अनोखा लगाव: तोते में बसती है गुरुजी की जान

लखनऊ पशु-पक्षियों से इंसानों के लगाव की इस कहानी के नायक हैं बस्ती के गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में शिक्षक जगप्रकाश पाठक। वह अपने तोते मिट्ठू का इलाज करवाने के लिए तीन दिन से लखनऊ में हैं।
इंटरनल ट्रॉमा से उनके मिट्ठू ने खाना-पीना छोड़ दिया है। उसे सबसे अच्छा इलाज दिलवाने के लिए जगप्रकाश बस्ती से लेकर लखनऊ आए हैं। नौकरी से छुट‌्टी लेकर वे अब लखनऊ प्राणी उद्यान में डॉ. उत्कर्ष शुक्ला से मिट्ठू का इलाज करवा रहे हैं।

शिवा कॉलोनी निवासी जगप्रकाश पाठक का कहना है कि दस दिन पहले वह मिट्ठू को नहला रहे थे, तब वह अचानक फड़फड़ाया और सुस्त हो गया। बस्ती में आठ दिन इलाज चला लेकिन मिट्ठू की हालत बिगड़ती रही। तीन दिन पहले दोपहर में मिट्ठू अचानक बेहोश हो गया और तब से उसने खाना-पीना भी बंद कर दिया। तब बस्ती के डॉक्टरों ने उन्हें लखनऊ में संपर्क करने की सलाह दी। पाठक बताते हैं कि उन्होंने मिट‌्ठू की जान बचाने के लिए बस्ती से लेकर लखनऊ तक कई डॉक्टरों के दरवाजे पर मिन्नतें कर डालीं।

लखनऊ में उन्होंने दो-तीन डॉक्टरों को दिखाया लेकिन मिट्ठू की हालत नहीं सुधरी। फिर एक परिचित से पता चला कि लखनऊ जू में शायद उसका इलाज हो जाए, पर साथ ही यह भी बताया गया कि यहां बाहर से आने वाले पशु-पक्षियों का इलाज नहीं किया जाता। यह जानने के बावजूद पाठक लखनऊ जू में उपनिदेशक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला के पास पहुंचे। उनका लगाव और मिट‌्ठू की हालत देखते हुए डॉ. शुक्ला ने उसका उपचार करने की हामी भर दी। दो दिन से मिट‌्ठू का इलाज लखनऊ जू में चल रहा है। डॉ. उत्कर्ष शुक्ला का कहना है कि शनिवार देर रात जगप्रकाश पाठक बस्ती से तोते को लेकर आए थे। फिलहाल पता चला है कि तोता इंटरनल ट्रॉमा में है। उसकी हालत नाजुक है, लेकिन उम्मीद है उसकी सेहत में जल्दी ही सुधार होगा।


'20 बरस का नाता है...अब कैसे छाेड़ दूं'
जगप्रकाश पाठक (60) के परिवार में पत्नी कलावती पाठक, एक बेटा और तीन बेटियां हैं। कुइया प्रजाति का मिट‌्ठू करीब 20 साल पहले उनके आंगन में घायल हालत में गिरा था। तब से वह उनके साथ है। वह कहते हैं कि मैंने तो कभी उसे तोता समझा ही नहीं। मैं सबसे यही कहता हूं कि मेरे दो बेटे हैं। मैं उसे यूं ही नहीं छोड़ सकता।
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