प्रशिक्षु शिक्षक व शिक्षामित्रों के वेतन और एरियर का 24 करोड़ सरेंडर करने की तैयारी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

मार्च माह के खत्म होने के एक दिन पूर्व ही कार्यालयों में बजट सरेंडर की तैयारी शुरू हो चुकी है। चार विभागों के लगभग 24 करोड़ रुपये के बजट को सरेंडर किया जाना लगभग तय माना जा रहा है। जबकि मनरेगा के तहत 25 करोड़ रुपये के और बजट की डिमांड भी अगर 31 मार्च को भेजी जाती है।
तो उसे भी सरेंडर करने की मजबूरी होगी।
मार्च माह की समाप्ति से एक दिन पूर्व बुधवार को सरकारी कार्यालयों में बजट को उपभोग करने के लिए माथापच्ची का दौर चलता रहा। महीने की तीस तारीख होने के कारण कार्यालय के लेखाकार और लिपिक सभी बजट के उपभोग का प्रमाण पत्र लेकर उसे कोषागार में टोकन लेने के लिए चक्कर काटते नजर आए। बेसिक शिक्षा विभाग में सबसे अधिक बजट का उपभोग नहीं हो सका है।

यहां पर लगभग 21 करोड़ रुपये के बजट को सरेंडर करने की तैयारी की जा रही है। लेखाधिकारी दिनेश सिंह का कहना है कि पैसे के खर्च न होने के कारण सरेंडर करना पड़ रहा है। वहीं डीआरडीए में इंदिरा आवास के खाते में पड़े लगभग दो करोड़ रुपये की ब्याज की रकम भी सरेंडर करने की तैयारी है। एनआरएलएम में भी लगभग पचास लाख की रकम का उपभोग नहीं हो सका है।
इसी तरह मनरेगा के तहत भेजे गए 68 करोड़ रुपये में से 65 करोड़ महकमा खर्च कर चुका है। जबकि तीन करोड़ रुपये खर्च कर उसका प्रमाण पत्र भेजा जा चुका है। लेकिन इंटरनेट की खराबी से वह अभी नेट पर अपलोड नहीं हो सका है। उपायुक्त वीरेंद्र सिंह का कहना है कि शासन से 25 करोड़ रुपये और बजट की मांग की गई थी। अगर वह पैसा 31 मार्च तक दे दिया जाएगा। तो उसे भी सरेंडर करने की मजबूरी होगी।
तो इसलिए नहीं खर्च हुआ शिक्षा विभाग का पैसा
बेसिक शिक्षा विभाग के लेखाधिकारी दिनेश सिंह ने बताया कि विभाग ने गणित, विज्ञान प्रशिक्षु शिक्षक व शिक्षामित्रों के समायोजन को देखते हुए वेतन और एरियर प्रदान करने का बजट भेजा गया था। शिक्षामित्रों के समायोजन का बजट अभिलेखों का सत्यापन होने के चलते लगभग पूरा उपभोग कर लिया गया।
लेकिन गणित, विज्ञान और प्रशिक्षु शिक्षकों के सत्यापन की कार्रवाई पूरी न होने के चलते उनके वेतन और एरियर का जो बजट था, वह खर्च नहीं हो सका है। ऐसे में उसे सरेंडर करना मजबूरी है। उन्होंने कहा कि 31 मार्च के बाद पुन: बजट की मांग कर ली जाएगी।
ऐसे में कोई समस्या उत्पन्न नहीं होगी।

बजट सरेंडर करना एक प्रक्रिया है। सत्र 2015-16 के समापन के चलते इस प्रक्रिया को पूरी करने की औपचारिकता निभायी जा रही है। नये सत्र में सरेंडर किया गया बजट पुन: संबंधित विभाग को मिल जाएगा। ऐसे में विकास व अन्य विभागीय कार्य प्रभावित नहीं होंगे।
-राकेश कुमार, मुख्य विकास अधिकारी
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