57 वित्तविहीन स्कूलों की मान्यता पर लटकी तलवार

जागरण संवाददाता, एटा : माध्यमिक शिक्षा विभाग के 57 वित्तविहीन स्कूल विभागीय अधिकारियों को अभी भी छका रहे हैं। स्थिति यह है कि दो साल से वित्तविहीन स्कूलों में कार्यरत अंशकालिक शिक्षकों का ब्यौरा देने के निर्देशों को वह धता बता रहे हैं।
यही वजह है कि लापरवाही को लेकर इन स्कूलों की मान्यताओं पर तलवार लटक गई है। उधर मान्यता बचाने के लिए 367 स्कूल अपना ब्यौरा उपलब्ध करा चुके हैं।
प्रदेश सरकार ने वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय देने की घोषणा की और उसी के अनुरूप विभागीय स्तर पर ब्यौरा इकट्ठा करने की कवायद शुरू कराई। दो साल से ब्यौरा मांगा जा रहा है, लेकिन अभी तक शत-फीसद स्कूलों ने अपना ब्यौरा नहीं दिया है। एक महीने पहले तक तो आधे ही स्कूलों ने दिलचस्पी दिखाई, लेकिन निदेशक माध्यमिक शिक्षा के सख्त तेवरों और मान्यता प्रत्याहरण जैसी कार्रवाई के डर से ब्यौरा देने वाले स्कूलों की संख्या तेजी के साथ बढ़ गई। जिले में 432 वित्तविहीन स्कूलों में से 367 अब तक अंशकालिक शिक्षकों के मांगे गए ब्यौरे को उपलब्ध करा चुके हैं। यह ब्यौरा शासन को भी भेजा जा चुका है। अभी भी स्थिति यह है कि 57 स्कूलों द्वारा न तो ब्यौरा जमा किया जा रहा है और ना हीं लिखित में वह यह दे रहे हैं कि उनके यहां कोई भी अशंकालिक शिक्षक नियुक्त है।
दूसरी ओर विभाग ऐसे स्कूलों पर नजर रखे हैं। स्कूल संचालकों को अंतिम मौका भी ब्यौरा जमा करने के लिए दिया जा चुका है। इसके बावजूद भी लापरवाही की हद को देखते हुए विभाग इन स्कूलों पर कार्रवाई का मन बना चुका है। जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार गिरि का कहना है कि जो स्कूल शिक्षकों का ब्यौरा नहीं दे रहे हैं उससे साफ है कि वह स्कूल या तो संचालित नहीं हैं या फिर उनके यहां शिक्षक नियुक्त नहीं हैं। जिन मानकों के अनुरूप स्कूल की मान्यता दी गई है उसमें शिक्षक नियुक्ति भी शामिल है। जल्द ही शासन को अवगत कराया जाएगा। मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई भी संभव है। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि कोई शिक्षक मानदेय से वंचित रहता है तो संबंधित स्कूल ही जिम्मेदार होंगे।
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