिक्षा देने के लिए सरकार ने 16 वर्ष से कार्यरत शिक्षामित्रों का समायोजन किया है। अपर महाधिवक्ता सी.बी.यादव ने कहा कि शिक्षामित्र भी शिक्षक हैं और इनका चयन ग्राम शिक्षा समिति द्वारा किया गया है। अध्यापकों की कमी के चलते सरकार ने नियमानुसार समायोजन करने का निर्णय लिया है।

राज्य सरकार का जवाब 1999 में नियुक्त हुए थे शिक्षामित्र
केन्द्र सरकार ने संसद से कानून पारित कर 6-14 वर्ष तक के बच्चों को पढ़ाना अनिवार्य कर दिया और अध्यापक नियुक्ति की न्यूनतम योग्यता एवं मानक तय किए। एनसीटीई ने अधिसूचना जारी कर पहले से कार्यरत ऐसे अध्यापकों को प्रशिक्षण प्राप्त करने या न्यूनतम योग्यता अर्जित करने के लिए पांच वर्ष की अवधि निर्धारित कर यह छूट केवल एक बार के लिए ही दी गई थी। 1999 से शिक्षामित्रों की नियुक्ति शुरू की गई थी। इन्हें 3500 रुपये के निश्चित मानदेय पर संविदा पर नियुक्त किया गया। 
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