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जूनियर चयन प्रक्रिया नहीं होती गलत प्रतीत : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

Samasya - Prasikshu Shikshak Abhee Kisee Pad ko Dharan Hee Nahin Kar Rahe, Ve Sirf Trainee Hain to Dharnadhikar Kaise Mile.
2. Prasikshu Shikshak kis Pad se Resign karen, Kayee logo ki Training complete ho gayee hai, exam
bhee ho gaya, Pass bhee  Lekin ab ve na trainee rahe na pad mila hai.

Dusre Ve Logon Jinki 6 Mahine ki Training Pooree Ho gayee, Lekin Exam hona baki hai.
NCTE ka Aadesh 6 Mahine ki Training Ko Lekar tha, koee exam ka ullekh nahin thaa, Lekin Training Sahee se Huee ki Nhain,

Usko Jaanchne ke Leeye Sarkar ne Pariksha Aayojit Kee.
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प्राथमिक वालों को जूनियर में नहीं दिया जा सकता मौका लिखना गलत है , जिसको जूनियर में नियुक्ति पत्र मिला है वह तो उसको ज्वाइन कर ही सकता है ,
लेकिन क्या वह प्राथमिक में प्रशिक्षु बना रहेगा की नहीं , और दुसरी बात की सामान विभाग में कार्यरत रहते हुए उसे इस्तीफ़ा देना पड़ेगा की नहीं , जबकि
वह विभाग की सेवाओं में बना हुए है
और क्या प्राथमिक मैं पद ग्रहण किये वह इस्तीफ़ा दे सकता है ,जूनियर में कंडीशनल नियुक्ति है इसलिए लोग थोड़ा सा परेशान हैँ ।
जूनियर नियुक्ति सिर्फ टेट  वे  के मानकों की  वजह से समस्याएं झेल रही है , जबकि यहाँ भी सही मानकों के अनुसार भर्ती की जा रही है ।
मतलब टेट वेटेज लिया गया है , जिस प्रकार केंद्रीय संस्थानों - के वी एस , एन वी एस व दिल्ली सरकार की डी एस एस एस बी भर्तियों में टेट अंको
के आधार पर उत्तीर्ण लोगो को चयन प्रक्रिया में प्रतिभाग करने का अवसर दिया गया , यह टेट अंको की वजह से ही संभव हुआ ।
और इसी तरह का वेटेज राज्य सरकार ने बी टी सी व उर्दू भर्ती में लिया ।
टेट वेटेज तय करना नियोक्ता का विशेष अधिकार है और वह अपने अनुसार इसको तय कर सकता है ।

टेट परीक्षा पुन : देकर अंक बढवाने वाली बात एन सी टी ई निर्देशों में है तो इसका मतलब है की अगर कोई व्यक्ति आरक्षित श्रेणी में टेट (82 से 89 अंक )
उत्तीर्ण करता है , तो वह आगे अपने अंक वृद्दि कर सामान्य श्रेणी की पात्रता भी हासिल कर सके ।

राजस्थान में आरक्षित श्रेणी में टेट (82 से 89 अंक ) पास करने वालों को सिर्फ आरक्षित श्रेणी के पदों के
अनुकूल माना गया है ।

कई बार ऐसा भी हो सकता है की नियोक्ता टेट मार्क्स का कोई अलग वेटेज दे , जैसे राजस्थान में 20 % टेट

अंको का चयन में वेटेज लिया


कई बार ऐसा भी हो सकता है की नियोक्ता टेट मार्क्स का कोई अलग वेटेज दे , जैसे राजस्थान में 20 % टेट
अंको का चयन में वेटेज लिया


कहीं कहीं नियोक्ता टेट अंक का अलग वेटेज देता है ओर ये सब नियोक्ता पर निर्भर है की वह कैसा और कितना वेटेज दे
, पुदुचेरी राज्य का उदाहरण भी आपके सामने है ,
अलग अलग राज्यों के टेट को
देखते हुए सिर्फ टेट अंको के आधार पर उत्तीर्ण लोगो को चयण मैं भाग देने का मौका देकर वेटेज दिया गया
क्यों तमिलनाडु टेट , केरल टेट , आंध्र प्रदेश टेट व सी टेट की तुलना संभव नहीं थी

ऐसे ही यू पी में यू पी टेट 2011 और सी टेट की तुलना संभव नहीं है , और जूनियर में भाग लेने वाले सभी कैंडिडेट्स ने यू पी टेट 2011  परीक्षा में भाग नहीं लिया ,

ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के अनुसार टेट उत्तीर्ण अंको के आधार को वेटेज लेते हुए

, जूनियर चयन प्रक्रिया गलत प्रतीत नहीं होती

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