एलाहाबाद उच्च न्यायालय की संविधानिक पीठ का एक ऐतिहासिक फैसला : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News


माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशानुसार गठित एलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति चंद्रचूड जी की अध्यक्षता में गठित वृहद / संविधानिक पीठ ने शनिवार अवकाश को विशेष सत्र बुलाकर अपने ऐतिहासिक फैसले में प्रदेश में शिक्षामित्र के सहायक अध्यापको के पद पर समायोजन को निरस्त कर दिया.
जिसका प्रभाव प्रदेश में लगभग १,५०,०००/- शिक्षा मित्रो की भारी संख्या पर पड़ेगा. मेरी व्यक्तिगत संवेदनाएं उनके साथ हैं कारन यह परिस्थितिं अगर किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ होती जो पिछले करीब १०-१५ साल से अपने परिवार के आय का स्रोत रहा हो और इस उम्मीद के साथ कि कभी वो भी पूर्णकालिक अध्यापक बनकर शिक्षको की मुख्या धारा में शामिल होंगे लेकिन उनका सपना अधुरा ही नहीं बल्कि पूरी तरह ही टूट गया.
लेकिन सत्यता को भी देखना बहुत आवश्यक है शिक्षा मित्र की लडाई का बुनियादी आधार ही गलत रहा. सरकार को दोष देने की सीमा निर्धारित ही नहीं की सकती सभी सरकारों ने चाहे वो २००९ में बसपा सरकार ने अपने वोट बैंक की चाहत में शिक्षा मित्र की गलत तथ्यों के आधार पर ट्रेनिंग के केंद्र सरकार से परमिशन ली जो पूर्णतया गलत था. बाद में २०१२-१३ में सपा सरकार ने जिसने सही होने वाली 72000 पी आर टी सहायक अध्यापको के चयन मानको जो कि किसी परिपेक्ष्य में ठीक थे, उन्हें तो बदल दिया लेकिन शिक्षा मित्र के केस में अपने वोट बैंक के खातिर मायावती सरकार के द्वारा शुरू किये गए उसी गलत रास्ते का अनुपालन करते हुए १९८१ सेवा नियमावली में गैर संवैधानिक शंशोधन करते हुए तक़रीबन १,५०,०००/- शिक्षा मित्रो का सहायक अध्यापक पदों पर समायोजन कर दिया. जो की तःत्यों और क़ानूनी रूप से पूरी तरह गलत था . आज शिक्षा मित्रो की पूरी दुर्दशा की जिम्मेदारी वर्तमान और भूतपूर्व सरकारों की वोट बैंक की पालिसी रही
उच्च न्यायालय के इस निर्णय को स्वीकारना होगा और यह निर्णय अपेक्षित भी था. स्वयं कोई भी व्यक्ति या शिक्षामित्र भाई भी खुद सोचे की वो खुद अपने बच्चे को एक कुशल और प्रसिक्षित शिक्षक से शिक्षा चाहता है और वो इसकी जिम्मेदारी खुद लेता है. इसी तरह माननीय उच्चतम न्यालय ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ के आने के बाद शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार की वर्तमान दोषपूर्ण व्यवस्था को बदलना आवश्यक समझा और समाज की शिक्षा के लिए प्रसिक्षित शिक्षको का होना आवश्यक हैं. सरकार की दोषपूर्ण नीतियों और शिक्षामित्र के गलत और भटकाऊ नेतृत्व के कारन जो शिक्षामित्र हकीकत में सहायक अध्यापक पद पर होने चाहिए वो भी पीड़ित हो गए. हालाँकि ऐसे साथियों को अवसर मिलना चाहिए मेरी व्यक्तिगत राय है.

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