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जूनियर नियुक्ति सिर्फ टेट के मानकों की वजह से झेल रही समस्याएं : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

जूनियर नियुक्ति सिर्फ टेट  वे  के मानकों की  वजह से समस्याएं झेल रही है , जबकि यहाँ भी सही मानकों के अनुसार भर्ती की जा रही है । मतलब टेट वेटेज लिया गया है , जिस प्रकार केंद्रीय संस्थानों - के वी एस , एन वी एस व दिल्ली सरकार की डी एस एस एस बी भर्तियों में टेट अंको के आधार
पर उत्तीर्ण लोगो को चयन प्रक्रिया में प्रतिभाग करने का अवसर दिया गया , यह टेट अंको की वजह से ही संभव हुआ ।
और इसी तरह का वेटेज राज्य सरकार ने बी टी सी व उर्दू भर्ती में लिया । 
टेट वेटेज तय करना नियोक्ता का विशेष अधिकार है और वह अपने अनुसार इसको तय कर सकता है । 

टेट परीक्षा पुन : देकर अंक बढवाने वाली बात एन सी टी ई निर्देशों में है तो इसका मतलब है की अगर कोई व्यक्ति आरक्षित श्रेणी में टेट (82 से 89 अंक )
उत्तीर्ण करता है , तो वह आगे अपने अंक वृद्दि कर सामान्य श्रेणी की पात्रता भी हासिल कर सके । 

राजस्थान में आरक्षित श्रेणी में टेट (82 से 89 अंक ) पास करने वालों को सिर्फ आरक्षित श्रेणी के पदों के 
अनुकूल माना गया है । 

कई बार ऐसा भी हो सकता है की नियोक्ता टेट मार्क्स का कोई अलग वेटेज दे , जैसे राजस्थान में 20 % टेट 
अंको का चयन में वेटेज लिया 


कहीं कहीं नियोक्ता टेट अंक का अलग वेटेज देता है ओर ये सब नियोक्ता पर निर्भर है की वह कैसा और कितना वेटेज दे 
, पुदुचेरी राज्य का उदाहरण भी आपके सामने है , 
अलग अलग राज्यों के टेट को 
देखते हुए सिर्फ टेट अंको के आधार पर उत्तीर्ण लोगो को चयण मैं भाग देने का मौका देकर वेटेज दिया गया 
क्यों तमिलनाडु टेट , केरल टेट , आंध्र प्रदेश टेट व सी टेट की तुलना संभव नहीं थी 

ऐसे ही यू पी में यू पी टेट 2011 और सी टेट की तुलना संभव नहीं है , और जूनियर में भाग लेने वाले सभी कैंडिडेट्स ने यू पी टेट 2011  परीक्षा में भाग नहीं लिया ,

ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के अनुसार टेट उत्तीर्ण अंको के आधार को वेटेज लेते हुए  , जूनियर चयन प्रक्रिया गलत प्रतीत नहीं होती 


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