EK SHIKSHA MITRA KI GUHAR PRDHAN MANTREE NARENDRA MODI JI SE, ABODH BACHHON KE GUNVATTAPOORN SHIKSHA PAR KUCH NAHIN BOLE

DESH KEE DURBHAGYA POORN STHITI KI
AAJ SABHEE CANDIDATES KO APNA ROJGAAR PEHLE DIKHAYEE DE RAHA HAI,
JABKI RTE ACT BACHHON KE GUNVATTAPARAK SHIKSHA KE ADHIKAAR KO LEKAR AAYAA THAA.


AAJ DESH KA KARODON TAX PAYER EDUCATION CESS AADI TAX DETA HAI,
WAHIN DUSREW TARAF SABHEE RAJNEETIK PARTIYAN IS PAR APNEE ROTIYAN SENK RAHEE HAIN.
PEHLA ADHIKAR BACHHON KA HAI,
JINKO SIRF ROJGAAR CHAHIYE UNKO DESH KE ANYA KARYON MEIN SAMAYOJIT KAR ROJGAAR UPLABDH KARA DEEYA JAAYE, LEKIN DESH KE GAREEB GANV KE BACHHE KO BHEE APNE BACHHE KE SAMAN HEE ACHHEE SHIKSHA MILE,  ISKA PRBANDH BHEE JAROOR KARNA CHAHIYE.
ABODH BACHHE TO APNE HAQ KE LEEYE LAD NAHIN SAKTE,  SAATH HINDUSTAN KE SAMAST SHIKSHA VA SARKARI KARYALAYON PUBLIC PRIVATE PARTNERSHIP KE JARIYE JAANA CHAHIYE.
SABHEE SARKARI KARMCHAREEYON KI ATTENDANCE KE LEEYE CENTRAL GOVT, PRVT, SABHEW STATE GOVT.  KE TEHT VIBHAG BANNA CHAHIYE,  JO ICHAK NIREEKSHAN KARE.
BSA,  ABSA,  BRC KI MANMANEE KO BHEE KAM KARE.
COMPUTERIZATION KE DOR MEIN KRANTI BAHUT JARUREE HAI.
YOGYA SHIKSHA MITRON KO KHULEEE PRATIYOGITA KE MARFAT SHIKSHAK BANE TO HEE UNKA CHAYAN KARNA CHAHIYE.
DAYABHAV MEIN DESH KE ANYA ROJGAAR MEIN UNKO SAMAYOJIT KAR SAKTE HAIN, LEKIN SHIKSHA JAISE MEHTVPOORN KARYA MEIN ABODH BACHHON KE JEEVAN SE KHILVAAD BEHAD DURBHAGYAPOORN HOGEE.
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EK SHIKSHA MITRA KI GUHAR PRDHAN MANTREE NARENDRA MODI JI SE >>>


माननीय प्रधान मंत्री जी आज मैं आपके सामने एक ऐसे विषय को रखने जा रहा हूँ जो हमारे देश की प्राथमिक शिक्षा से जुड़ा है । चूंकि आप गरीबों और पिछडो की आवाज़ उठाने वाले सबसे योग्य व्यक्ति है। इसलिए ये मामला आपके संज्ञान में लाने के लिए ये पोस्ट आपके लिए लिख रहा हूँ। श्रीमान जी उत्तर प्रदेश हमेशा से ही शिक्षा के मामले में पिछड़ा राज्य रहा है 1997 में माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री श्री मुरली मनोहर जोशी जी ने देश में शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए प्रत्येक प्रदेश में शिक्षको की कमी को दूर करने के लिए संविदा आधारित व्यवस्था के तहत संविदा पर शिक्षक रखने की इजाज़त तमाम प्रदेशो को दी। इसी कड़ी में कई प्रदेशो में संविदा पर शिक्षकों की नियुक्त करने की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई ।अलग अलग प्रदेशो में ये शिक्षक अलग अलग नामो से नियुक्त किये गए।जैसे शिक्षा मित्र,शिक्षक बन्धु,शिक्षा सहायक ,पैरा टीचर आदि आदि । अलग अलग राज्यो में नाम भले ही अलग थे पर एक बात सब प्रदेशो में समान थी । वो ये की एक तो इनका वेतन (मानदेय) एक नियमित अध्यापक का लगभग 5 वा हिस्सा था अर्थात बहुत ही कम था । दूसरा ये की इनकी कोई सेवा नियमावली भी नहीं थी। उत्तर प्रदेश में भी केंद्र सरकार के इशारे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह जी ने पर्याप्त बजट की व्यवस्था न होने के कारण प्रदेश में लाखो शिक्षको की कमी को दूर करने के लिए प्रदेश में शिक्षा मित्र योजना शुरूआत की जिसके तहत ग्राम के सबसे योग्य व्यक्ति को खुली मेरिट के माध्यम से शिक्षा मित्र पद के लिए चुना गया। शिक्षा मित्रो को उस समय 2250 रुपये प्रति माह का मानदेय दिया गया जबकि उस समय एक नियमित अध्यापक का वेतन 9000 रुपए के आस पास था। ज़ाहिर सी बात है की शुरू से ही शिक्षा मित्रों का शोषण हुआ। उसके बाद प्राथमिक शिक्षा में बढ़ते बजट संकट व् योग्य अभ्यर्थी न मिलने के कारण बाद के वर्षो में भी चाहे 2003 की मुलायम सरकार हो या 2007 की माया सरकार ने बहुत बड़ी संख्या में शिक्षा मित्रों की नियुक्तियां की। ये संख्या लगभग 2007 तक आते आते डेढ़ लाख तक पहुँच गई। परन्तु किसी भी सरकार ने इनका मानदेय बढ़ाने की कोशिश नही की। उसके बाद शुरू हुआ असली खेल ।जब भी शिक्षा मित्र संगठन ने मानदेय बढ़ाने की बात की तभी सरकारो ने उन्हें नियमित करने के ख्वाब दिखा कर शांत कर दिया। इस प्रकार शिक्षा मित्र दिन ब दिन गरीबी की गर्त में घुसते चले गए ।
2009 में जब rte अनिवार्य शिक्षा अधिनियम का बोल बाला देश में होने लगा और केंद्र सरकार ने ये तय कर दिया की 2015 के बाद देश में कोई अनट्रेंड शिक्षक नहीं रहेगा ।तब इस दबाव में तत्कालीन माया सरकार ने केंद्र से अनुमति लेकर शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षित करने का कदम उठाया परन्तु छठे वेतन मान के बाद आसमान छूती महंगाई के बावजूद शिक्षा मित्रो के मानदेय को 2008 में 2250 से बढाकर सिर्फ 3500 किया गया। ज़ाहिर है एक नियमित अध्यापक जहाँ 20000 रुपया वेतन पा रहे थे वही शिक्षा मित्र केवल 3500 मानदेय पर वही कार्य कर रहा था जो एक नियमित अध्यापक 20000 में कर रहा था ।वेतन के इस अंतर और बढ़ती महंगाई ने शिक्षा मित्रों को समाज का सबसे दयनीय प्राणी बना दिया।
यहाँ ये बताता चलें की एक नरेगा का मज़दूर भी 120रुपये/प्रतिदिन कमाता था जबकि शिक्षा मित्र जिनके कंधो पर देश के बच्चों का भविष्य था वो केवल 108/प्रतिदिन ।अब आप समझ सकते है कि
शिक्षा मित्रों को सरकार ने केवल नियमित नौकरी के सपने दिखाकर किस प्रकार उनका शोषण किया। इस शोषण के विरुद् शिक्षा मित्र लगातार आवाज़ उठाते रहे ओर अंत में 2012 में मुलायम सिंह यादव जी ने इनके दर्द और गुरबत को समझा और शिक्षा मित्रों को भी सहायक अध्यापक बनाने का फैसला किया। अब देखना ये है श्रीमान जी कि 2001 से जब उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों को संविदा पर रखा गया था उस समय न तो प्रदेश में योग्य अभ्यर्थी मौजूद थे और न ही प्राथमिक स्कूलो में बच्चे पढ़ने आते थे । बाद में शिक्षा मित्रों ने अपने दम प्राथमिक शिक्षा को पटरी पर लाने का कार्य किया।उधर उत्तर प्रदेश सरकार ने ढेरो प्राइवेट बीएड कालिज को मान्यता दी जिनसे ट्रेंड होकर 2014 तक लगभग 2 लाख लोग निकल चुके है। 2014 में अखिलेश यादव जी की सरकार ने शिक्षा मित्रों के 15 वर्षो की मेहनत को देखते हुए उन्हें सहायक अध्यापक बनाया। परन्तु सरकार का ये फैसला बीएड अभ्यर्थियों को खल गया। इनका कहना है की जब योग्य अभ्यर्थी मौजूद है तो मौक़ा बीएड बेरोजगारो को दिया जाये।इन्हें शिक्षा मित्रों का सारा जीवन नज़र नहीं आता।कैसे 15 साल ग़ुरबत में रहकर स्कूलो में इल्म की शमा को रोशन रखा है आपसे मेरा इतना कहना है की मैं खुद भी शिक्षा मित्र हूँ ।15 वर्षो तक हमारा शोषण हुआ है।और आज जब बहार के दिन आये तो ये बीएड वाले हमारी नौकरी हमसे छीनना चाहते है हम में से कई साथी तो उम्र के 50 साल पूरा कर चुके है।ऐसे में इस उम्र में अगर हमारा रोज़गार हमसे छीना जायेगा तो हमारे पास अपने परिवार के पोषण का कोई रास्ता शेष नही रहेगा ।कई ऐसे शिक्षा मित्र है जो की पिछले 20 दिन में आत्महत्या कर चुके है। लगभग दो दर्जन साथियों ने पिछले 20 दिन में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।और जो बचे है उनके पास भी आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। आपसे दरखास्त है की आप मज़लूमो की आवाज़ उठाते रहे है । उत्तर प्रदेश का शिक्षा मित्र आपकी और उम्मीद की नज़र से देख रहा है। आप इस मसले को अपने संज्ञान में रखकर शिक्षा मित्रों के भविष्य सवारने हेतु अपने प्रभाव से उचित कदम उठाने की कृपा करे ताकि उत्तर प्रदेश का 1 लाख 72 हज़ार शिक्षा मित्र भी एक सम्मान का जीवन जी सके और देश सेवा कर सके । आपकी महान कृपा होगी

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