वेतन निर्धारण में आटा-दाल के भाव का भी नहीं रखा ध्यान : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

रसोई मांगे 26 हजार 18 पर अटकी सरकार : वेतन निर्धारण में आटा-दाल के भाव का भी नहीं रखा ध्यान : HRA आठ, 16 एवं 24 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव
इलाहाबाद। वित्त मंत्रालय को सौंपी गई सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं। उनका दावा है कि सिर्फ कृषि मंत्रालय की वेबसाइट को ही गौर से देख लिया जाए तो साबित हो जाएगा कि वेतन वृद्धि का प्रस्ताव तैयार करते वक्त कर्मचारियों की मूलभूत जरूरतों का भी ध्यान नहीं रखा गया।
इंटरनेशनल लेबर कांफ्रेंस की ओर से न्यूनतम वेतन के लिए तय मानक को भी दरकिनार किया गया है। इसके विरोध में केंद्रीय कर्मचारियों ने आंदोलन की घोषणा कर दी है और 27 नवंबर को सभी केंद्रीय कार्यालयों में विरोध दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है।
कर्मचारियों का दावा है कि कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर वर्ष 2015 में गेहूं, दाल, चावल जैसी खाद्य सामग्रियों के मूल्य के आधार पर गणना की जाए तो न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये बनता है, जबकि सातवें वेतन आयोग ने 18 हजार रुपये न्यूनतम वेतन की सिफारिश की है। इसके अलावा इंटरनेशनल लेबर कांफ्रेंस के तय मानक के अनुसार भी न्यूनतम वेतन 27 हजार रुपये होना चाहिए। सिर्फ इतना ही नहीं, सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में न्यूनतम और अधिकतम वेतन के अंतर को भी बढ़ाया गया है, जिसका कर्मचारी विरोध करते हैं। इसके अलावा मकान किराया भत्ता (एचआरए) भी कम किए जाने का प्रस्ताव है जबकि महंगाई के साथ मकानों का किराया हर साल तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान में मकान किराया भत्ता तीन श्रेणियों 10, 20 एवं 30 फीसदी के हिसाब से दिया जा रहा है। सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में इस घटाकर क्रमश: आठ, 16 एवं 24 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव है।
आल इंडिया ऑडिट ऐंड एकाउंट एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष चंद्र पांडेय का कहना है कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से कर्मचारियों को कोई फायदा नहीं मिलेगा। यह सिर्फ दिखावा है। इसके विरोध में शुक्रवार को जेसीए की बैठक में निर्णय लिया गया है कि सभी केंद्रीय कर्मचारी 27 नवंबर को बांह पर काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और विरोध दिवस मनाएंगे। कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि सात हजार रुपये मूल वेतन, 5200 रुपये पे बैंड और 1800 रुपये ग्रेड पे के हिसाब से कर्मचारी को वर्तमान में 16 हजार रुपये के आसपास न्यूनतम वेतन मिल रहा है। ऐसे में न्यूनतम वेतन में महज दो हजार रुपये की वृद्धि कर्मचारियों के साथ छलावा है, क्योंकि महंगाई इससे कई गुना अधिक अनुपात में बढ़ रही है।
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