लखनऊ। शिक्षामित्रों का समायोजन रद होने के बाद उनकी ओर बढ़ रही सरकार की
सहानुभूति को देखते हुए टीईटी और बीएड डिग्र्री धारक भी लामबंद होने लगे
हैं। ऐसे डिग्र्रीधारकों ने इलाहाबाद में एक बड़ी सभा की और दो अक्टूबर से
तीन दिन तक जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करने का फैसला किया।
उनकी मांग है कि शिक्षा मित्रों का समयोजन रद होने के बाद टीईटी और बीएड डिग्र्रीधारकों को नियुक्ति दी जाए।
टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा की ओर से रविवार को यहां आजाद पार्क में बुलाई गई सभा में बड़ी संख्या में युवक शामिल हुए। इनमें दूर-दराज के जिलों से भी आए युवा शामिल थे। सभा में कहा गया कि सरकार ने योग्यता के मानक का उल्लंघन करते हुए अयोग्य लोगों को नियुक्तियां दी थीं। अब जबकि हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन अवैध करार दिया है तो केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही इसका राजनीतिकरण कर रही हैं। यह न्यायपालिका की भी अवमानना है।
सभा में मोर्चा के जितेंद्र सिंह सेंगर और संजीव मिश्रा ने कहा कि हमारी लड़ाई शिक्षा मित्रों से नहीं है। हमारा विरोध इस बात से है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही मिलकर अनिवार्य शिक्षा कानून में संशोधन की योजना बना रहे हैं। यह भी कहा गया कि यदि राज्य सरकार ने योग्य लोगों के लिए अवसर नहीं बनाए तो इसका खामियाजा उसे पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। सभा में यह तय किया गया कि दो से चार अक्टूबर तक दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना दिया जाएगा। इस दौरान सच्चिदानंद चतुर्वेदी, आरके पांडेय, संतोष यादव, अरविंद यादव आदि के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी उपस्थित रहीं।
दारोगा अभ्यर्थियों ने भी भरी हुंकार
दारोगा भर्ती में स्नातक में 50 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता के विरोध में भी रविवार को युवाओं ने आजाद पार्क में बैठक की। यह तय किया गया कि इसके लिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। साथ ही हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की जाएगी। बैठक में कहा गया कि सरकार का यह फैसला सबको समान अवसर देने के सिद्धांत के विपरीत है। पीसीएस व अन्य किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में अंकों की बाध्यता नहीं रखी गई है। दारोगा भर्ती में ऐसा करके युवाओं को अवसर से वंचित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार को अभ्यर्थियों की ओर से ज्ञापन देने का फैसला भी किया गया।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
उनकी मांग है कि शिक्षा मित्रों का समयोजन रद होने के बाद टीईटी और बीएड डिग्र्रीधारकों को नियुक्ति दी जाए।
टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा की ओर से रविवार को यहां आजाद पार्क में बुलाई गई सभा में बड़ी संख्या में युवक शामिल हुए। इनमें दूर-दराज के जिलों से भी आए युवा शामिल थे। सभा में कहा गया कि सरकार ने योग्यता के मानक का उल्लंघन करते हुए अयोग्य लोगों को नियुक्तियां दी थीं। अब जबकि हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन अवैध करार दिया है तो केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही इसका राजनीतिकरण कर रही हैं। यह न्यायपालिका की भी अवमानना है।
सभा में मोर्चा के जितेंद्र सिंह सेंगर और संजीव मिश्रा ने कहा कि हमारी लड़ाई शिक्षा मित्रों से नहीं है। हमारा विरोध इस बात से है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही मिलकर अनिवार्य शिक्षा कानून में संशोधन की योजना बना रहे हैं। यह भी कहा गया कि यदि राज्य सरकार ने योग्य लोगों के लिए अवसर नहीं बनाए तो इसका खामियाजा उसे पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। सभा में यह तय किया गया कि दो से चार अक्टूबर तक दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना दिया जाएगा। इस दौरान सच्चिदानंद चतुर्वेदी, आरके पांडेय, संतोष यादव, अरविंद यादव आदि के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी उपस्थित रहीं।
दारोगा अभ्यर्थियों ने भी भरी हुंकार
दारोगा भर्ती में स्नातक में 50 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता के विरोध में भी रविवार को युवाओं ने आजाद पार्क में बैठक की। यह तय किया गया कि इसके लिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। साथ ही हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की जाएगी। बैठक में कहा गया कि सरकार का यह फैसला सबको समान अवसर देने के सिद्धांत के विपरीत है। पीसीएस व अन्य किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में अंकों की बाध्यता नहीं रखी गई है। दारोगा भर्ती में ऐसा करके युवाओं को अवसर से वंचित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार को अभ्यर्थियों की ओर से ज्ञापन देने का फैसला भी किया गया।
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