इलाहाबाद। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के द्वारा उत्तरप्रदेश में दिया जा रहा 1.70 लाख शिक्षामित्रों को दो वर्षीय प्रशिक्षण वैध करार दिया गया। सभी शिक्षामित्र प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित हैं।
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जानकारी के अनुसार शिक्षामित्रों को दूरस्थ विधि से प्रशिक्षण दिए जाने के खिलाफ दो वर्षीय नियमित बीटीसी प्रशिक्षण करने वाले कुलदीप सिंह व एक अन्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका की है।
प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षामित्रों के दो वर्षीय प्रशिक्षण के खिलाफ कई याचिकाएं हुई है। मैंने 15 जनवरी 2015 को एनसीटीई से आरटीआई के जरिए प्रशिक्षण के संबंध में सवाल पूछा था। 21 मार्च 2016 को एनसीटीई ने जो जवाब भेजा है उसमें 14 जनवरी 2011 के उस पत्र का हवाला दिया है जिसमें प्रशिक्षण की अनुमति दी गई थी। यह वास्तव में शिक्षामित्रों के लिए बड़ी राहत है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) के जरिए अवैध तरीके से शिक्षामित्रों को दो वर्षीय दूरस्थ विधि से प्रशिक्षण कराया। जबकि दूरस्थ विधि से प्रशिक्षण देने के लिए डायट अधिकृत नहीं है।
इस पर 14 मार्च के अपने आदेश में हाईकोर्ट ने एनसीटीई को मामले की अगली सुनवाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है। इसी बीच एनसीटीई ने साफ कर दिया है कि शिक्षामित्रों के दो वर्षीय दूरस्थ विधि प्रशिक्षण पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में 28 अप्रैल को होगी।
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